बिना लाइसेंस चल रहा सिटी हॉस्पिटल सील-कई हिरासत में-दवाईंयां बरामद
अस्पताल को जिला प्रशासन और औषधि विभाग की संयुक्त टीम ने छापामार कार्यवाही करते हुए सील कर दिया है।
मुजफ्फरनगर। शहर के बीचो बीच अवैध रूप से चलाए जा रहे अस्पताल को जिला प्रशासन और औषधि विभाग की संयुक्त टीम ने छापामार कार्यवाही करते हुए सील कर दिया है। प्रशासन की इस कार्यवाही से अस्पतालों के जरिए धन बटोरने में लगे लोगों में हड़कंप मच गया है। पुलिस द्वारा कई लोग हिरासत में भी लिये गये है।
शुक्रवार को जिला प्रशासन और औषधि विभाग की टीम सिटी मजिस्ट्रेट अभिषेक कुमार सिंह और ड्रग इंस्पेक्टर लवकुश प्रसाद की अगुवाई में शहर के बीचो बीच थाना सिविल लाइन क्षेत्र में मदीना चौक के समीप स्थित सिटी हॉस्पिटल पर छापामार कार्रवाई करने के लिए पहुंची। जिला प्रशासन और औषधि विभाग की टीम ने अस्पताल के दस्तावेजों की जांच की, लेकिन अस्पताल प्रबंधन अनुमति और लाइसेंस आदि की बाबत कोई वैध कागजात टीम को नहीं दिखा सका। इस दौरान अस्पताल में योग्य डॉक्टर भी नहीं मिले, जबकि बाहर लगे बोर्ड पर कई बड़े डॉक्टरों के नाम लिखवाए गए थे। सिटी अस्पताल के भीतर मेडिकल स्टोर भी चलता मिला, जहां से लाखों रुपए की अवैध दवाइयां टीम द्वारा बरामद की गई है। जिला प्रशासन और औषधि विभाग की टीम ने अवैध रूप से चलाए जा रहे सिटी हॉस्पिटल और उसके भीतर बने मेडिकल स्टोर को सील कर दिया है। पुलिस ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए कई लोगों को हिरासत में भी लिया है। छापामार कार्यवाही के दौरान मौके पर भारी पुलिस फोर्स मौजूद रही। छापामार कार्रवाई को देखने के लिए आसपास के इलाके के लोगों का अस्पताल के इर्द-गिर्द भारी जमावड़ा लगा रहा।
बताया जा रहा है कि मदीना चौक पर उक्त अस्पताल पिछले काफी समय से चलाया जा रहा था और मरीजों से बीमारी के निदान के शुल्क में भारी धनराशि की वसूली की जा रही थी। जिला प्रशासन और औषधि विभाग की टीम की इस कार्यवाही से जनपद भर के विभिन्न स्थानों पर अवैध रूप से अस्पतालों का निर्माण कराते हुए मरीजों से ईलाज के नाम पर भारी धन बटोरने वाले लोगों में हड़कंप मच गया है। गौरतलब है कि इससे पहले भी जिला प्रशासन और औषधि विभाग की टीम की ओर से खतौली के आवास विकास स्थित एक अस्पताल के खिलाफ सीज करने की कार्रवाई की गई थी। एक अन्य चिकित्सालय भी खतौली में जानसठ रोड पर अवैध रूप से चलता हुआ पाया गया था। निरीक्षण के दौरान वहां पर भी योग्य डॉक्टर नहीं मिले थे, जबकि नर्स के नाम पर कुछ कम पढ़े लिखे लोग ही वहां पर मरीजों के इलाज में लगे थे।