आकाश की उड़ान छोड़ जनसेवा करेंगे इमरोज पायलट-Watch Video

इमरोज पायलट की जनसेवा में रूचि देखते हुए परिवार वालो ने अब उन्हें जिला पंचायत का चुनाव लडने का फैसला सुनाया है

Update: 2020-12-21 05:28 GMT

मुजफ्फरनगर। परिवार का फैसला शिरोधार्य कर जनसेवा को अपने जीवन का मिशन मानकर लोगों की मदद में जुटे युवा की चुनौतियां कम होने के बजाये लगातार बढ़ती जा रही है। लोगों के अनुरोध पर अब उक्त युवा को जिला पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू करनी पड़ी है। 

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जनपद के बघरा ब्लाॅक के गांव मुरादपुरा निवासी अंग्रेजी के प्रवक्ता गुलाम नबी बेग के बचपन से ही होनहार पुत्र इमरोज का शिक्षा के प्रति झुकाव था। प्राईमरी शिक्षा के जीवन से ही इमरोज ने पायलट बनकर प्लेन उडाने का सपना देखना शुरू कर देना था। जिसे पूरा करने के लिए प्राईमरी के बाद जूनियर फिर हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढाई मन लगाकर की। बेटे की मेहनत और लगन को देखकर परिवारजनों ने भी इमरोज का हौंसला बढाया और कही भी विचलित नही होने दिया। जब इंटरमीडिएट में मनमाफिक नंबर नही आ पाये तो इमरोज को अपना सपना ध्वस्त होता हुआ लगने लगा। ऐसे में पिता गुलाम नबी बेग ने इमरोज का हाथ थामते हुए आगे बढने के लिए प्रेरित किया। मुजफ्फरनगर के श्रीराम काॅलेज में एडमीशन लेकर बीबीए किया। इसके बाद देहरादून में एमबीए में दाखिला लेकर डिग्री हासिल की। मगर इमरोज के सिर पर पायलट बनकर हवा में उडने की तमन्ना सवार थी और उसके लिए प्रयास जारी रखें। इमरोज के प्रयासों के आगे किस्मत भी नतमस्तक हुई तो उनका चयन फिलीपींस एयरलाईन में हो गया। प्रशिक्षण प्राप्त कर इमरोज जब अपने वतन वापिस लौटे तो उनका इंडियन एयरलाईंस में चयन हो गया और सह पायलट बनकर हवाई जहाज उडाने लगे।

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अबुल कलाम को अपना आदर्श मानने वाले इमरोज ने इंडियन एयरलाईंस में अपनी सेवाएं देने से पूर्व वेतन के रूप में केवल एक रूपया लेने की घोषणा करते हुए सभी को चौंका दिया था। अभी इंडियन एयरलाईंस में सेवाएं देते हुए दो वर्ष ही हुए थे कि परिवारजनों का घर वापसी का बुलावा आ गया। घर लौटकर परिवारजनों ने इमरोज पायलट को जनसेवा का फरमान सुनाया तो वे घर वालों के फैसले को सिर आंखों पर बैठाकर पायलट की सम्मानजनक नौकरी को छोडकर जनसेवा के काम में जुट गये। देशभर मेें कोरोना संक्रमण के कारण लगे लाॅकडाऊन के दौर में जब अपनी और परिवारजनों की जान की चिंता करते हुए घर से बाहर निकलने से भी इंसान घबराता था तो इमरोज जब लोगों की हालत जानने के लिए घर की चाहरदीवारी से बाहर निकले तो गांव वाले आटा, दाल, चावल जैसी जीवनदायक चीजों के लिए तरसते मिले। लोगों का यह दुख इमरोज पायलट से देखा नही गया और कही से इन खाद्य वस्तुओं का बंदोबस्त कर गांववालों तक पहुंचाने में जुट गयें। इमरोज पायलट की जनसेवा में रूचि देखते हुए परिवार वालो ने अब उन्हें जिला पंचायत का चुनाव लडने का फैसला सुनाया है। इमरोज पायलट घरवालों की ओर से सुनाए गये दो टूक निर्णय के बाद मिशन जिला पंचायत की फतह में जुट गये है।

 इमरोज पायलट के पिता गुलाम नबी बेग ने कहा 

उधर अंग्रेजी प्रवक्ता रहे इमरोज पायलट के पिता गुलामनबी बेग ने परिवार के फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि पैसा कमाना इतनी बड़ी बात नहीं है, लेकिन जो इज्जत और शोहरत गरीबों व असहाय लोगों की मदद के बाद दुआएं मिलती है। वह पैसे से हासिल नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि मैने गरीबी को नजदीक से देखा है और बेटे को जनसेवा के काम में उतारकर क्षेत्र का विकास करते हुए जनसुविधाओं से वंचित लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाना है। उन्होंने इंसानी जीवन के लिये शिक्षा को अहम अस्त्र बताते हुए कहा कि चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र में स्कूल, काॅलेजों की संख्या बढ़वाने के साथ साफ-सफाई आदि के बंदोबस्त कराये जायेंगे।

इमरोज पायलट की माता आरफा जबी ने कहा 

इमरोज पायलट के माता आरफा जबी से जब खोजी न्यूज ने बात की तो उन्होंने बताया कि जनसेवा उनके बेटे का शुरू से ही लक्ष्य रहा है। ढाई साल की उम्र में पायलट बनने का सपना देखने वाला उनका बेटा बचपन में भी अपने गरीब साथियों की मदद करता था। अब बड़ा होकर जब इमरोज पायलट जनसेवा में आ गया है, तो उनकी तमन्ना है कि जनता का पैसा, जो उनकी दशा-दिशा सुधारने के लिये सरकार से आता है। वह उन्हें मिलें, जिससे लोगों की गरीबी दूर हो सके।

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