अफगानिस्तान से लौटकर आए युवक ने सुनाई खौफ भरी दास्तान

अफगानिस्तान से लौटकर वापस भारत आए शाहजहांपुर निवासी युवक ने वहां की बेहद खौफनाक भरी दास्तान सुनाई है।

Update: 2021-08-23 13:28 GMT

शाहजहांपुर। सोमवार को अफगानिस्तान से लौटकर वापस भारत आए शाहजहांपुर निवासी युवक ने वहां की बेहद खौफनाक भरी दास्तान सुनाई है। दहशत के साए में तकरीबन 30 किलोमीटर पैदल चलते हुए दूतावास पहुंचने और रास्ते में अफगान लुटेरों का शिकार बनने और खाली मैदान में तालिबान के दहशत भरे साए में कई घंटे गुजारने की कहानी सुनाते हुए जीत बहादुर थापा दहशत से सिहर उठते हैं।

शाहजहांपुर के सदर बाजार थाना क्षेत्र के चीनौर गांव के मूल निवासी जीत बहादुर थापा तकरीबन ढाई साल से अफगानिस्तान की कंसलटेंट कंपनी आईडीसीएस में सुपरवाइजर के पद पर काम कर रहे थे। इस कंपनी में भारत के तकरीबन 118 लोग उनके अंतर्गत काम करते हैं। थापा ने बताया कि वह सोमवार की सवेरे दिल्ली से वापस अपने घर शाहजहांपुर लौटकर आए हैं। उन्होंने बताया कि 15 अगस्त से 1 सप्ताह पहले से वह और उनके सहकर्मी तालिबान के काबुल को घेर लिए जाने से बुरी तरह भयभीत थे। सभी 118 लोग आपसी सलाह मशविरा करने के बाद 15 अगस्त की शाम 6.00 बजे डेनमार्क दूतावास के लिए पैदल ही रवाना हुए थे। हम लोग गली कूचों से होते हुए जा रहे थे। इस दौरान हमें तालिबान का भय भी था। इसी बीच कुछ लुटेरों ने हम सभी को रोक लिया और हमारे पास मौजूद तकरीबन 100000 रूपये और बाकी सारा सामान भी लूट लिया। दूतावास से कुछ दूर पहले ही तालिबान के कुछ सदस्य आ गए और उन्होंने पूछा कि क्या तुम लोग हिंदू हो। खुद को भारतीय नागरिक बताए जाने पर उन्होंने हमें जाने दिया। अपने साथ हुई लूटपाट की घटना में के बारे में बताने पर तालिबान ने कहा कि अफगानिस्तान के स्थानीय लुटेरे लूटपाट कर रहे हैं। जीत बहादुर थापा ने बताया कि वह और उनके साथी तकरीबन 30 किलोमीटर का पैदल सफर तय करने के बाद रात में ही डेनमार्क दूतावास पहुंच गए। इस दौरान अंधेरे में चलने के कारण कई जगह गिरने से कई लोग घायल भी हो गए हैं। बहरहाल 18 अगस्त को वह सेना के हवाई अड्डा क्षेत्र में जा पहुंचे। वहां भारी भीड़ मौजूद थी। वहां मौजूद तालिबान बंदूकधारियों ने सभी भारतीयों को तकरीबन 5 घंटे तक खुले स्थान पर जमीन पर बैठाया। तालिबान के लगातार पहरे के बीच भारतीय बिना हिले डुले जहां के तहां बैठे रहे। क्योंकि तालिबान के पास आधुनिक हथियार थे और उन्हें इस बात का डर था कि जरा सी भी हरकत करने पर कहीं उन्हें जान से ना मार दिया जाए।

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