मुजफ्फरनगर के 'कायाकल्प' में जुटीं सीडीओ अर्चना वर्मा

मुजफ्फरनगर के कायाकल्प में जुटीं सीडीओ अर्चना वर्मा
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मुजफ्फरनगर। जिलाधिकारी राजीव शर्मा के मार्ग निर्देशन में विकास कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने का दायित्व निभा रहीं मुख्य विकास अधिकारी आईएएस अर्चना वर्मा ग्रामीण अंचलों में 'कायाकल्प' करने में जुटीं हैं। उनके कई अभिनव प्रयोग जनपद में सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शा रहे हैं।

करीब पांच माह के अपने कार्यकाल में सीडीओ अर्चना वर्मा ने कलक्टर राजीव शर्मा के साथ मुजफ्फरनगर को काम के बल पर उत्कृष्ट पहचान दिलाने का काम किया है। डीएम के साथ वो एक प्रमुख टीम लीडर के रूप में हर मोर्चे पर मजबूती से खड़ी नजर आयी। स्वयं सहायता समूह से स्कूलों के विद्यार्थियों को निःशुल्क वितरित करने के लिए ड्रेस सिलाई कार्य को उन्होंने बखूबी पूरा कराया। अब वो गांवों को 'माॅडल विलेज' बनाने के लिए आॅपरेशन कायाकल्प को अंजाम तक पहुंचाने में जुटी हैं। जनपद में लुहारी खुर्द और धन्धेडा इसमें प्रयोग के लिए चुने गये थे, इस योजना में ग्रामों में स्थित सरकारी भवनों का कायाकल्प किया जा रहा है। इसमें सरकारी स्कूल, पंचायत घर, आंगनवाडी केन्द्र, अस्पताल आदि शामिल हैं। दीवारों को पेंटिंग के सहारे आकर्षक बनाया जा रहा है। लक्ष्य सभी सरकारी भवनों को माॅडल बनाना है। इसके लिए ग्राम निधि और 14वें वित्त आयोग से बजट की व्यवस्था की गयी है। सीडीओ अर्चना वर्मा ने आंगनबाडी केन्द्रों में शिक्षा हासिल करने आने वाले गरीब परिवारों के छोटे बच्चों को मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराने के लिए 'खिलौना बैंक' स्थापित कराया, इसमें साधन सम्पन्न लोगों से अपने बच्चों के यूजलेस खिलौनों को दान करने के लिए प्रेरित किया गया, ताकि इन खिलौनों से गरीब बचपन मुस्कुरा सके। विकास कार्यक्रमों को जनपद में बेहतर ढंग से लागू कराने में उन्होंने सराहनीय काम किया और इसके चलते मुजफ्फरनगर को यूपी में पांचवीं रैंकिंग हासिल हुई। अब वो कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालयों में सुरक्षा के प्रबंध मजबूत करने के प्रयासों में जुटी हैं। डीएम राजीव शर्मा के निर्देशन में इन विद्यालयों में सीसीटीवी कैमरे और होमगार्ड की व्यवस्था जल्द नजर आयेगी। स्वच्छता के पैमाने पर मुजफ्फरनगर टाॅप फाइव में स्थान बना पाया, लेकिन इस प्रदर्शन को सीडीओ अर्चना वर्मा बेहतर नहीं मानती, वो कहती हैं, ''इससे बेहतर परिणाम हो सकता था, लेकिन सर्वे कांवड यात्रा के दौरान हुआ, 40 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले मुजफ्फरनगर में 2 लाख लोगों का फीडबैक चाहिए था, जो समय से पूरा नहीं हो सका। इसलिए हम बागपत, बिजनौर से तो आगे रहे, शामली से पीछे हो गये। शामली के आगे निकलने का कारण वो कम जनसंख्या मानती हैं। अर्चना अपने व्यवहार से जितनी सरल दिखती हैं, प्रशासनिक दायित्व में वो उतनी ही सख्त अफसर मानी जाती हैं। जनपद में अनियमितता में वो कई प्रधानों के खिलाफ कार्यवाही कर चुकी हैं।

