इन्हें तो मिलनी चाहिए थी सजा ए मौत

न्यायाधीश ने मामले में तनवीर अहमद गनी को पांच साल की जेल की सजा भी सुनाई

Update: 2022-12-05 13:23 GMT

नई दिल्ली। हमारे देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा में अपनी जान की बाजी लगा देने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के काफिले पर हमला कर तीन दर्जन से अधिक जवानों की शहादत के लिए जिम्मेदार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकवादियों को दिल्ली स्थित पटियाला हाउस कोर्ट ने 28 नवम्बर 2022 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इन आतंकियों को सरेआम फांसी पर लटकाया जाता तो यह संदेश उस पडोसी देश में बिरियानी खा रहे ब्रेनवाश किये गये युवकों को कुछ नसीहत दे सकता था। पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के काफिले पर हमला करने और साजिश रचने के लिए मिले ठोस सबूतों के आधार पर कोर्ट ने ये सजा सुनाई है। इसलिए सरकार उच्च अदालत में इनकी सजा बढाने के लिए अपील करेगी। इन पांच आतंकवादियों में सज्जाद अहमद खान का नाम भी शामिल है, जिन्होंने पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले के दौरान सुरक्षा बलों की आवाजाही के बारे में जानकारी दी थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने सभी 5 आतंकवादियों को देश भर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए युवाओं को भर्ती करने और प्रशिक्षण देने का दोषी ठहराया। विशेष न्यायाधीश शैलेंद्र मलिक ने सज्जाद अहमद खान, बिलाल अहमद मीर, मुजफ्फर अहमद भट, इशफाक अहमद भट और मेहराजुद्दीन को यह सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि सभी दोषियों ने मिलकर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रची थी। दोषी न केवल जैश के सदस्य थे, बल्कि वे आतंकवादियों को हथियार, गोला बारूद और रसद उपलब्ध कराकर उनका सहयोग करते थे। इन पांच आतंकवादियों में सज्जाद अहमद खान का नाम भी शामिल है, जिन्होंने पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले के दौरान सुरक्षा बलों की आवाजाही के बारे में जानकारी दी थी। न्यायाधीश ने मामले में तनवीर अहमद गनी को पांच साल की जेल की सजा भी सुनाई। न्यायाधीश ने कहा, 'आरोपी जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों को उग्रवाद में जाने के लिए प्रेरित करने और आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए धन की व्यवस्था करने आदि में भी शामिल थे।' केंद्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने मार्च 2019 में इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की थी

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के काफिले पर 2019 में हुए आतंकवादी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। सीआरपीएफ के काफिले पर हमला 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में हुआ था, जिसमें 40 जवानों की मौत हो गई थी। एक आत्मघाती हमलावर ने बस में विस्फोटकों से लदे वाहन को टक्कर मार दी थी। काफिले में 78 बसें थीं, जिनमें लगभग 2,500 जवान जम्मू से श्रीनगर जा रहे थे। हमले के कुछ दिनों बाद, भारतीय वायु सेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में जैश के आतंकी शिविरों पर कई हवाई हमले किए, जिसमें "बड़ी संख्या में" आतंकवादी मारे गए और उनके बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया गया था। भारत ने यह चेतावनी देने वाली सर्जिकल स्ट्राइक की थी। यही कारण था कि पाकिस्तान ने हमारे विंग कमाण्डर अभिनंदन को तुरंत भारत भेज दिया था।

