हम जीतते हैं, हम मारते हैं

ताइवान और हांगकांग खुलकर भारत के पक्ष में खड़े हो गये है।

Update: 2020-06-20 03:19 GMT
Courtesy ~Taiwan Times

नई दिल्ली साम्राज्यवादी चीन ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ जिस तरह से विश्वासघात किया है, उससे ताइवान और हांगकांग जैसे देश भी नाराज हैं। भारत ने तो जबर्दस्त प्रतिक्रिया जतायी ही है, दुनिया भर में आवाजें उठने लगी हैं। अमेरिका, ब्रिटेन के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी चिंता जतायी। अमेरिका ने तो कहा कि वह गंभीरता से नजर रखे है जबकि भारत के बहुत पुराने मित्र रूस ने तटस्थ भाव से कहा कि भारत और चीन सीमा संबंधी विवाद को निपटाने में सक्षम हैं। चीन ने अभी अपनी गलती स्वीकार नहीं की है लेकिन उसको भी आगा-पीछा दिखने लगा है। चीन ने जोर-जोर से इस बात का ढोल पीटना शुरू कर दिया कि उसकी तरफ से गलती नहीं हुई। इसके साथ ही उसने यह भी कहा कि चीन भारत के साथ किसी प्रकार का विवाद नहीं चाहता है। समस्या पर बातचीत के लिए तैयार है। संभवतः चीन को भी अब अहसास हो रहा होगा कि भारत के साथ तो कई देश खड़े हो गये लेकिन उसके साथ पाकिस्तान भी नहीं खड़ा दिख रहा हैं। ताइवान और हांगकांग के लोग भारत का जिस तरह से सोशल मीडिया पर समर्थन कर रहे हैं, उससे चीन की बेचैनी बढ़ना स्वाभाविक है। ये देश चीन के पट्टीदार की तरह हैं। आज चीन ने इन पर दबंगई दिखा कर एक तरह से कब्जा कर रखा है लेकिन उनकी भावना खुलकर सामने आ रही है।

ताइवान और हांगकांग खुलकर भारत के पक्ष खड़े हो गये है। ताइवान ने चीन के फाइटर प्लेन खदेड़ दिये हैं। ताईवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने कहा कि चीन एक तरफा कार्रवाई कर रहा है। हांगकांग और ताईवान के लोगों ने भारत का खुलकर समर्थन किया है। एक तस्वीर हांगकांग के सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस तस्वीर में भगवान राम को चीन के ड्रैगन की तरफ निशाना साधते दिखाया गया है। तस्वीर के साथ कैप्शन लिखा है वी कान्क्यौर, वी किल अर्थात हम जीतते हैं, हम मारते हैं। इस तस्वीर को ताइवान के एक प्रमुख अखबार ताइवान टाइम्स ने विस्तार के साथ प्रकाशित भी किया है। इसे दिवस का फोटो (फोटो आफ द डे) कहा गया है। इस वायरल तस्वीर को भारतीय मूल के ही एक डिजाइनर ने 24 घंटे में तैयार किया है। हांगकांग से ताइवान तक यह तस्वीर वायरल है। इससे वहां की जनता और सरकार दोनों का भारत के प्रति समर्थन और चीन के प्रति नफरत का संदेश भी मिलता है।

यहां पर ध्यान देने की बात है कि ताइवान को चीन अपना हिस्सा मानता है लेकिन ताइवान खुद को चीन का हिस्सा नहीं मानता। ताइवान की स्थिति तिब्बत से भी अलग है। चीन ताइवान को खुद में मिलाने के लिए धमकी देता रहता है। डराने के लिए लड़ाकू विमान भेजता है। इसी प्रकार चीन ने हांगकांग को भी जबर्दस्ती कब्जे में कर रखा है। चीन ने हांगकांग पर नया सुरक्षा कानून जबर्दस्ती थोपने की कोशिश की है। हांगकांग के एक नागरिक ने ट्वीटर पर लिखा है - मैं हांगकांग के एक नागरिक के रूप में भारत के लोगों का समर्थन करता हूं और मुझे विश्वास है कि मेरे साथी भी आपके साथ होंगे। हांगकांग की एक युवती फिओना लिखती हैं- आपराधिक चीनी शासन के खिलाफ लड़ने में भारत का समर्थन करें। चीनी नेता ठग और अपराधी हैं। हांगकांग के लोग यह जानते हैं और ताइवान को भी यह पता है। दुनिया भी इसके बारे में जानती है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश हांगकांग पर चीन द्वारा और सख्त नियंत्रण करने की कोशिश के मद्देनजर कहा कि अमेरिकी सरकार की ओर से हांगकांग को मिले विशेष दर्जे को अमेरिका अब नहीं बढ़ाएगा और खत्म कर देगा। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कहा था, "चीन की सरकार द्वारा हांगकांग के खिलाफ उठाया गया हालिया कदम शहर की लंबे समय से चली आ रही गर्व की स्थिति को कम कर रहा है। यह हांगकांग, चीन के लोगों और वास्तव में दुनिया के लोगों के लिए एक त्रासदी है।" ट्रंप ने यह टिप्पणी चीन की विधायिका द्वारा हांगकांग की स्वायत्तता को कम करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को मंजूरी देने के एक दिन बाद की। हांगकांग में 1997 से एक देश, दो प्रणाली फॉर्मूला रहा है। ट्रंप ने कहा, "चीन ने एक देश दो प्रणाली के फॉर्मूले को बदलकर एक देश एक प्रणाली कर दिया है।"

