भारत-आसियान डिजिटल कार्य-योजना 2022 को मंजूरी
दूसरी बैठक में भारत आसियान डिजिटल कार्य योजना 2022 को मंजूरी दी गयी है
नई दिल्ली। भारत के साथ आसियान डिजिटल मंत्रियों (एडीजीएमआईएन) की दूसरी बैठक में भारत आसियान डिजिटल कार्य योजना 2022 को मंजूरी दी गयी है।
संचार मंत्रालय ने आज यहां जारी बयान में यह जानकारी देते हुये कहा कि कल वर्चुअल माध्यम से आयोजित की गई इस बैठक की संचार राज्यमंत्री देवूसिंह चौहान और म्यामांर के यातायात एवं संचार मंत्री एडमिरल तिन आंग सान ने सह-अध्यक्षता की। भारत-आसियान डिजिटल कार्य-योजना 2022 में चोरी हुये और नकली मोबाइल हैंडसेटों के इस्तेमाल से निपटना, देशव्यापी सार्वजनिक इंटरनेट के लिये वाई-फाई नेटवर्क इंटरफेस प्रणाली बनाना, क्षमता निर्माण और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में उभरने वाले पक्षों के बारे में जानकारी साझा करना, जैसे इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 5जी, उन्नत उपग्रह संचार, साइबर फोरेंसिक, आदि सम्बंधी प्रणालियां शामिल हैं। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों में चालू और प्रस्तावित परियोजनायें भारत और आसियान देशों के बीच सहयोग को मजबूत बनायेंगी।
एडीजीएमआईएन, आसियान (एसोसियेशन ऑफ साउथ-ईस्ट एशियन नेशंस) के दस देशों – ब्रूनेई, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपीन्स, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम के संचार मंत्रियों की वार्षिक बैठक का मंच है। बैठक में संवाद साझीदार देश – ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, भारत, जापान, कोरिया गणराज्य, न्यूजीलैंड, रूस, यूके और अमेरिका भी हिस्सा लेते हैं। बैठक में डिजिटल समावेश और एकीकरण की भावना को मद्देनजर रखते हुये क्षेत्रीय डिजिटल सहयोग को मजबूत बनाने सम्बंधी विविध प्रासंगिक विषयों पर चर्चा तथा विचार-विमर्श किया गया।
डिजिटल मंत्रियों की उपस्थिति में श्री चौहान ने जोर दिया कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकियां नागरिक और सरकार के बीच उन्नत आदान-प्रदान के जरिये लोकतांत्रिक प्रणालियों तथा संस्थानों को मजबूत तथा सक्षम बनाती हैं। उन्होंने कहा कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल से निर्णय लेने की प्रक्रिया में भागीदारी करने के लिये नागरिकों को अवसर देने के साथ-साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मानवाधिकार और सूचना के मुक्त प्रवाह को प्रोत्साहन मिलता है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के जीवन को बदलने के लिये इसकी अपार क्षमता है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उस परिकल्पना का उल्लेख किया, जिसके तहत राष्ट्र के विकास के लिये विभिन्न प्रौद्योगिकीय समाधानों का उपयोग किया जा सकता है। श्री चौहान ने कहा कि कोविड-19 न केवल जन स्वास्थ्य प्रणाली के लिये चुनौती है, बल्कि वह कई देशों के आर्थिक और सामाजिक संरचना को भी झकझोर रहा है। इस परिदृश्य में, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियां एक ताकतवर उपकरण के तौर पर सामने आई हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं पर महामारी के प्रभाव को कम करने में सक्षम हैं तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये बुनियाद का काम कर सकती हैं।
शेखर
वार्ता