कोर्ट ने दिलाई कांग्रेस को खुशी-प्रदीप चौधरी की विधानसभा सदस्यता बहाल

कोर्ट ने कांग्रेस के विधायक प्रदीप चौधरी की विधानसभा सदस्यता को बहाल कर दिया ।;

Update: 2021-05-20 13:20 GMT

चंडीगढ़। हरियाणा की कालका सीट से कांग्रेस के विधायक प्रदीप चौधरी की विधानसभा सदस्यता को साढ़े तीन माह पहले समाप्त कर दिया गया था। लेकिन न्यायालय द्वारा उसके खिलाफ स्टे दिये जाने पर आज विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने उनकी सदस्यता को बहाल कर दिया ।

ज्ञातव्य है कि इस वर्ष 14 जनवरी को हिमाचल प्रदेश में सोलन जिले के नालागढ़ की न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने एक आपराधिक मामले में आईपीसी की धाराओं 143, 341, 147, 148, 353, 332, 324, 435, 149 एवं लोक संपत्ति नुक्सान निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 और 4 में एमएलए प्रदीप चौधरी को दोषी घोषित किया और 28 जनवरी को उक्त अपराधों में कुल तीन वर्ष कारावास के दंड की सजा सुनाई गयी, जिसके बाद 30 जनवरी को विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी एक गजट नोटिफिकेशन से उन्हें विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर ) द्वारा 14 जनवरी से ही सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया एवं उनकी कालका सीट को भी रिक्त घोषित कर दिया गया।

इसके बाद प्रदीप चौधरी ने सोलन जिले की सत्र अदालत में क्रिमिनल अपील दायर की जिस पर अतिरिक्त सत्र जज ने गत 12 फरवरी को निचली अदालत के उनके विरूद्ध तीन वर्षो के दंडादेश पर तो स्थगन आदेश (स्टे ) दे दिया लेकिन प्रदीप चौधरी की दोषसिद्धि (कंविक्शन) को स्टे नहीं किया गया। जिस कारण चौधरी हिमाचल हाई कोर्ट गए जहाँ उन्हें एक माह पूर्व 19 अप्रैल को स्टे प्राप्त हो गया ।

उसके बाद प्रदीप चौधरी ने 26 अप्रैल को विधानसभा स्पीकर से मिलकर उन्हें हाई कोर्ट के आदेश की सर्टिफाइड कॉपी एवं प्रतिवेदन देकर अपनी विधानसभा सदस्यता बहाल करने की प्रार्थना की थी।

इस बारे में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि प्रदीप चौधरी को निचली अदालत द्वारा दोषी घोषित कर सजा में दिए गए दंड की अवधि कुल तीन वर्ष थी जो लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 8(3) में उल्लेखित दो वर्ष की अवधि से अधिक है, इसलिए प्रदीप चौधरी को विधानसभा की सदस्यता से स्पीकर द्वारा अयोग्य एवं उनकी कालका सीट को रिक्त घोषित करने का निर्णय न्यायोचित था। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जुलाई, 2013 में लिलि थॉमस केस में मौजूदा विधायक, सांसद को उक्त 1951 कानून की तत्कालीन लागू धारा 8 (4 ) को असंवेधानिक घोषित कर खारिज कर दिया गया था। जिसके तहत दोषी घोषित विधायक, सांसद की सजा तीन माह की अवधि के लिए स्वतरू स्थगित हो जाया करती थी। जिस कारण उनकी सदन की सदस्यता बच जाया करती थी। क्योंकि उक्त अवधि में वह ऊपरी अदालत से स्टे प्राप्त कर लेते थे।

अधिवक्ता हेमंत कुमार ने बताया कि हिमाचल हाई कोर्ट के सिंगल जज जस्टिस संदीप शर्मा ने प्रदीप चौधरी की दोषसिद्धि को उनकी सत्र अदालत में लंबित याचिका का निपटारा होने तक स्टे कर दिया गया है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के तीन जज बेंच द्वारा सितम्बर, 2018 में दिए गए लोक प्रहरी केस के निर्णय अनुसार उनकी हरियाणा विधानसभा की सदस्यता को स्पीकर द्वारा बहाल किया गया है । यह बहाली हाई कोर्ट द्वारा प्रदीप चौधरी के दंडादेश स्टे करने के आदेश के दिन से अर्थात 19 अप्रैल से ही होगी ।

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