सावधान! गड्ढों से भरी है संजय दत्त और आलिया भट्ट की यह सड़क
पिछली सदी का आखिरी साल और इसके बाद महेश भट्ट ने डायरेक्टर की कुर्सी पर बैठने के बजाए लेखक की कुर्सी-मेज पकड़ ली।
मुंबई। महेश भट्ट निर्देशित सड़क 2 डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो गयी। फिल्म कैसी है? अच्छी है? बुरी है? इसकी चर्चा करने से पहले आइए कुछ दशक पीछे चलते हैं। उसी दौर में, जब महेश भट्ट ने अपनी आखिरी फिल्म कारतूस निर्देशित की थी। यानि 1999। पिछली सदी का आखिरी साल और इसके बाद महेश भट्ट ने डायरेक्टर की कुर्सी पर बैठने के बजाए लेखक की कुर्सी-मेज पकड़ ली। और फिर अक्षय कुमार की संघर्ष से लेकर इमरान हाशमी की हमारी अधूरी कहानी तक इसी कुर्सी-मेज पर डटे रहे। 1999 में भट्ट साहब ने जब निर्देशन से संन्यास लिया था तो उनके पीछे कई क्लासिक और कल्ट फिल्मों की विरासत थी, जिनकी सार्थकता आज भी बनी हुई है। अर्थ, सारांश, नाम, डैडी, आशिकी, दिल है कि मानता नहीं, जखम, नाजायज... इनमें एक नाम 1991 की सड़क भी है, जिसका पार्ट 2 भट्ट साहब 2020 में लेकर आये हैं और जिसके जरिए निर्देशन में अपने वनवास को खघ्त्म किया है। मगर, महेश भट्ट की शानदार विरासत के मद्देनजर यह वापसी बेहद निराश और उदास करने वाली है।