अब मुख्यमंत्री योगी की कर्मभूमि में काम करेंगी आईएएस अनुज मलिक

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मुजफ्फरनगर। जनपद में अंडर ट्रेनी आईएएस अफसर के रूप में हाल ही में तीन माह का कार्यकाल पूर्ण करने वाली अनुज मलिक अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आध्यात्मिक और राजनीतिक कर्मभूमि गोरखपुर जनपद में शासन की योजनाओं को धरातल पर लाने के साथ ही जनसमस्याओं के निस्तारण में पारदर्शी व्यवस्था के साथ काम करती नजर आयेंगी। शासन ने उनका स्थानांतरण मुजफ्फरनगर से गोरखपुर में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में कर दिया है। उनके साथ शामली से अंडर ट्रेनी आईएएस गौरव सिंह सोगरवाल का भी ट्रांसफर हुआ है, उनको भी गोरखपुर ही भेजा गया है।

बता दें कि करीब तीन माह पूर्व अंडर ट्रेनी आईएएस महिला ऑफिसर अनुज मलिक को को उत्तर प्रदेश शासन ने वाराणसी जनपद से मुजफ्फरनगर में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात किया था। अनुज मलिक ने 11 अक्टूबर 2019 को मुजफ्फरनगर में आमद दर्ज करायी। डीएम सेल्वा कुमारी जे. ने उनको मुजफ्फरनगर जनपद की सबसे महत्वपूर्ण और पुरानी तहसील जानसठ का उपजिलाधिकारी बनाया था। इसके बाद उनको जानसठ से हटाकर सदर तहसील में एसडीएम बनाया गया, वह वर्तमान में एसडीएम सदर के पद पर ही तैनात थी, कि सोमवार को उत्तर प्रदेश शासन के नियुक्ति अनुभाग-1 से विशेष सचिव धनन्जय शुक्ला का स्थानांतरण आदेश पत्र जारी किया गया। इसमें अनुज मलिक को मुजफ्फरनगर से ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के पद पर गोरखपुर भेजा गया है।


अनुज मलिक के लिए यह सौभाग्य रहा है कि उनको अपनी सर्विस के शुरूआती दिनों में ही उत्तर प्रदेश के प्रमुख जनपदों में तैनाती मिल रही है और उनको यूपी के उत्कृष्ट और उम्दा ब्यूरोक्रेट्स के अधीन काम करने और सीखने का अनुभव भी प्राप्त हो रहा है। जहां वाराणसी में उन्होंने आईएएस सुरेन्द्र सिंह के साथ काम किया तो मुजफ्फरनगर में आईएएस सेल्वा कुमारी जे. का सानिध्य उनको मिला और अब गोरखपुर में वह आईएएस के. विजयेन्द्र पांडियन के साथ काम करेंगी।

अनुज मलिक 2017 बैच की आईएएस ऑफिसर हैं। उनकी प्रथम नियुक्ति वाराणसी जैसे महत्वपूर्ण जनपद में रही हैं और दूसरी पोस्टिंग मुजफ्फरनगर में की गई। अनुज मलिक जानसठ तहसील में गजल भारद्वाज के बाद एसडीएम पद पर तैनात रहने वाली दूसरी आईएएस महिला अफसर बनी। नियमित कड़ी मेहनत और अपने विषयों पर पूर्ण कमांड को सफलता का सूत्र मानने वाली आईएएस अनुज मलिक ने अपने शुरूआती कार्यकाल से ही यह साबित किया है कि वह एक व्यवहारिक और कुशल अधिकारी हैं।



आईएएस अनुज मलिक को जब शासन ने अण्डर ट्रेनी अफसर के रूप में वाराणसी से मुजफ्फरनगर में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में भेजा तो उनके यहां आने के आदेश के साथ ही सोशल मीडिया पर यहां डीएम पद पर तैनात सेल्वा कुमारी जे. के ट्रांसफर की अफवाह भी खूब वायरल हुई। शुरूआत में अनुज मलिक को पुरुष आईएएस अफसर बताकर सोशल मीडिया पर यह ट्रांसफर सूचना जारी की गयी। अनुज मलिक की मुजफ्फरनगर में नियुक्ति की खबर जब यहां आयी तो डीएम सेल्वा कुमारी जे. के साथ एक विवाद जोरों पर चल रहा था। उन्होंने कलेक्ट्रेट से 24 साल से धरनारत मास्टर विजय सिंह को हटा दिया था, इसको लेकर ही भ्रम हुआ कि शासन ने शायद उनका ट्रांसफर कर आईएएस अनुज मलिक को भेजा है।

अनुज मलिक एक इलेक्ट्रानिक एवं कम्युनिकेशन इंजीनियर है। उन्होंने इन विषयों में बीटेक किया है। बीटेक करने के बाद अपनी माता और पिता की प्रेरणा से वह सिविल सर्विस के एग्जाम 2016 को ब्रेक करने में सफल हो पायी। उनको केवल मेरिट में आने की उम्मीद थी, लेकिन जब रिजल्ट आया तो अनुज मलिक को ही विश्वास नहीं हुआ कि उन्होंने आल इंडिया 16वीं रैंक हासिल की हैं। इस परीक्षा में जनरल स्टडी में अनुज मलिक ने 473 अंक प्राप्त किये जो सभी अभ्यर्थियों में सर्वाधिक रहे। जनरल स्टडी में अनुज मलिक सीएसई-2016 में टाॅपर रहीं। जबकि इस परीक्षा में उन्होंने 50.84 प्रतिशत अंक हासिल किये।


अनुज मलिक मूल रूप से हरियाणा राज्य के गोहाना शहर के गांव गामडी की निवासी हैं। उनके पिता जोरावर सिंह मलिक एयर फोर्स में तैनात रहे। खानपुर कलां में कन्या गुरूकुल में आठवीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद अनुज मलिक परिवार के साथ दिल्ली जाकर बस गयी थी। वहां उन्होंने एयर फोर्स बाल भारती स्कूल से 12वीं पास की और प्रोफेशनल डिग्री के लिए भारती विद्या पीठ काॅलेज ऑफ इंजीनियरिंग दिल्ली से बीटेक किया। इंजीनियरिंग उनकी च्वाइस नहीं रही, लेकिन जाॅब सिक्युरिटी के लिए वह बीटेक कर गयी। शुरूआत से ही वह सिविल सर्विस में जाना चाहती थी। बीटेक करने के बाद सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की। कोचिंग के साथ-साथ घर पर तैयारी करती रहीं। अनुज की सिर्फ एक जिद्द थी कि परीक्षा पास करनी है और वह इसे एक रिकाॅर्ड परफाॅरमेंस के साथ ब्रेक करने में सफल रही हैं। मुजफ्फरनगर में उनका कार्यकाल भले ही अल्प रहा हो, लेकिन यहां उन्होंने एक अच्छे अफसर की छवि को कायम किया। यहां सदर तहसील के गांव मुस्तफाबाद पचेंडा का मिड डे मील में चूहा प्रकरण उनके कार्यकाल का यादगार घटनाक्रम रहा।

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