जन्मदिन विशेषः समाजवाद का उभरता हुआ सितारा है धर्मेंद्र यादव राजा

कभी समाजवादियों द्वारा नज़रअंदाज किये गए एक नौजवान ने समाजवाद के पथ पर चलने का निर्णय करते लेते हुए समाजवादी नौजवान सभा का गठन कर उस संगठन को ऐसी धार दी कि देश के विभिन हिस्सों में समाजवाद की विचार धरा को मानने वाला युवा वर्ग इस नौजवान से जुड़ता चला जा रहा है कौन है यह नौजवान नेता जान्ने के लये पढ़िए आज उसके जन्मदिन पर खोजी न्यूज़ की खास रपट ...............

Update: 2019-08-03 13:02 GMT

लखनऊ। कभी समाजवादियों  द्वारा नज़रअंदाज किये गए एक नौजवान ने समाजवाद के पथ पर चलने का निर्णय करते लेते हुए समाजवादी नौजवान सभा का गठन कर उस संगठन को ऐसी धार दी कि देश के विभिन हिस्सों में समाजवाद की विचार धरा को मानने वाला युवा वर्ग इस नौजवान से जुड़ता चला जा रहा है कौन है यह नौजवान नेता जान्ने के लये पढ़िए आज उसके जन्मदिन पर खोजी न्यूज़ की खास रपट ...............

'अगर हौसला और हिम्मत है तो गरीबी या छोटी उम्र कामयाबी का रास्ता नहीं रोक सकती'' इसी मूलमंत्र के सहारे एक छोटे गांव के गरीब किसान परिवार में जन्में धर्मेंद्र यादव जब केवल 12 वर्ष के थे, तब उनके पिता का देहान्त गरीबी के चलते इलाज नहीं होने के कारण मामूली बीमारी के कारण हो गया था। इसके बाद बालक धमेन्द्र की पढ़ाई-लिखायी बड़ी बहन के घर सैफई में हुई, वहीं से उन्होंने चौधरी  चरण सिंह पीजी कालेज से स्नातक किया।



किशोर अवस्था से युवा अवस्था की दहलीज पर कदम रख रहे धर्मेंद्र यादव राजा की मुलाकात एक बार द्वितीय सैफई महोत्सव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के सांसद पुत्र अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव से हुई थी। अखिलेश यादव को चने का साग बेहद पसन्द होने के कारण डिम्पल यादव ने धर्मेन्द्र यादव राजा से गांव से चने का साग लेकर आने को कहा था। अगले दिन जब धर्मेन्द्र यादव राजा गांव से चने का साग लेकर आये तो उनकी दुनिया ही बदल गयी। जब गांव से लाया हुआ सरसों का साग उन्होंने डिंपल यादव को दिया तो वे बहुत खुश हो गईं थी और उन्होंने धर्मेन्द्र यादव से बरबस ही पूछा कि बेटा! क्या बनना चाहते हो। धर्मेन्द्र यादव बताते हैं कि उन्होंने उस समय बिना सोचे एकदम ही बोल दिया था कि मैं नेता बनना चाहता हूं। धर्मेन्द्र के मुंह से ये बात सुनकर डिम्पल यादव बहुत हसीं थी और अंदर से अपने पति व व सांसद अखिलेश यादव के पाॅच जोड़ी कुर्ता पेंट मुझे थमा दिये और बोली ये लो बेटा कपड़े और बन जाओ नेता।


धर्मेन्द्र यादव कहते हैं कि उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मैनें दर्जी से वही कपड़े अपने नाप के अनुसार फिट कराये और हर कार्यक्रम में जाने लगा। इस दौरान लोगों मेरा खूब मजाक भी बनाया, लेकिन मैंने उपहास करने वालों की कोई परवाह नहीं की और 2009 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज जाकर डिम्पल यादव का घर-घर जाकर खूब प्रचार किया। मेरी माँ ने मुझे पार्टी में आगे बढ़ाने के लिए अपने गहने तक बेचकर मुझे पैसे दिये, लेकिन कुछ चाटुकारों ने आगे बढ़ाना तो दूर मुझे अखिलेश यादव से मिलने तक नहीं दिया। इन सब से युवा धर्मेन्द्र ने हार नहीं मानी और अपनी ही धुन में समाजवादी सोच के साथ आगे बढ़ता रहा। इस दौरान धर्मेन्द्र बहुत से गरीब, कमजोंर व पीड़ितों की आवाज बने और धीरे-धीरे लोगों के दिलों में अपनी साफ-सुथरे समाजसेवी छवि बनाने में कामयाब रहे।



समाजवादी सोच और विचारधारा से प्रभावित धर्मेन्द्र यादव राजा ने अपने चंद साथियों और समर्थकों को लेकर 31 जून 2018 में समाजवादी नौजवान सभा का निर्माण किया, जिसके साथ आरम्भ में चंद लोग ही जुड़े, लेकिन-

मैं अकेला ही चला था, जानिबे मंजिल।

लोग जुड़ते गये और कारवां बढ़ता गया

की तर्ज पर समाजवादी नौजवान सभा की लोकप्रियता इतनी बढ़ी, कि इसमें शामिल होने के लिए नवयुवकों में होड़ लग गयी। आज स्थिति ये है कि बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेन्द्र यादव के नेतृत्व में इस संगठन की शाखाएं पूरे उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी समाजवादी नौजवान सभा बेहतर ढ़ंग से काम कर रही है। आज देश भर में समाजवादी नौजवान सभा में लगभग 25 हजार से भी अधिक युवा पदाधिकारी हैं। पहले जो लोग धर्मेन्द्र यादव का कुर्ता पजामा पहनने पर मजाक उड़ाया करते थे, वही लोग आज उनके पीछे-पीछे चल रहे हैं। पहले जो लोग उन्हें अखिलेश यादव से मिलने तक नहीं देते थे, वही आज धर्मेंद्र यादव राजा से मिलने को लालायित रहते हैं।

