गो संरक्षण में सीएम योगी सख्त-घोटाले में सस्पेंड हुए डीएम अमरनाथ उपाध्याय

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में गोवंशीय पशुओं के संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर संवेदनशीलता एवं प्रतिबद्धता जगजाहिर कर देने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गो संरक्षण में गंभीर लापरवाही बरतने और वित्तीय अनियमितता होने पर गोरखपुर मण्डल के जिलाधिकारी व दो एसडीएम सहित पांच अधिकारियों को सस्पेंड करते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने और विभागीय जांच के आदेश दिये हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस बिग एक्शन से पूरे उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में हलचल मच गयी है। महाराजगंज में जिस आईएएस अमरनाथ उपाध्याय को जिलाधिकारी पद से सस्पेंड किया गया है, यह उनकी किसी जनपद में इस पद पर पहली ही पोस्टिंग थी, जबकि यूपी प्रशासनिक सेवा में उनको लम्बा अनुभव रहा है। अपनी पहली ही पोस्टिंग पर डीएम पद से सस्पेंड हुए अमरनाथ उपाध्याय अपने फैसलों को भी जाने जाते रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में गो संरक्षण के लिए कई बडी योजनाएं चलाने के साथ ही बेसहारा और आवारा गोवंशीय पशुओं के संरक्षण के लिए गौशाला पर जोर देने वाली सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार में गौवंश संरक्षण में पहला घोटाला सामने आया है। सोमवार को लोकभवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव एवं पशुधन विभाग के प्रमुख सचिव आरके तिवारी ने इस वित्तीय अनियमितता को उजागर किया। मुख्य सचिव आर.के. तिवारी ने बताया कि जनपद महाराजगंज के निचलौल तहसील के मधवलिया गो-सदन में निराश्रित गोवंश के रखरखाव में लापरवाही बरते जाने को लेकर शासन को लगातार शिकायतें मिल रही थी। इन शिकायतों का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर शासन स्तर से जांच का निर्णय लिया गया और इस प्रकरण में अपर आयुक्त प्रशासनिक, गोरखपुर मंडल की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित की, जिसने इस पूरे मामले की जांच की। इस जांच में गोवंश संरक्षण के लिए शासन स्तर से ली जा रही सुविधा व सहायता में दर्शाये गये गोवंश की संख्या में काफी अनियमितताएं प्राप्त हुईं।

मुख्य सचिव के अनुसार सरकारी रिकार्ड में इस गो सदन में 2500 गोवंशीय पशुओं के होने की बात कही गई थी, लेकिन मौके पर 954 गोवंश प्राप्त हुए। इसके अलावा गो-सदन की 500 एकड़ भूमि में से अधिकारियों द्वारा गैरकानूनी तरीके से 328 एकड़ भूमि को अन्य व्यक्तियों को दिए जाने का मामला भी सामने आया। मुख्य सचिव आरके तिवारी ने बताया कि अपर आयुक्त प्रशासनिक की अध्यक्षता में गठित जांच समिति द्वारा की गई जांच में जब अनियमितताओं को लहेकर आरोपी अधिकारियों को जवाब मांगा गया तो वह संतोषजनक उत्तर भी नहीं दे पाए। जांच में पाया गया कि चारे एवं गोवंश के रखरखाव के नाम पर शासकीय धनराशि का दुरुपयोग करने के लिए जानबूझकर गोवंश की संख्या अधिक दर्शाई गई थी, जो वित्तीय अनियमितता का सीधा प्रमाण है। उन्होंने बताया कि इस जांच रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदितयनाथ ने गो-सदन मधवलिया के अध्यक्ष महाराजगंज के जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय, गो-सदन के नामित सदस्य एवं तत्कालीन उप जिलाधिकारी तहसील निचलौल देवेन्द्र कुमार एवं वर्तमान उप जिलाधिकारी सत्यम मिश्रा, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी महाराजगंज डॉक्टर राजीव उपाध्याय तथा उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी निचलौल डॉक्टर वी. के. मौर्य को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया। इन सभी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के भी निर्देश दे दिए गए हैं। इसके साथ ही एफआईआर दर्ज कराने और विभागीय जांच कराने के आदेश भी मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये हैं, जिस पर कार्रवाई की जा रही है।

दो दशक बाद महाराजगंज लौटे थे अमरनाथ उपाध्याय


गौ संरक्षण और संवर्धन को लेकर बेहद संवेदनशील उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बड़ी कार्रवाई का सामना करने वाले आईएएस अमरनाथ उपाध्याय दो दशक बाद महाराजगंज जनपद में एक प्रशासनिक अफसर के रूप में लौटे थे। महराजगंज जिले में अपनी प्रशासनिक सर्विस में पहली बार उनको डीएम बनाया गया और गौ संरक्षण में अनियमितता पाए जाने पर वह यहां से निलम्बित होकर गये। मूल रुप से बिहार के गोपालगंज के निवासी अमरनाथ उपाध्याय को प्रशासनिक क्षेत्र में काम करने का लंबा अनुभव रहा है। साल 1994 के पीसीएस अधिकारी के रूप में अपनी सिविल सर्विस को शुरू करने वाले अमरनाथ उपाध्याय को एक जिद्दी अफसर माना जाता रहा है। 2016 में उनको पीसीएस से आईएएस में प्रमोट किया गया। इसके बाद उनको पहली बार 16 मार्च 2018 को महाराजगंज में जिलाधिकारी बनाया गया। 19 महीने से वह इस पद पर बने हुए थे। यहां आने से पहले अमरनाथ उपाध्याय यमुना एक्सप्रेस वे, नोएडा में एसीइओ के रुप में कार्य कर रहे थे। अब तक ये उत्तराखंड के पिथौरागढ़, धारचुला में एसडीएम, यूपी में गोरखपुर, महाराजगंज, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद में एसडीएम, बनारस, बदायूं, बलरामपुर, कानपुर देहात व बहराइट में एडीएम और लोकसेवा आयोग तथा 3 साल इलाहाबाद विकास प्राधिकरण में तैनात रह चुके हैं। अमरनाथ सबसे ज्यादा साढ़े चार साल जनपद मुजफ्फरनगर में तैनात रहे। यहां पर ये एसडीएम, सिटी मजिस्ट्रेट और एडीएम के पदों पर कार्यरत रहे। यह भी अजीब संयोग है कि महाराजगंज में जिस आईएएस उज्जवल कुमार को डीएम बनाया गया है वह भी मुजफ्फरनगर जनपद में तैनात रहे हैं। अमरनाथ उपाध्याय के लिए महाराजगंज जनपद नया नहीं था। वह यहां पर 1997 में नौतनवा तहसील में बतौर एसडीएम तैनात रहे। यह वही तहसील है, जिसके अन्तर्गत स्थित गो सदन में वित्तीय अनियमितता को लेकर उनको सस्पेंड किया गया।

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