लखनऊ। भारत वर्ष के अल्पसंख्यकों के मन में साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत के बाद एक अनजाने से भय ने दस्तक दी। इस चुनाव के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिमों के भीतर एक विश्वास की डोर कमजोर होती नजर आयी, लेकिन पहले ही कार्यकाल के शुरूआती दिनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सकरार की कार्यप्रणाली को प्रदर्शित करने के लिए 'सबका साथ-सबका विकास' का नारा दिया। उनकी पांच साल की सरकार में पूरी भाजपा इस नारे के सहारे देशभर में एक विश्वास जगाने में जुट गयी। भाजपा का मुख्य उद्देश्य उन लोगों को केन्द्र सरकार के प्रति विश्वास के दायरे में लाना रहा, जो सत्ता परिवर्तन के साथ खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे थे। 2019 में दूसरी बार जब नरेन्द्र मोदी एक नये ऐतिहासिक जनादेश के साथ सत्ता में वापस लौटे तो केन्द्र सरकार ने सबका साथ-सबका विकास के साथ ही सबका विश्वास जीतने के लिए अपनी प्राथमिकता को सामने रखा और तीन तलाक पीड़ित महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा के लिए कानून पास कराया।
आज उत्तर प्रदेश से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' की प्रतिबद्धता को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक मुहिम छेड़ने की काम की है। केन्द्र सरकार द्वारा उठाये गये साहसिक निर्णयों को जनता के बीच एक विश्वास के साथ पहुंचाने की पहल करते हुए मुख्यमंत्री ने जहां तीन तलाक कानून का सख्ती के साथ राज्य में क्रियान्वयन कराने का काम किया है, वहीं उन्होंने तीन तलाक पीड़िताओं को सामाजिक सुरक्षा कवर देने के लिए खुद को सबसे आगे प्रस्तुत करने का काम किया है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जम्मू कश्मीर में धारा 370 और धारा 35ए को हटाये जाने के बाद उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में शिक्षा ग्रहण कर रहे कश्मीरी छात्र छात्राओं के बीच भी सरकार के प्रति विश्वास जगाने के लिए खुद को उनके अभिभावक के रूप में प्रस्तुत करते हुए सरकार के निर्णयों के प्रति उनकी शंकाओं को भी दूर करने का काम किया है। राजनीतिक पैमाने पर गैर भाजपाई समुदाय के बीच इस प्रकार से विश्वास जगाने की पहले देश में किसी भी भाजपा शासित राज्य में नहीं की गयी है। कहने को भाजपा के द्वारा जम्मू कश्मीर में लिये गये फैसले के बाद देशभर में राष्ट्रीय एकता अभियान की शुरूआत की गयी है, लेकिन जिस प्रकार से मुस्लिमों में टूटते विश्वास और अलग थलग होने की उनकी चिंताओं को लेकर मुख्यमंत्री योगी ने काम किया है, वह काबिले तारीफ है।
बीते दिनों लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्रिपल तलाक से पीड़िता महिलाओं से मुलाकात की। सामाजिक प्रताड़ना झेल रही इन महिलाओं के बीच उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए एक परिवार की भांति ही सरकार को पेश करने का काम किया और उनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए खुद की प्रतिबद्धता को भी प्रस्तुत किया। तीन तलाक कानून पर उन्होंने कहा कि मैं स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभारी हूं, जिन्होंने यह कानून बनाकर सामाजिक कुरीति को दूर करने का काम किया है। हमारी सरकार इस कानून का पालन कराने के लिए संवेदनशील है। यूपी में पिछले एक साल में 273 मामले आए थे। हमने सभी में एफआइआर करवाई। मैंने यहां प्रमुख सचिव, गृह को इसीलिए बुलाया है कि वह इन सभी मामलों की खुद समीक्षा करें और जिन पुलिस कर्मियों ने लापरवाही बरती है, उन पर भी कार्रवाई हो।
इस कार्यक्रम के सहारे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के केस सरकार के द्वारा स्वयं ल़डने की व्यवस्था के साथ ही 6 हजार रुपये सालाना पीड़ितों को आर्थिक मदद देने का ऐलान किया। इसके अलावा अगर ऐसी महिला के पास घर नहीं है तो उन्हें आवास देने, उनके बच्चों की पढ़ाई, स्कॉलरशिप और आयुष्मान योजना के तहत स्वास्थ्य कवर भी दिया जायेगा। सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऐसी महिलाओं के कल्याण के लिए विशेष योजना बनाने पर जोर देते हुए उनके कमजोर होते संघर्ष को नई शक्ति और एक विश्वास पैदा करने का काम किया है।
इसके अलावा जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाये जाने के बाद लागू की गयी पाबंदियों के बाद पैदा हुई एक खाई को पाटने के लिए सीएम योगी ने उत्तर प्रदेश से संवाद का एक पुल बनाने का काम किया। उन्होंने अलीगढ़, गौतमबुद्धनगर और गाजियाबार के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे कश्मीरी छात्र छात्राओं को अपने आवास पर बुलाकर एक अभिभावक की भांति उनके मन को छूने का काम किया और संवाद के सहारे उनमें एक नये कश्मीर के उदय होने का विश्वास जगाने में वह सफल नजर आये। उन्होंने इन कश्मीरी युवाओं को केन्द्र सरकार के फैसले के भविष्य में लाभ के बारे में अपनी बात को एक बेहतर वक्ता के रूप में प्रस्तुत किया तो उनकी शंकाओं, समस्याओं और परेशानियों को अभिभावक बनकर सुना और दूर करने के लिए खुद को प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री ने जब इन कश्मीरियों के बीच कहा कि यूपी में मैं आपका अभिभावक हूं, आपके लिए बेहतर भविष्य का मुझे भरोसा है। आपकी समस्याओं का समाधान मेरी जिम्मेदारी है। सीएम के मुख से यह भरोसा सुनकर इन कश्मीरियों में भी एक विश्वास पैदा हुआ और उनके टूटते मन को भी बल मिला।
राज्य सरकार की ओर से सबका साथ, सबका विकास के नारे के प्रति सबका विश्वास जीतने के लिए किये गये इन दो प्रयासों ने भाजपा को अल्पसंख्यकों व इनमें खासकर मुस्लिमों के बीच दूसरे के मुकाबले एक नये सियासी विकल्प के रूप में प्रस्तुत करने का काम किया है। सियासी पैमाने पर गैर भाजपाई मानसिकता माने जाने वाले मुस्लिमों के बीच रहकर जिस प्रकार मुख्यमंत्री ने विश्वास बहाली की डोर को मजबूत करने का एक कदम बढ़ाया है, वह साहस दूसरे राज्यों में भाजपा सरकारों के मुखिया करने से कतराते नजर आ रहे हैं। मुस्लिमों के बीच विश्वास जीतने के लिए सीएम योगी ने संवाद का जो जो पुल स्थापित करने का काम किया है। वह इस समुदाय के लिए अंधेरे में एक रोशन चिराग की भांति ही कहा जायेगा। भाजपा की सत्ता में मुस्लिमों के कल्याण और उनके हितों को लेकर सरकार के द्वारा प्रतिबद्धता सुनिश्चित करते हुए विश्वास बहाली का सकरात्मक कदम भविष्य में बड़े परिणाम देने वाला साबित हो सकता है।