शिव की महिमा- 'बम बोल बम' करते नगर से गुजर रहे कांवड़िये
महाशिवरात्रि का पर्व नजदीक आ रहा है। जैसे-जैसे पर्व नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे कांवड़ियों के पांव की चाल भी तेज़ हो गई है।
मुजफ्फरनगर। महाशिवरात्रि का पर्व नजदीक आ रहा है। जैसे-जैसे पर्व नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे कांवड़ियों के पांव की चाल भी तेज़ हो गई है। वे भगवान शिव का गुणगान करते हुए गंतव्यों तक पहुंचने के लिए नगर से गुजर रहे हैं। न तो उन्हें धूप की चिंता सता रही है और न ही रात्रि में ठंड की। वे अपनी श्रद्धा के बल पर निरंतर आगे बढ़ते जा रहे हैं।
शिवरात्रि का पर्व साल में दो बार आता है। फाल्गुन मास में महाशिवरात्रि आती है, तो सावन माह में शिवरात्रि। शिवरात्रि के पावन पर्व पर कांवड़ियों के लिए भव्य इंतजाम किये जाते हैं। सावन के माह में करोड़ों कांवड़िये जलाभिषेक करते हैं। वहीं महाशिवरात्रि के पर्व पर कांवड़ियों के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं की जाती है। शिव भक्त कांवड़िये फाल्गुन मास में पड़ने वाली महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक करने के लिए हरिद्वार से गंगाजल लेते हैं और महाशिवरात्रि के पर्व पर भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करते हैं। महाशिवरात्रि के पर्व को अब कुछ ही दिन शेष रह गये हैं। इसके चलते शिवभक्त कांवड़ियों की रफ्तार अब काफी तेज हो गई हैं।
हरिद्वार से गंगाजल लेकर कांवड़िये तेज कदमों से शिवालयों की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। महिलाएं हो या बच्चे, सभी शिव की भक्ति में लीन हैं और भगवा वस्त्र में बम भोले बम-बम का जाप करते हुए तेज कदमों से अपने गंतव्यों की ओर बढ़ रहे हैं। दिल्ली, पानीपत, हरियाणा, मेरठ आदि के कांवड़िये मुजफ्फरनगर की हृदय स्थली शिव चौक का भ्रमण कर ही आगे बढ़ते हैं। शिव मूर्ति की अपनी अलग ही महिमा है, शिवरात्रि हो या महाशिवरात्रि, सभी शिव भक्त शिव मूर्ति की परिक्रमा करने के बाद ही आगे बढ़ते हैं। मुजफ्फरनगर एक तरह से केन्द्र पड़ता है। पानीपत के कांवड़िये हों या फिर दिल्ली के, सभी को नगर से होकर ही गुजरना होता है।