भाजपा ने दिया धोखा-घोषणा पत्र में कहीं नहीं था बेचेंगे देश-टिकैत

सरकार के खिलाफ लड़ाई इस मोड़ पर आ गई है कि देश में जो 14 करोड़ लोग बेरोजगार हैं। उनके कंधों पर यह आंदोलन टिक गया है।

Update: 2021-09-05 11:20 GMT

मुजफ्फरनगर। संयुक्त राष्ट्रीय किसान मोर्चा के आह्वान पर जिला मुख्यालय पर आयोजित की गई किसान महापंचायत में उमड़ी किसानों की भारी भीड़ को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भाजपा की केंद्र व प्रदेश सरकार पर जमकर निशाने साधते हुए कहा है कि हमारा मिशन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड नहीं, बल्कि देश को बचाने का होगा। देश और संविधान को बचाने के लिए किसानों को समाज के अन्य लोगों के साथ मिलकर लड़ाई लड़नी ही होगी। आज सरकार के खिलाफ लड़ाई इस मोड़ पर आ गई है कि देश में जो 14 करोड़ लोग बेरोजगार हैं। उनके कंधों पर यह आंदोलन टिक गया है।

रविवार को जिला मुख्यालय के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान पर आयोजित की गई किसान महापंचायत मे आई भारी भीड़ को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा है कि जो देश को बेच रहे हैं उन लोगों की पहचान करनी पड़ेगी। देश में बड़े-बड़े आंदोलन चलाने पडेंगे, आज जो संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसले लिये हैं। उसके तहत हमको बड़ी-बड़ी मीटिंग पूरे देशभर में करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि यह मिशन सिर्फ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ही नहीं अब संयुक्त किसान मोर्च का मिशन पूरे देश को बचाने का होगा। यह देश बचेगा, यह संविधान बचेगा। आज लड़ाई उस मुकाम पर आ गई, कि देश के जो 14 करोड़ नौजवान साथी बेरोजगार हुए हैं, उनके कंधो पर यह आंदोलन चलाने की जिम्मेदारी है, जिस तरह से एक-एक चीज को बेचा जा रहा है, उसमें पहला धोखा सरकार का यह है कि उसके घोषणा पात्र में यह कहीं नहीं लिखा है रेल, हवाई जहाज और हवाई अड्डे बेचे जायेंगे।

उन्होंने कहा कि सरकार को यह परमिशन किसने दी, किसने ताकत दी है कि देश की प्रोपर्टी को बेचेंगे। घोषणा पत्र में नहीं लिखा कि जनता को धोखा दिया। धोखा नबंर दो बिजली बेच देंगे, बिजली को प्राइवेट करेंगे। यह धोखा नंबर दो कहीं घोषणा पत्र में नहीं लिखा, जब वोट मांगी तो नहीं कहा कि बिजली भी बेचेंगे। यह सड़क बेचेंगे। तमाम सड़कों पर टैक्स लगेगा और एनएच के आसपास कोई चाय की दुकान भी नहीं लगा सकता। अगर किसी ने वहां खोका रखा तो उसकी जमीन गांव-समाज में निहित होगी। यह देख लेना कि क्या-क्या चीज बिक रही हैं। सेल फॉर इंडिया का बोर्ड देश में लग चुका है। एलआईसी देश की बड़ी कंपनी है और बैंक भी बिक रहे हैं। इनके खरीददार कोई और नहीं है, खरीददार अडानी और अंबानी है। एफसीआई की जमीन, जहां पर हमारा भंडारण होता था वह पूरी जमीन और पूरा गोदाम अडानी को दे दिये गये हैं। अब आपके पास और भारत सरकार के पास एफसीआई का कोई गोदाम नहीं बचा है। देश के बड़े-बड़े बंदरगाह, बड़े-बड़े समुद्र तट बिक चुके हैं, जहां किसान मछली का पालन करता था। यह जल को बेच रहे हैं, जो हमारे देश का जीवन होता है, उन नदियों को बेचा जा रहा है। यह इंडिया ऑन दा सेल कोई भी किसी भी चीज की कीमत लगा सकता है, भारत बिकाऊ है, यह भारत सरकार की पॉलिसी है। अब खतरे में कौन-कौन हैं इस्पात, शिक्षा, चिकित्सा आदि के अलावा बाबा भीमराव अंबेडकर का संविधान भी खतरे में है, हमे उसका बचाना है।

