जनपद से सात महिलायें ही पार कर सकी हैं विधानसभा की दहलीज

जनपद से सात महिलायें ही पार कर सकी हैं विधानसभा की दहलीज

सहारनपुर। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में महिलाओं को 40 फीसद सीटों पर चुनाव लड़ाने की घोषणा से महिलाओं में जबरदस्त आकर्षण बढ़ा है लेेकिन यह भी सच है कि सहारनपुर से पिछले सात दशकों में सिर्फ सात महिलायें ही विधानसभा की दहलीज पार कर सकी हैं।

राजनीति में दिलचस्पी रखने वाली महिलाओं को प्रियंका गांधी वाड्रा की घोषणा से उम्मीद बंधी है कि अन्य दलों भी उनका अनुसरण करते हुये महिलाओं को ज्यादा मौके देंगे। आजादी के बाद से 18 बार विधानसभा चुनाव या उपचुनाव सहारनपुर जिले के इतिहास में हुए हैं,केवल छह महिलाएं ही विधानसभा पहुंचने में कामयाब हो पाई हैं। इनमें मायावती समेत चार दलित महिलाएं हैं जबकि शशि बाला पुंडीर, रानी देवलता राजपूत बिरादरी से संबंध रखती हैं।

शशि बाला पुंडीर 1993 में भारतीय जनता पार्टी से देवबंद से और रानी देवलता उसी बार मुजफ्फराबाद सीट (अब बेहट) से भाजपा से विधायक चुनी गई थीं। सहारनपुर जिले के इतिहास में दिवंगत विमला राकेश सबसे ज्यादा छह बार यानी 1977,1980,1085,1989,1991 और 2003 (उपचुनाव में) में हरोड़ा सुरक्षित सीट से विधायक चुनी गईं। इसी सीट से चार बार दलित कांग्रेस महिला नेत्री दिवंगत शकुंतला देवी चार बार 1962,1967,1969 एवं 1974 में विधायक चुनी गईं। शकुंतला देवी एक बार विधान परिषद की सदस्य भी कांग्रेस से बनाई गई थीं। हरोड़ा सुरक्षित सीट जो सहारनपुर देहात सामान्य कहलाती है, से दो बार 1996 और 2002 में बसपा सुप्रीमो मायावती विधायक चुनी गईं। संयोग यह रहा कि दोनों बार वह प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं।

सहारनपुर से छठीं महिला विधायक दलित वर्ग की सत्तो देवी थीं जो नांगल सुरक्षित सीट से 2005 में हुए उपचुनाव में बसपा उम्मीदवार के रूप में विधानसभा पहुंची थीं। यह उपचुनाव उनके विधायक पति ईलम सिंह की मृत्यु के कारण हुआ था

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