जातीय जनगणना के आंकड़े जारी- ओबीसी पड़े सब पर भारी

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार की ओर से बिहार में कराई गई जाति जनगणना में ओबीसी सबके ऊपर भारी पड़े हैं।

Update: 2023-10-02 11:58 GMT

नई दिल्ली। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार की ओर से बिहार में कराई गई जाति जनगणना में ओबीसी सबके ऊपर भारी पड़े हैं। लंबे विवाद के बाद कराई गई इस जातीय जनगणना के आंकड़ों में अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.1 फीसदी होना पाई गई है जबकि पिछड़ों की आबादी 27.12 फ़ीसदी है। दोनों को मिलाकर यह आंकड़ा 63 फ़ीसदी से भी ज्यादा है।

सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार की ओर से कराई गई जातीय जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। राज्य में अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 प्रतिशत होना पाई गई है जबकि पिछड़ों की आबादी 27.12 फ़ीसदी है। दोनों के आंकड़े मिलाकर पिछड़ा वर्ग की आबादी राज्य में 63 फीसदी से भी ज्यादा है जो किसी भी सामाजिक समूह के मुकाबले सबसे अधिक संख्या है।

बावजूद इसके स्वर्ण अभी तक राजनीति एवं अन्य क्षे़त्रों में सभी पर भारी पड़ते आ रहे हैं। राज्य में पिछड़ा वर्ग की राजनीति के लिए जनगणना के इन आंकड़ों को अब एक नई शुरुआत के तौर पर भी देखा जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि आगे चलकर अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लोगों को सरकारी योजनाओं में तरजीह देते हुए उन्हें आगे बढ़ने का प्रयास किया जाएगा।

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राज्य में अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 19.65 फीसदी है और जनजाति की संख्या का आंकड़ा 1.68 प्रतिशत है। इतना ही नहीं अनारक्षित वर्ग यानी स्वर्ण की आबादी केवल 15 प्रतिशत है इसमें वह बिरादरिया आती है जिन्हें जाति आधारित आरक्षण नहीं मिलता है।

जातियों की बात की जाए तो बिहार में सबसे ज्यादा यादवों की संख्या 14 फीसदी है जबकि ब्राह्मणों की आबादी 3.36 परसेंट है। राज्य में भूमिहारों की संख्या का आंकड़ा 2.86 प्रतिशत है। राजपूतों की आबादी 3.45 परसेंट होना पाई गई है।



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