उन्होंने कहा कि खेती और किसानी भी बिक्री की कगार पर है, जब यह बिक्री की कगार पर आई तो यह आंदोलन शुरू किया गया। 9 महीने से किसान आंदोलन हो रहा है, आज हालात यह है कि 10 साल पुराना ट्रैक्टर नहीं चलेगा। वो भी इसी में ही आता है। आपको बैंक में कर्जा दोगुना ले लो, आपको बैंक दोगुना कर्जा दे देगा। बैंक कहेगा कि आपका गोल्डन कार्ड ले लो, लेकिन फसलों के दाम नहीं देंगे। जिस जमीन पर आज यह महापंचायत हो रही है यह उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का क्षेत्र है, यह पूरी गन्ने की बेल्ट है। इन लोगों ने यह नहीं कहा कि हमारी सरकार आयेगी तो हम गन्ना का भाव 450 रूपये कर देंगे। यह कोई भाव देने के लिये तैयार नहीं है। यहां पर सरकार पहले भी आई, जिन्होंने 80 रूपये गन्ना का मूल्य बढ़ाया। दूसरे वाली सरकार आई 50 रूपये बढ़ाया। उन्होंने कहा कि योगी सरकार उन दोनों से कमजोर है, एक रूपया रेट नहीं बढ़ाया। हमारा 12 हजार करोड़ से ज्यादा आज शुगर फैक्ट्रियो और सरकार पर बकाया है। हम मांगते है तो यह कहते हैं कि यह राजनीति कर रहे हैं। अगर यह मुद्दे उठाने राजनीति है तो यह मुद्दे यहां के लोग उठाते रहेंगे। हमारे ऊपर बहुत तरह के ऐलिगेशन लगाये गये, हम 9 महीने से वहां पर हैं आप लोगों के बीच से वहां पर गये। यहां पर मुजफ्फरनगर की जमीन पर कदम नहीं रखेंगे जब यह आंदोलन फतेह होगा। इस देश के नौजवान और किसान की जीत होगी। तभी हम मुजफ्फरनगर आयेंगे। उन्होंने कहा कि अत्याचार बहुत है, यहां पर पुलिस फोर्स के लोग भी हैं, उनकी सैलरी 25 से 30 हजार है और ड्यूटी वह 24 घंटे देंगे, प्राइमरी के मास्टर से उनकी आधाी सैलरी होगी। वह आवाज नहीं उठा सकते, उनकी आवाज का दबाया जाता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मास्टरों को सैलरी देकर बड़े-बड़े र्क्वाटर रहने के लिये दिये जाते है, उसी तरह से इन्हें र्क्वाटर बनाकर दिये जाये। उन्होंने कहा कि जितने भी सरकारी कर्मचारी हैं, उनकी पेंसन खत्म करोगे। एमपी और एमएलए की पेंशन लोगे और कर्मचारियों की पेंशन खत्म करोगे। आप देश में निजीकरण करोगे तो रोजगार समाप्त हो जायेगा।

उन्होंने कहा कि जब टिकैत सब जीवित थे तब इस धरती से अल्लाह हू अकबर और हर-हर महादेव के नारे लगते थे। उन्होंने कहा कि यह नारे हमेशा लगते रहेंगे, यहां दंगा कभी नहीं होगा। ये तोड़ने का काम करेंगे और हम जोड़ने का काम करेंगे। किसी गलत फहमी में मत रहना, यह देश हमारा है, यह प्रदेश हमारा है और ये जिले हमारे हैं। उन्होंने कहा कि आप तैयार रहना। यह कहते हैं कि लाल किले पर किसान गया, किसान लाल किले पर नहीं अगर जाता तो प्रालियामेंट जाता, जहां पर कानून बने हैं। लाल किले पर धोखा से लेकर गये आप हमको, हमारे लोग नहीं गये हैं। उन्होंने कहा कि यहां कोई देश की एजेंसी है, जो उस पर जांच कर दे क्योंकि कोई एजेंसी बोलने के लिये तैयार नहीं है। पूरे देश और इन एजेंसियों पर इनका कब्जा हो गया है। उन्होंने कहा कि कुछ प्रेस के लोग भी पॉजिटिव दिखाने के बजाय निगेटिव दिखाते हैं और जो सही दिखा रहे उनका उन्होंने आभार जताया है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन जारी रहेगा, वो 28 तारीख की जो काली रात है उसको आप याद करते रहना, हम वहां से हटेंगे नहीं, किसी भी कीमत पर वहां से जायेंगे नहीं। देश के नौजवानों के रोजगार का सवाल है 450 रूपये क्विंटल गन्ने के भाव चाहिए हमको, हमें फसलों पर एमएसपी की गारंटी चाहिऐ। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2022 में फसलों के रेट दोगुना होंगे, आमदनी दोगुनी होगी। तीन महीने की बात रह गई है। 1 जनवरी से बिकने वाले फसले हम दोगुने रेट पर बेचेंगे, यह प्रचार हम करेंगे। हम जायेंगे देश की जनता के बीच में। पूरे देश में संयुक्त मोर्चा आंदोलन करेगा और हमने बार-बार कहा कि हमारा पंच भी यही है और मंच भी यही है। आपने हमारी बात सुनी ये 20 लाख से ज्यादा लोग मुजफ्फरनगर की जमीन पर आये सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद। अंत में राकेश टिकैत ने कहा है कि यह लड़ाई आपके दम पर ही लड़ी जायेगी और जीती जायेगी। उन्होंने किसानों को कहा कि आप अपने ट्रैक्टर तैयार करना, उनकी कभी-भी जरूरत पड़ सकती है। उन्होंने अपने सम्बोधन को समाप्त करते हुए जय हिंद और जय भारत के अलावा वाहे गुरू जी का खालसा, वाहे गुरू जी की फतेह कहकर समाप्त किया। 

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