अंतिम संस्कार में गया था- गंगा में समा गया
होनी को क्या मंजूर है, यह किसी को भी मालूम नहीं है। तभी कहा जाता है कि होता वही है, जो होनी को मंजूर होता है।
मुजफ्फरनगर। होनी को क्या मंजूर है, यह किसी को भी मालूम नहीं है। तभी कहा जाता है कि होता वही है, जो होनी को मंजूर होता है। मनुष्य न जाने कितने ख्वाब स्वयं में समाये होता है, लेकिन उसकी जिंदगी कब समाप्त हो जायेगी, इसका किसी को पता नहीं होता है। ऐसा ही एक हादसा छपार थाना क्षेत्र के गांव बसेड़ा निवासी एक युवक के साथ हुआ। वह बाबा का अंतिम संस्कार करने के बाद गंगा में स्नान करने गया था, जहां गंगा में डूबने से उसकी मौत हो गई।
छपार थाना क्षेत्र के गांव बसेड़ा निवासी 36 वर्षीय धर्मवीर पुत्र नरेश के दादा का स्वर्गवास हो गया था। वह दादा का अंतिम संस्कार करने के लिए तीर्थस्थली शुक्रताल गया था। दादा का अंतिम संस्कार करने के बाद वह गंगा स्नान कर रहा था। इसी दौरान वह गहरे पानी में चला गया। जब तक कि उसके अन्य परिजन उसे बचा पाते, वह गंगा में डूब चुका था। मामले की जानकारी पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और गोताखोरों की मदद से उसकी तलाश कराई। बाद में उसका शव गंगा से बरामद हो गया। दादा के जाने का दुःख तो किसी तरह से परिजन बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे, साथ ही पौते की भी मौत हो गई। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल बना हुआ है।