अपने जन्मदिन पर वे अपने संदेश में कहते हैं कि-यूँ तो जीवन का हर पल, हर लम्हा खास और अहम है, हर दिन नया जन्म है, पर किसी निर्धारित समय में एकसाथ मिलने वाला अपनों का असीमित प्यार जिन्दगी को आम से खास बनाकर उसमें खूबसूरत अहसासों के रंग भरता है।

समाजवादी नौजवान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेन्द्र यादव राजा ने अपने प्रसंशकों का आभार जताते हुए कहा है कि मेरे जन्मदिन के एक दिन पूर्व से ही मिल रही लगातार बधाई, प्यार, स्नेह और एक-एक दिन में आने वाले हजारों संदेश और हजारों फोन कॉल्स का आभार मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता।



अपने संघर्षों की दास्तां सुनाते हुए समाजवादी नौजवान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेन्द्र यादव राजा कहते हैं कि एक साधारण से कृषक परिवार में जन्में और आधुनिक सुख सुविधा के अभाव में पलने वाले भविष्य से अंजान बालक के लिए ऊंचाईयों की बुलन्दियों पर पहुंचना एक सपना मात्र हो सकता है, लेकिन मैंने अपने जुनून के बल पर यह कर दिखाया है। वे कहते हैं कि यदि कोई कुछ भी करने की ठान ले और उसे करने के लिए जी-जान से जुट जाये तो कुछ भी असम्भव नहीं है। उन्होंने बताया कि मेरे लिए भी ये इतना आसान नहीं था। जिस उम्र में मेरे सहपाठी अपने घर वालों के पैसों पर जीवन का आनंद ले रहे थे, मैंने अपने लिए अत्यंत कठिन मार्ग राजनीति का चुना और करोड़ों उन युवाओं के लिए एक नई राह बनाने की कोशिश करने के लिए राजनीति की राह पर आगे बढ़ गया। उन्होंने बताया कि मैंने ये मार्ग इसलिए चुना कि मेरा बचपन भले ही आभाव में गुजरा हो, लेकिन मेरा प्रयास रहेगा कि देश के नौनिहालों का जीवन अभावग्रस्त न रहे। धर्मेन्द्र यादव राजा का कहना है कि संघर्ष समाजवादियों का मूलमंत्र है और शायद इसीलिए समाजवादी पार्टी की नीति एवं विचारों ने मुझे व देश-प्रदेश के लाखों युवाओं को प्रभावित किया है। उनका कहना है कि छोटे लोहिया व मुलायम सिंह से प्रेरित होकर और अखिलेश यादव जी से आशीर्वाद लेकर मैं भी लोकतंत्र की इस सबसे बड़ी सेवा जनसेवा में कूद पड़ा और तबसे लेकर आज तक निरन्तर इसी कार्य मे लगा हुआ हूँ।

अपने जन्मदिवस के अवसर पर समाजवादी नौजवान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेन्द्र यादव राजा ने अपने संदेश में कहा है कि दोस्तों! मैं भी थकता हूं, विपक्ष के आरोपो से मैं भी द्रवित होता हूँ, मुझे दुख भी होता है। जब अपना कोई साथी अलग होता है तो मुझे भी पीड़ा होती है, लेकिन जब कोई विपरीत परिस्थिति आती है तो मैं दुखों से प्रकाश लेकर कठिनाई के मार्ग पर आप सबके सहयोग और स्नेह के बल पर दो गुनी शक्ति से आगे बढ़ता हूँ।



समाजवादी नौजवान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र यादव राजा एक संस्मरण याद करते हुए बताते है कि मैं गाजीपुर से वाराणसी लौटते समय रास्ते में हाइवे रोड पर देखा एक महिला खून से लथपथ पड़ी कराह रही थी पास में बैठे दो मासूम बच्चे मां की हालत देख जोर जोर से चीख रहे थे अंकल मेरी मम्मी को बचा लो सैकड़ों फोर व्हीलर गाड़ियां निकल रही थी पर उसकी कोई मदद नहीं कर रहा था

मैंने जैसे ही देखा तुरन्त गाड़ी चला रहे भान्जे अजीत से कहा गाड़ी रोको और हाॅस्पीटल ले चलो... पास में खड़े तमाशबीन लोग हमसे वोले अगर इसे कुछ हो गया तो आप फंस जायेंगे पर मेरा ह्रदय उन बच्चों की चीख से विचलित  हो रहा था अगर इसे कुछ हो गया तो ये बच्चे अनाथ हो जायेंगे क्यों कि उस दर्द का एहसास मुझे था मेरे पापा महज मुझे 11 वर्ष की उम्र में इलाज के अभाव में छोड़ स्वर्ग सिधार गये थे...विना मां बाप के जीवन शून्य सा होता है मैंने विना कोई परवाह किये उस महिला और दोनों वच्चों को गाड़ी में बैठाया और गंगाराम हाॅस्पीटल वाराणसी में एडमिट कराया जेब में पड़े 5 हजार रुपये काउंटर पर जमा किये और डॉक्टर साहव से बात की डाॅ साहव जितनी जल्दी हो सके इसका इलाज शुरू करो बहुत ब्लड बह चुका है तत्काल डाॅ साहव ने इलाज शुरू कराया 

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