बर्थडे स्पेशल- बदमाशों का अंत करने में हमेशा आगे रहे आईपीएस अनन्त देव

बर्थडे स्पेशल- बदमाशों का अंत करने में हमेशा आगे रहे आईपीएस अनन्त देव
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लखनऊ उत्तर प्रदेश में साल 2017 के बाद से ही पुलिसिंग चर्चाओं में रही है। अपराधियों के खिलाफ दो साल में जिस प्रकार एग्रीसिव पुलिसिंग का प्रदर्शन यहां के पुलिस अफसरों ने किया, वह आज सरकार की प्रमुख उपलब्धि बना हुआ है। सरकार ने अपराध मुक्त उत्तर प्रदेश का टारगेट तय किया तो अफसरों ने बदमाशों की बन्दूक की चुनौती को स्वीकार करते हुए भरपूर जवाब दिया। अपराध समाज की सबसे बड़ी बुराई है, कुछ अफसर इसको केवल एक नौकरी के दायरे से देखते हैं, तो कुछ पुलिस अफसर अपराध को मिटाने के लिए ड्यूटी को साथ लेकर एक जुनूनी जिद को पालने का काम करते हैं।


यूपी में इन दिनों औद्योगिक नगरी कानपुर में पुलिस फोर्स की कमान संभाल रहे आईपीएस अनन्त देव तिवारी ऐसे ही जुनूनी पुलिस अफसरों में शामिल हैं। अपनी सर्विस के शुरूआती दिन चम्बल जैसे बीहड़ में गुजारने वाले आईपीएस अनन्त देव का बर्थ-डे उत्साह से मनाया गया। इस दिन फिर से अनन्त देव ने अपने अपराध शून्य उद्देश्य को लेकर नये संकल्प के साथ अपराधियों के खिलाफ अभियान छेड़ने की प्रतिबद्धता को व्यक्त किया।

1987 बैच में पीपीएस अफसर अनंत देव तिवारी मूल रूप से फतेहपुर जनपद के निवासी हैं। साल 2006 में प्रमोशन मिलने के बाद वह आईपीएस बने। सर्विस के शुरूआती दिनों से ही अनन्त देव ड्यूटी के प्रति जुनूनी अफसर रहे। उनका यूपी के बड़े माफियाओं से सीधा टकराव रहा, कई बड़े केस खोलने में वह कामयाब रहे। पश्निमेंट के भय ने कभी उनके इरादों को रोकने का काम नहीं किया। यही कारण है कि आज आईपीएस अनन्त देव मौजूदा सरकार की अपराधियों पर प्रहार करती पुलिस फोर्स में विश्वास पात्र अफसरों में शामिल हैं। पीपीएस अफसर बनने के बाद उनको साल 1991 में डीएसपी इटावा के पद पर नियुक्त किया गया। यहां उन्होंने अपनी कार्यशैल से जल्द ही खास पहचान बनाई। इस दौरान राजनीतिक दृष्टि से मजबूत एक 'नेताजी' के खास आदमी से आपराधिक गतिविधि के कारण उनका पंगा हो गया। उन्होंने इस माफिया को राजनीतिक रसूख होने के बाद भी गिरफ्तार कर बन्द कर दिया। इससे राजनीतिक भूचाल मचा और अनन्त देव को सजा क तौर पर सीओ कोंच बनाकर बांदा चित्रकूट में 1993 में बीहड़ गेस्ट हाउस में कैम्प करा दिया गया, यहां उनको तेंदू पत्ता तोड़ने की ड्यूटी पर लगाया गया। यहीं से उनको पुलिस फोर्स में आने का सही मकसद मिला। चम्बल के नाम से कुख्यात इस बीहड़ में डकैतों की दहशत ने उनके भीतर रोमांच पैदा किया और वह डकैतों के नाश का इरादा लेकर जुट गये।

चम्बल के कुख्यात डकैत ददुआ और ठोकिया को किया ढेर


साल 1994 में सीओ के पद पर कार्यरत रहते हुए ही अनंत देव तिवारी ने खूंखार डकैत ददुआ का सामना कर उसे पकड़ने के लिए जानकारी जुटाने के साथ साथ प्लान बनाना भी शुरू कर दिया था। कई बाद उनको बीहड़ क्षेत्र से हटाया गया, लेकिन किस्मत बार बार उनको उसी क्षेत्र में ले जाती रही और अन्ततः 22 जुलाई 2007 को जब एसटीएफ एसएसपी अमिताभ यश की अगुवाई में एएसपी अनंत देव पूरे दलबल के साथ बीहड़ में ददुआ के गैंग की तलाश में कांबिंग कर रहे थे तो यहां कुख्यात डकैत शिवकुमार उर्फ ददुआ के आतंक की कहानी का अंत लिखा गया। इसके बाद अनन्त देव के दल वाली एसटीएफ टीम ने अगस्त 2008 को सिलखोरी जंगल में ददुआ के शिष्य छह लाख के ईनामी डकैत और उसके शिष्य अम्बिका पटेल उर्फ ठोकिया को मुठभेड़ में ढेर कर दिया। ददुआ और ठोकिया के एनकाउंटर के बाद इन्हें अपराधियों का यमराज तक कहा जाने लगा और बड़े-बड़े डकैत व अपराधियों में इनका खौफ भर गया। एनकाउंटर लिस्ट में 100 से ज्यादा बड़े अपराधियों को ढेर कर देने का रिकार्ड उनके नाम पर दर्ज हो चुका है।