आतंकवादियों को मिली सजा को इसलिए भी कम माना जा रहा है क्योंकि इससे लगभग एक महीना पहले बेंगलुरु की एक कोर्ट ने इंजीनियरिंग के छात्र को पुलवामा आतंकी हमले का जश्न मनाने के आरोप में ही पांच साल की सजा सुनाई थी। मामले की जानकारी देते हुए स्थानीय पुलिस ने कहा था कि बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने पुलवामा आतंकवादी हमले के बारे में अपमानजनक फेसबुक पोस्ट पर इंजीनियरिंग के एक छात्र को पांच साल की जेल की सजा सुनाई थी। केंद्रीय अपराध शाखा (सीसीबी) ने बताया था कि बेंगलुरु के कचरकनहल्ली निवासी फैज रशीद की फरवरी 2019 में गिरफ्तारी के बाद जमानत अर्जी खारिज होने के बाद से वह जेल में है। तीसरे सेमेस्टर के इंजीनियरिंग छात्र रहे रशीद को 14 फरवरी को उसकी फेसबुक पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया गया था, जिसमें आरोपी ने जम्मू-कश्मीर में एक हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवानों की मौत का जश्न मनाया था। गिरफ्तारी के बाद रशीद का फोन जब्त कर लिया गया था और पुलिस ने फोरेंसिक साइंस लैब से इसकी जांच कराई। जांच के बाद पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं (आईपीसी) 153 ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 124 ए (देशद्रोह) और 201 (अपराध के सबूतों को गायब करना) और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) की धारा 13 के तहत आरोप पत्र दायर किया था। इस प्रकार की मानसिकता को सुधारना संभव नहीं लगता तो इस जहर से पूरे समाज के विषाक्त होने से पहले इसे कुचल देना चाहिए।

14 फरवरी 2019 दोपहर करीब 3 बजे जम्मू-कश्मीर में एक ऐसा आतंकवादी हमला हुआ जिससे पूरा देश दहल उठा था। पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के जवानों के काफिले में चल रही एक बस में विस्फोटक से भरी कार टकरा दी। इस आत्मघाती हमले में 40 जवान शहीद हुए। हालांकि, देश के पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई में देश की सशस्त्र सेनाओं ने सीमापार से हुए इस हमले का मुहंतोड़ जवाब दिया लेकिन उन जवानों की शहादत की टीस आज भी बरकरार है।पुलवामा हमले में जवानों की शहादत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था- मेरे दिल में भी वैसी ही आग है, जैसी आपके दिल में हे। सभी आंसुओं का बदला लिया जाएगा। देश भर में इस कायराना हमले के खिलाफ प्रदर्शन हुए। लोगों ने एक ओर नम आंखों से शहीदों को श्रद्धांजलि दी वहीं दूसरी तरफ इसका मुंहतोड़ जवाब देने की पुरजोर मांग भी उठी।इस हमले के खिलाफ पूरी दुनिया एकजुट हो गई थी। यूनाइटेड नेशंस और दुनियाभर के लगभग सभी देशों ने पुलवामा हमले की निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को समर्थन देने का ऐलान किया। पाकिस्तान के सदाबहार दोस्त चीन ने भी पुलवामा हमले के खिलाफ यूनाइडेट नेशंस सिक्यॉरिटी काउंसिल के प्रस्ताव का समर्थन किया। इस हमले के बाद भारत ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए कूटनीतिक प्रयास शुरू किया, जो 1 मई को पूरा हुआ जब चीन ने अमेरिका, फ्रांस और यूके द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर टेक्निकल होल्ड को वापस ले लिया।पुलवामा हमले के 12 दिन बाद सुबह जब देश के लोगों की आंखें खुली तो वे खुशी से झूम उठे। 26 फरवरी को तड़के इंडियन एयर फोर्स के लड़ाकू विमान पाकिस्तान के बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के कैंप पर बम बरसाकर लौट चुके थे। एयर स्ट्राइक में बड़ी संख्या में आतंकवादी, ट्रेनर और सीनियर कमांडर मारे गए। इस कैंप को मसूद अजहर का साला मौलाना युसूफ अजहर संचालित कर रहा था। अब उस

हमले के कसूरवार भले ही जेल की सीखचों में हैं लेकिन उनको जीवित देखकर मन में धिक्कार तो उठती ही रहेगी।' (हिफी)

Tags:    

Similar News