शासन ने अण्डर ट्रेनिंग आईएएस अधिकारी अर्चना वर्मा को मार्च 2017 में मुजफ्फरनगर में मुख्य विकास अधिकारी बनाकर भेजा। अर्चना अपने व्यवहार और कार्यशैली के कारण पहली पोस्टिंग से ही जनमानस के बीच चर्चा का विषय बनी रही हैं। उनको तेज तर्रार अफसर के रूप में देखा जाता है। शासन ने आईएएस में ज्वाइनिंग के बाद उनको तीसरी पोस्टिंग में पूर्वांचल से पश्चिम में भेजा गया। बचपन से लखनऊ में पली बढ़ी अर्चना वर्मा के ग्रांड पेरेंट्स बस्ती जिले के कप्तानगंज विकास खंड के नकटीदेई गांव में निवास करते हैं। उनके पिता दौलतराम वर्मा लखनऊ में डाक सहायक के पद पर कार्यरत रहे। अर्चना वर्मा ने यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा में 73वां स्थान हासिल कर इतिहास रच दिया था। 15 जून 2014 को उनके पैतृक गांव में भरपूर जश्न मनाया गया। 2014 बैच की आईएएस अधिकारी अर्चना वर्मा ने प्रारम्भिक शिक्षा लखनऊ के प्रसिद्ध पायनियर मानटेसरी इण्टर काॅलेज में ग्रहण की। कमला नेहरू इंस्टीट्यूट आॅफ टैक्नालाॅजी सुल्तानपुर से इंजीनियरिंग किया। अर्चना उ.प्र. राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि. में असिस्टेंट इंजीनियर कार्यरत रहीं। साल 2013 में उन्होंने आईएएस की परीक्षा दी और उनका सलेक्शन हो गया। सितम्बर 2014 में अर्चना वर्मा की ट्रेनिंग शुरू हुई। पहली पोस्टिंग बाराबंकी में रामसनेही घाट एसडीएम/ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के पद पर की गयी। 24 मई 2016 को डीएम अजय यादव ने उनको ज्वाइंट मजिस्ट्रेट बाराबंकी (सदर) बनाया। इसके बाद अर्चना वर्मा का तबादला शासन ने गोंडा जिले में कर दिया। यहां उनको करनैलगंज तहसील में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट तैनात किया गया। जून 2017 में आईएएस अर्चना वर्मा ने लापरवाह कर्मचारियों को प्रेरणा देने के लिए खुद अपने हाथों में झाडू उठा ली। 9 जून को कार्यालय में खुद सफाई करनी प्रारम्भ कर दी थी। यह देखकर कर्मचारियों को पसीना छूट गया था। उन्होंने वहीं तय किया कि वो खुद ही अपने कार्यालय की प्रतिदिन सफाई करेंगी। उनका तेज तर्रार व्यवहार देखकर कर्मचारी ड्यूटी के प्रति सजग हो गये। इसके बाद उनको गोंडा में सदर तहसील में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम बनाया गया, वहीं से उनको मार्च 2018 में सीडीओ मुजफ्फरनगर बनाकर भेजा गया। अर्चना वर्मा की शादी बिहार के मूल निवासी विपिन कुमार के साथ हुई। उनके पति विपिन कुमार भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी हैं। वो पहले टाटा स्टील जमशेदपुर में कार्यरत रहे हैं। शासन ने उनका स्थानांतरण असिस्टेंट कमिश्नर मेरठ के पद पर किया था। अर्चना कहती हैं, ''उनके बाबा महादेव चैधरी निरंतर उन्हें आईएएस बनने के लिए प्रेरित करते रहते थे। उनका मानना है कि सफलता के लिए विषय चयन के साथ ही व्यावहारिक दक्षता और निरंतर संवाद आवश्यक है। केवल किताबी ज्ञान से सफलता अर्जित नहीं की जा सकती। अर्चना प्रशासनिक सेवा के जरिए देश के विकास में अपना श्रेष्ठतम योगदान देना चाहती हैं। उनका कहना है कि चुनौतियों के बीच से ही सृजन का मार्ग प्रशस्त होता है।

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