आईपीएस अनंत देव-जिन्हें लोग कहते हैं, अपराधियों का यमराज

भारतीय सेवा के अधिकारी हर जिले में तैनात होते हैं। आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन अफसरों की इस भीड़ में चंद ही अधिकारी ऐसे हैं, जिनको पब्लिक कभी भुला नहीं पाती। इन अफसरों की कार्यशैली जुदा होने के कारण ही उनको अपने राज्य और विभाग के साथ ही जनता के बीच भी एक अलग मुकाम हासिल होता है। वो जहां जाते हैं, अपनी छाप छोड़ जाते हैं। लोगों के लिए खास बन जाते हैं। समाज के लिए मिसाल बन जाते हैं। ऐसे ही अफसरों में शामिल हैं उत्तर प्रदेश के आईपीएस अनंत देव तिवारी जिनको साल 2017 में एक सर्वे के दौरान भारत वर्ष के 5 सर्वाधिक चर्चित आईपीएस अफसरों में तीसरे नम्बर पर रखा गया था। लोग उनको अपराधियों का यमराज तक कहते हैं। कानपुर में जब कमान संभाली तो उनके आने के बाद अपराधी वहां सुपारी लेने से भी कतराने लगे।

अयोध्या फैसले में काम आया अनन्त देव का एस-7, एस-10 फाॅर्मूला

आईपीएस अनंत देव तिवारी जहां भी पुलिस कप्तान बने, वहां उन्होंने थाना चैकियों में पुलिसिंग की छवि सुधार मुहिम के तहत मित्र बनाने का प्रयास करते हुए एक सोशल पुलिस खड़ी की। गांव में शांति एवं कानून व्यवस्था बहाल रखने की जिम्मेदारी सोशल पुलिस में शामिल गांव के ही लोगों को दे दी गयी। उनके एस-7, एस-10 फाॅर्मूले को राज्य में अपनाया गया और डीजीपी ओपी सिंह ने सभी जनपदों में इसे लागू करने के आदेश जारी किये। आज हाल ही में अयोध्या केस में आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दौरान हम स्वयं देख चुके हैं कि किस प्रकार अनन्त देव के इस एस-7 और एस-10 फाॅर्मूले को अपनाकर कानून व्यवस्था को कायम रखने में अफसरों ने सफलता अर्जित की है। साल 2016 की शुरूआत में ही जब अनंत देव को सपा शासन में गोरखपुर जनपद की कमान सौंपी गयी तो साम्प्रदायिक स्तर पर बेहद संवेदनशील माने जाने वाले इस जिले में उन्होंने अपने इसी सोशल इंजीनियरिंग के सहारे उत्कृष्ट सफलता हासिल की। इसके बाद बुलन्दशहर और वहां के बाद मुजफ्फरनगर में भी उनका यह फाॅर्मूला काफी हद तक हिट रहा।

जब थानों से हिस्ट्रीशीट को खत्म करने का दिखाया साहस


29 मई 2017 को मुजफ्फरनगर में एसएसपी पद पर कार्यभार ग्रहण करने वाले आईपीएस अनंत देव तिवारी को बड़े फैसले लेने के लिए एक साहसिक अफसर के रूप में भी पहचाना जाता है। आज वह 150 एनकाउंटर के शिखर पर खड़े नजर आते हैं। उनके द्वारा बदमाशों की बदमाशियों को लेकर जितनी सख्ती दिखायी, उतने ही नरमपंथी वह अपराध की दुनिया को छोड़ने वाले लोगों के लिए भी रहे हैं। मुजफ्फरनगर में सुधारात्मक जीवन जी रहे अपराधियों को थानों से हाजिरी की पाबंदी से छुट्टी दिलाकर उनके द्वारा बड़ा साहसिक निर्णय लिया गया, जोकि शायद ही कोई अफसर अपनी सर्विस लाइफ में ले पाने की सोच सकता हो। उनके द्वारा हिस्टीशीट में दर्ज बदमाशों की जांच पड़ताल करायी और उनके चाल चलन के आधार पर हिस्ट्रीशीट को खत्म कराया तो वहीं अपराध की दुनिया में सक्रिय बदमाशों की नई हिस्ट्रीशीट भी खुलवाई। यहां उन्होंने 9 बड़े बदमाशों को एनकाउंटर में यमलोक पहुुंचाने का काम किया, तो सैंकडों अपराधियों को जेल भिजवाया।

20 साल बाद कानपुर में नई पारी, एक साल में बनाये नये आयाम

आईपीएस अनंत देव ने जब अगस्त 2018 में यूपी की औद्योगिक नगरी कानपुर में क्राईम कंट्रोल का जिम्मा लेकर नई पारी की शुरूआत की तो उन्होंने पुलिस के समक्ष उत्पन्न प्रत्येक चैलेंज को स्वीकार किया। एक साल बाद उनके कार्यकाल में आज कई उपलब्धियां शामिल हैं। कानपुर जिला उनके लिए नया नहीं था, दरअसल अनन्त देव 31 अगस्त 2018 को कानपुर जिले में एसएसपी पद पर चार्ज संभालने के करीब 20 साल पूर्व 1997 में कानपुर में ही डीएसपी रहे चुके हैं। उनको यहां स्वरूपनगर, सदर, कलेक्टरगंज में सीओ पद पर कार्य करने का अनुभव रहा। उस समय कानपुर के चर्चित तंबाकू व्यवसायी के पुत्र के अपरहण केस का खुलासा व कुख्यात नटवरलाल हरि महेश्वरी को गिरफ्तार करने में सफलता पाई थी। ये दोनों केस राज्य में सुर्खियों में रहे थे। इस दौरान अनंत देव ने शहर से गई गिरोहों और अंडरवर्ल्ड से जुड़े अपराधियों का एनकाउंटर किया और डी-39 गैंग की कमर तोड दी थी।

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