कोरोना ने उजाड़ा हंसता खेलता परिवार- घर के सभी पुरुषों की मौत

कोरोना ने उजाड़ा हंसता खेलता परिवार- घर के सभी पुरुषों की मौत
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लखनऊ। चारों तरफ चल रही कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के चपेट में आकर हंसते खेलते परिवार उजड़ रहे हैं। कई लोगों पर तो कोरोना का इतना भारी कहर टूट रहा है कि अब परिवार में पुरुष के रूप में कोई भी कमाने नहीं रहा है। हालातों से चारों तरफ मरघटी सन्नाटा पसरा हुआ है। गोरखपुर के गांव ब्रह्मपुर मिठाबेल ने महज 10 दिनों के भीतर एक ही परिवार के तीनों पुरूष सदस्यों की मौत हो गई। कोरोना की भारी मार के बाद परिवार में केवल अब एक वृद्ध महिला बची है। जिसकी अपनों की याद में रो-रो कर आंखें भी पथरा गई हैं।

जनपद गोरखपुर के चोरी-चोरा के ब्रह्मपुर मिठाबेल गांव के रामानंद दुबे अपने परिवार के साथ आराम के साथ रह रहे थे। इसी दौरान आई कोरोना की दूसरी लहर ने ऐसा कहर बरपाया कि रामानंद दुबे का परिवार कोरोना का ग्रास बन गया। परिवार में तीन पुरुष सदस्य थे। जिनकी महज 10 दिनों के भीतर कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आकर मौत हो गई है। अब पूरा परिवार पूरी तरह से बिखर गया है। रामानंद दुबे के परिवार में सिर्फ एक बुजुर्ग महिला बची है। जिसकी अब अपनों की याद में रो-रोकर आंखें पथरा गई हैं। रामानंद दुबे के परिवार में बीते माह की 18 अप्रैल को कोरोना वायरस के संक्रमण ने अपनी दस्तक दी। जिसके चलते सबसे छोटे बेटे सर्वेश में कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखाई देने लगे। उसे तेज बुखार चढ़ गया और सांसे बुरी तरह से फूलने लगी। सर्वेश की हालत बिगड़ी तो पिता रामानंद दूबे अपने बड़े बेटे प्रदीप को साथ लेकर सर्वेश का इलाज कराने के लिए मौहददीपुर के एक निजी अस्पताल में ले गए।

अस्पताल में भर्ती किए गए सर्वेश को 20 अप्रैल को कोरोना वायरस का संक्रमण होने की पुष्टि हुई। 2 दिन के इलाज के दौरान सर्वेश की मौत हो गई। अभी तक उसकी शादी भी नहीं हुई थी। इस बीच पिता रामानंद दुबे की भी तबीयत बिगड़ने लगी। उन्हें भी तेज बुखार के साथ सांस फूलने की शिकायत हो गई। तुरंत ही रामानंद दुबे को ले जाकर एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। छोटे बेटे सर्वेश की मौत के दो दिन बाद ही अस्पताल में भर्ती कराए गए रामानंद दुबे की भी इलाज के दौरान मौत हो गई। सर्वेश के बाद पिता की मौत के चलते रिश्तेदारों ने एहतियातन प्रदीप की भी कोरोना जांच कराई। जिसमें वह पॉजिटिव पाया गया। परिजनों ने 26 अप्रैल को एयरपोर्ट के पास स्थित सौ बिस्तर वाले टीबी अस्पताल में प्रदीप को इलाज के लिए भर्ती कराया। जहां 6 दिनों तक जीवन पाने के लिए मौत से संघर्ष करते हुए 2 मई की सवेरे प्रदीप दुबे भी कोरोना के खिलाफ लड़ी जा रही जंग को हार गए। परिवार में अब प्रदीप की चिता को मुखाग्नि देने वाला कोई भी पुरुष नहीं बचा था। आपातकालीन स्थिति में प्रदीप के बहनोई सुनील और अरुण ने उसका अंतिम संस्कार करवाया। कोरोना संक्रमण की वजह से ब्रह्मपुर का एक सुखी परिवार में चंद दिनों के भीतर ही खत्म हो गया। बताया जा रहा है बीती 23 फरवरी को प्रदीप की पत्नी का भी निधन हो गया था। उसे गुर्दे और लीवर की बीमारी थी। सर्वेश, रामानंद दुबे और बाद में प्रदीप की कोरोना से मौत होने के बाद अब परिवार में सिर्फ रामानंद दुबे की 65 वर्षीय पत्नी ही बची है।

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