किसी भी हालत में न हो भ्रूण परीक्षणः CDO

मुख्य विकास अधिकारी आलोक यादव ने कहा कि किसी भी हालत में अल्ट्रासाउंड केन्द्रों पर भ्रूण परीक्षण नहीं होना चाहिए।

Update: 2021-01-08 14:08 GMT

मुजफ्फरनगर। मुख्य विकास अधिकारी आलोक यादव ने कहा कि किसी भी हालत में अल्ट्रासाउंड केन्द्रों पर भ्रूण परीक्षण नहीं होना चाहिए। यदि भ्रूण परीक्षण होता पाया गया, तो संबंधित के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि भ्रूण परीक्षण करने वालों के बारे में सूचना देने वाले नागरिकों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जायेगा। 

आज जिला पंचायत सभागार में पीसीपीएनडीटी अधिनियम 1994 के अंतर्गत जनपद स्तरीय लिंग संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए मुख्य विकास अधिकारी आलोक यादव ने कहा कि अल्ट्रासाउण्ड केन्द्रों पर किसी भी हालत में भ्रूण परीक्षण नहीं होना चाहिए और न ही इस प्रकार के कोई संकेत दिये जायें। अगर ऐसा होता है, तो अल्ट्रासाउण्ड सैन्टरों के चिकित्सकों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।

उन्होंने कहा कि जेंडर रेशियो बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि किसी भी दशा में भ्रूण परीक्षण न हो। उन्होंने कहा कि किसी भी विज्ञापन द्वारा भ्रूण के बारे में संकेत देने को अपराध की श्रेणी में माना जायेगा तथा संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने बताया कि डिक्वाॅय आपरेशन के माध्यम से निरीक्षण गतिविधि संचालित करने का निर्णय लिया गया है। इसके अंतर्गत लिंग चयन/ भ्रूण हत्या, अवैध गर्भपात जैसे कार्यों में संलिप्त व्यक्तियों, केन्द्रों एवं संस्थाओं के सम्बन्ध में सूचना देने वाले व्यक्ति, डिक्वाॅय आपरेशन के माध्यम से निरीक्षण कार्य में सहायता करने वाली गर्भवती महिला (मिथ्या ग्राहक) एवं मिथ्या ग्राहक के सहायक को भी पुरस्कार स्वरूप धनराशि का भुगतान किया जायेगा।


मुख्य विकास अधिकारी आलोक यादव ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत मुखबिर की भूमिका, लिंग चयन, भ्रूण हत्या, अवैध गर्भपात में संलिप्त व्यक्तियों, केन्द्रों, संस्थाओं के प्रति सूचना देने तथा उसकी सत्यता प्रमाणित होने तक ही सीमित है। उन्होंने कहा कि इसके दुरुपयोग की संभावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए यह व्यवस्था की गई है कि किसी मुखबिर विशेष द्वारा कई केन्द्रों के प्रति सूचना देने पर समस्त केन्द्रों के प्रति सत्य न होने की दशा में उसे व्यवसायिक की श्रेणी में मानते हुए काली सूची में माना जायेगा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. प्रवीण कुमार चोपड़ा ने कहा कि अल्ट्रासाउण्ड कराने केन्द्र पर आने वाली प्रत्येक महिला से उनकी आईडी अवश्य ली जाये। उन्होंने कहा कि समय-समय पर पीसीपीएनडीटी समिति द्वारा छापेमारी की जायेगी और अवैध रूप से संचालित ऐसे अल्ट्रासाउंड सैन्टरों को सीज कराया जायेगा, जो भ्रूण परीक्षण में संलिप्त पाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक अल्ट्रासाउण्ड चिकित्सक अपने-अपने संस्थानों पर दो वर्ष का रिकाॅर्ड रखना सुनिश्चित करें तथा रिकार्ड का रखरखाव भी उचित ढंग से होना चाहिए। निरीक्षण के रिकाॅर्ड के रखरखाव में कमी उजागर होने पर एक्ट के प्राविधानों के अनुसार कार्यवाही की जायेगी।

कार्यशाला में डाॅ. लोकेश गुप्ता जिला क्षय रोग अधिकारी द्वारा पीसीपीएनडीटी अधिनियम 1994 के बारे में निरीक्षण अभियान के सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा कर आवश्यक जानकारी पीपीटी प्रजेन्टेशन के माध्यम से दी गई।

कार्यशाला में नगर मजिस्ट्रेट के निर्देश पर प्रतिभागियों द्वारा अपनी-अपनी जिज्ञासा व्यक्त की गई, जिसका कमैटी के सदस्यों एवं सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा समाधान किया गया। कार्यशाला में डाॅ. गीतांजलि वर्मा द्वारा पीसीपीएनडीटी से संबंधित जानकारी से समस्त चिकित्सकों एवं प्रतिभागियों को अवगत कराया गया।


कार्यशाला में डाॅ. वीके सिंह अपर मुख्य चिकित्साधिकारी पीसीपीएनडीटी द्वारा जनपद में पंजीकृत संस्थानों के संचालकों व चिकित्सकों रूपी प्रतिभागियों का स्वागत कर कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया।

कार्यशाला में डाॅ. वीके सिंह अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डाॅ. केके आहूजा वरिष्ठ रेडियोलाॅजिस्ट, डाॅ. विनीत कौशिक वरिष्ठ रेडियोलाॅजिस्ट, डाॅ. अनुज राजवंशी बाल रोग विशेषज्ञ, श्रीमती पुष्पा रानी जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी, डाॅ. कीर्ति गोस्वामी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, डाॅ. सुभाष बालियान, डाॅ. दलजीत सिंह सहित जनपद में अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत संस्थानों के संचालकों व अधिकृत चिकित्सकों के द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यशाला को सफल बनाने में पाकेश कुमार स्टेनो, रवि धीमान डीए पीसीपीएनडीटी, नरेश कुमार, नरेन्द्र, भूपेन्द्र, रतन सिंह, कपिल कुमार, दीपक कुमार आदि का सहयोग रहा।

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