कोर्ट के संज्ञान के बाद बिना अनुमति नहीं होगी दुबारा जांच शुरू
दाखिल प्रोटेस्ट अर्जी लंबित रहते हुए पुलिस अधिकारी अग्रिम विवेचना का आदेश नहीं दे सकते हैं। उनको ऐसा आदेश देने का अधिकार नहीं है।
प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष मुकदमे की फाइनल रिपोर्ट और उस पर दाखिल प्रोटेस्ट अर्जी लंबित रहते हुए पुलिस अधिकारी अग्रिम विवेचना का आदेश नहीं दे सकते हैं। उनको ऐसा आदेश देने का अधिकार नहीं है।
न्यायालय ने इस संबंध में पुलिस अधीक्षक गाजीपुर और अपर पुलिस अधीक्षक वाराणसी जोन द्वारा पारित आदेशों को विधि विरुद्ध मानते हुए एसएचओ सैदपुर गाजीपुर से व्यक्तिगत हलफनामा तलब किया है। कहा है कि यदि यह पाया जाता है कि अग्रिम विवेचना का निर्णय इन दोनों अधिकारियों के दबाव में लिया गया है तो न्यायालय उनको तलब कर स्पष्टीकरण मांगेगी।
न्यायालय ने कहा है कि यदि एसएचओ सैदपुर हलफनामा नहीं दाखिल करते हैं तो न्यायालय दोनों अधिकारियों को समन जारी कर तलब करेगी।
वाराणसी के गोविन्द नारायण की याचिका पर शुक्रवार को अवकाश के बावजूद न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
याची के अधिवक्ता अशोक कुमार मिश्र का कहना था कि याची के खिलाफ गाजीपुर जिला के सैदपुर थाने में धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। विवेचक ने विवेचना के बाद उसमें फाइनल रिपोर्ट लगा दी। रिपोर्ट पर न्यायिक मजिस्ट्रेट ने संज्ञान लेते हुए शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया। शिकायतकर्ता ने फाइनल रिपोर्ट के खिलाफ प्रोटेस्ट अर्जी दाखिल की जो अभी लंबित है। इस बीच कोराेना के कारण अदालतें बंद हो गई।
अधिवक्ता का कहना है कि मामला मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित होने के बावजूद इंस्पेक्टर सैदपुर ने एसपी गाजीपुर के 23 जुलाई 2020 के आदेश से विवेचक को इस मामले में अग्रिम विवेचना करने का आदेश दे दिया। एसपी के आदेश में अपेक्षा की गई थी कि अग्रिम विवेचना अदालत की अनुमति लेकर की जाए। और इसके परिणाम से अवगत कराया जाए। लेकिन उनको अग्रिम विवेचना के परिणाम से अवगत नहीं कराया गया। इस पर नाराजगी जताते हुए एडीजी वाराणसी जोन ने अग्रिम विवेचना की रिपोर्ट दो दिन में उनके समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि पुलिस अधिकारियों ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है। एडीजी, एसपी और एसएचओ को फाइनल रिपोर्ट लंबित रहते हुए अग्रिम विवेचना का आदेश देने का अधिकार नहीं है। उनका कार्य विधि विरुद्ध है। मामले की अगली सुनवाई चार नवंबर को होगी। कहा गया था कि एडीजी के आदेश को आधार बनाकर केस की विवेचना कर रहे दरोगा रात में याची के घर गिरफ्तारी करने भी गाजीपुर से फोर्स लेकर वाराणसी आए थे।