 ट्रम्प ने कहा, "इसलिए, मैं अपने प्रशासन को निर्देश दे रहा हूं कि वह हांगकांग को अलग और विशेष तरजीह देने वाली नीतिगत छूटों को खत्म करने की प्रक्रिया शुरू करे।" ट्रंप ने कहा कि यह आदेश अमेरिका और हांगकांग के बीच हुए सभी समझौतों पर लागू होता है। उन्होंने कहा कि हम बाकी चीन से अलग हांगकांग को व्यापार और पर्यटन में मिले विशेष तरजीह को समाप्त करने के लिए कदम उठाएंगे।

इसी के साथ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से संबंध रखने वाले चीन के छात्रों और शोधकर्ताओं के देश में प्रवेश पर रोक लगाने की घोषणा की है। उन्होंने अमेरिका से बौद्धिक संपदा और प्रौद्योगिकी हासिल करने के लिए स्नातक छात्रों का इस्तेमाल करने की चीन की कोशिशों को खत्म करने के लिए यह कदम उठाया है। व्यापार, कोरोना वायरस की उत्पत्ति, हांगकांग में बीजिंग की कार्रवाई और विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक सैन्य गतिविधियों को लेकर अमेरिका और चीन में बढ़ती तनातनी के बीच ट्रंप ने यह घोषणा की है।

ताइवान की तो एक न्यूज वेबसाइट ताइवान न्यूज.कॉम ने लिखा है, चीन ने कश्मीर में अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिसके बाद भारतीय नागरिक चीन के खिलाफ जुटने लगे हैं और उन्होंने कम्युनिस्ट देश के उत्पादों का बहिष्कार शुरू कर दिया है जिससे सीधे बीजिंग की जेब पर असर पड़ सकता है। वेबसाइट ने लिखा, चीनी सामानों के बहिष्कार का आह्वान करने वाले इलस्ट्रेशन के साथ अमूल ने एग्जिट द ड्रैगन का टाइटल दिया है, जो ब्रूस ली के कुंगफू क्लासिक एंटर द ड्रैगन से संबंधित लगता है। ताइवानी वेबसाइट ने अपने ट्विटर हैंडल पर फोटो ऑफ द डे: एग्जिट ड्रैगन- एंटर इंडिया कैप्शन के साथ अमूल गर्ल की तस्वीर साझा की है। ताइवान न्यूज की इस पोस्ट पर बहुत से लोगों ने प्रतिक्रिया भी दी है। भारतीय यूजर्स ने इस ट्वीट के लिए ताइवान पर प्यार जताया है। वहीं कई यूजर्स ने यह सुझाव दिया है कि इस कठिन वक्त में भारत और ताइवान को एक-दूसरे का साथ देना चाहिए।

हो साई लेई ने भारत और ताइवान के झंडों के साथ लिखा, हम साथ हैं तो मजबूत हैं और इसलिए हम जीतेंगे। निधि नाम की एक यूजर ने लिखा कि यह कठिन समय है। भारत सरकार को चीन के खिलाफ मजबूत स्टैंड लेना चाहिए और ताइवान, तिब्बत और हॉन्ग-कॉन्ग का समर्थन करना चाहिए। बहरहाल यह सब देखकर चीन को भी लगता होगा कि ड्रैगन अकेला है और हाथी के साथ कई लोग खड़े हैं।

~अशोक त्रिपाठी (हिफी)

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