हम नही सुधरेगें-खुले बाजार-उमडती भीड-कैसे भागेगा कोरोना और कैसे बचेगी जान

दूसरी लहर के बीच लगातार संक्रमितों के मिलने और मौतों के होने के बावजूद लोगों की आदतों में जरा सा भी सुधार नहीं आ रहा है

Update: 2021-05-13 06:46 GMT

मुजफ्फरनगर। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच लगातार संक्रमितों के मिलने और मौतों के होने के बावजूद लोगों की आदतों में जरा सा भी सुधार नहीं आ रहा है। बाजार खुलते ही लोग भीड के रूप में सामान खरीदने के लिए निकल पड़ते हैं। इस दौरान तमाशबीन लोग भी पीछे नहीं रहते हैं और वे भीड़ में इजाफा करने के लिए अपने घर से बाहर निकलकर बाजार में पहुंच जाते हैं। शहर के लोहिया बाजार और दाल मंडी आदि इलाकों के साथ जिले भर के सभी बाजारों में लोग सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए सामान की खरीदारी करने के लिए पहुंचे। अनेक स्थानों पर हालात कुछ ऐसे हुए कि लोगों को निकलने की भी जगह नहीं मिल सकी। कोढ़ में खाज बनते हुए ई-रिक्शा चालक भी सड़कों पर भीड़ बढ़ाने से जरा सी भी नहीं चूके।

देशभर के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और जनपद मुजफ्फरनगर में तेजी के साथ चल रही कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की रफ्तार को थामने के लिए सरकार की ओर से आंशिक लॉकडाउन लगाया गया है। जिसके चलते कुछ पाबंदियां लागू की गई है। लेकिन सरकार की ओर से लागू की गई पाबंदियां लोगों के पैरों को घरों के भीतर थामकर रखने में लगभग असफल सी रही है। लगातार जनपद में सैकड़ों संक्रमितों के रोजाना मिलने और अनेक लोगों की मौत होने के बावजूद भी लोगों को कोरोना का खौफ नहीं हो रहा है। लोग जान को हथेली पर रखकर अपने घर से बाहर सामान की खरीदारी करने के लिए बाजारों में पहुंच रहे हैं। उधर दुकानदार भी कुछ कम नहीं है। वह भी खरीदारी करने के लिये उमडी भीड़ का फायदा उठाते हुए सभी चीजों के दाम अधिक वसूल रहे हैं। ई-रिक्शा चालक भी भीड़ बढ़ाने के मामले में अपना बखूबी अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए पूरा सहयोग दे रहे हैं। सड़कों पर खाली ई-रिक्शा और उस में बैठी इक्का दुक्का सवारियां इस बात की स्पष्ट गवाही दे रहे हैं कि भीड़ को बढ़ाने में ई-रिक्शा चालकों का भी योगदान कम नहीं है गांव देहात के लोग भी बाईक उठाकर बाजारों में मौज मस्ती के लिए पहुंच रहे हैं। हालांकि इस दौरान पुलिस तैनात रहती है। लेकिन वह बाजार खुलने के भीड को नियंत्रित नहीं कर पा रही है। उधर कुछ लोग गुरबत का हवाला देते हुए पुलिस द्वारा की जा रही कार्यवाही पर उंगली उठाने से पीछे नहीं रह रहे हैं। जबकि पुलिस की जिम्मेदारी किसी का मुंह देखकर नहीं बल्कि सभी को आंशिक लाॅकडाउन और कोविड-19 गाइडलाइन का पाठ पढ़ाने की है।

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