विवादित मुददो को हल कराकर ग्राम प्रधान ने आसान की विकास की राह

विवादों के कारण वर्षों से जीर्णोद्धार की राह देख रहे रास्तें आज दुरूस्त होकर गांव वालोें की राह आसान बना रहे है

Update: 2020-12-11 10:29 GMT

मुजफ्फरनगर। विकास खंड बघरा क्षेत्र के गांव काजीखेडा के विकास की राह ग्राम प्रधान की जीवटता से ही आसान हो सकी है। विवादों के कारण वर्षों से जीर्णोद्धार की राह देख रहे रास्तें आज दुरूस्त होकर गांव वालोें की राह आसान बना रहे है। पूरी तरह से गांव विकास का कार्यभार देख रहे ग्राम प्रधान के भतीजे इस बार खुद इस पद के उम्मीदवार है। जिन्हें गांव विकास के किये गये अपने कामों से विश्वास है वे इस बार भी मतदाताओं की आशाओं व अपेक्षाओं पर एक बार फिर से खरा उतरकर अधूरें सपनों को पूरा करने में कामयाब होगे। 

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 शामली-मुजफ्फरनगर मार्ग पर बसा विकास खंड बघरा क्षेत्र का गांव काजीखेडा आज विकास की राह पर सरपट दौड रहा है। गांव का प्राईमरी स्कूल जिसकी इमारत पांच साल पहले पूरी तरह से जर्जर होकर गिरने को तैयार थी। आज उस स्कूल के नये भवन में शिक्षा ग्रहण कर कर रहे छात्र-छात्राओं के रूप में देश का भविष्य तैयार हो रहा है। पांच साल पहले तक गांव के शमशान घाट तक जाने वाला रास्ता जो वषों से आपसी विवाद के कारण गडढों में तब्दील हुआ पडा था। आज वह आरसीसी युक्त होकर कई गांवों के जीवित लोगों की नही बल्कि मृतकों की राह को भी आसान कर रहा है। यह सब ग्राम प्रधान दीपमाला के प्रतिनिधि विदित मलिक के अथक प्रयासों से ही संभव हो सका है।

दरअसल पांच साल पहले हुए ग्राम पंचायतों के चुनाव में विदित मलिक ने उम्मीदवार बनने का मन बनाया था। लेकिन नामांकन के समय उनकी उम्र 6 माह कम रह गई। परिवारजनों ने आपसी विचार विमर्श के बाद उनकी बुआ दीपमाला को चुनाव मैदान में उतार दिया और मतदाताओं को विश्वास जीतकर वे ग्राम प्रधान बन गई। लेकिन वे घर-गृहस्थी और चूल्हे-चैके से गांव विकास के लिए समय नही निकाल सकी और गांव विकास का कार्यभार अपने भतीजे विदित मलिक के कंधों पर डालकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो गई। अब बारी विदित मलिक की अपनी के विश्वास पर खरा उतरने की थी। जीवटता के धनी विदित मलिक ने अपनी जुझारू क्षमता और कार्य के प्रति लगन से निराश नही होने दिया और एक भारी जिम्मेदारी अपने मजबूत कंधों पर उठाकर गांव विकास पर उतर पडे। सबसे पहले उन्होने गांव के शमशान घाट जाने वाले मार्ग के निर्माण का बीडा उठाया। जो गांव वालों के आपसी विवाद के कारण बुरी तरह से गडढों में तब्दील हो चुका था। पहले उन्होंने अपनी समझबूझ से विवाद का निपटारा कराया और उसके बाद आरसीसी सडक बनवाई। निर्माण से पूर्व जिस रास्तें से लोग अर्थी ले जाने से घबरातें थें। आज उस रास्तें से जाकर मुर्दे भी सदगति को प्राप्त होते।

गांव के दो प्राईमरी और एक जूनियर स्कूल में से एक प्राईमरी स्कूल की इमारत जो पांच साल अत्यंत जर्जर हालत में गिरने को तैयार थी। आज 16 लाख के जीर्णोद्धार से वह अपने अंदर छात्र-छात्राओं के रूप में देश का भविष्य तैयार कर रही है। तालाब के समीप की 60 साल की बसापत के जिस रास्ते पर पांच पहले तक बरसात के दिनों कई-कई फुट पानी भर जाता था। कई फुट भराव के बाद तैयार हुए उस रास्ते पर आज किसी भी मौसम में जल भराव नही होता। गांव के सभी पात्र व्यक्ति वृद्धावस्था, दिव्यांग और विधवा पेंशन का लाभ लेते हुए अपने आर्थिक हालातों को बेहतर बना रहे है। गांव पथ-प्रकाश व्यवस्था, जगह-जगह आराम करने के लिए रखी सीमेंटिड बैंच, भयमुक्त गांव का वातावरण मौजूदा ग्राम प्रधान द्वारा करवाये गये गांव विकास की कहानी स्वयं बया कर रहा है। ग्राम प्रधान का कार्यभार देख रहे विदित मलिक इस बार खुद चुनाव लडने का मन बनाये हुए है।


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