डा0अनिता भटनागर जैन, उ0प्र0 शासन द्वारा राजकीय जन विश्लेषक प्रयोगशाला अलीगंज लखनऊ का वृहद निरीक्षण किया गया।

डा0अनिता भटनागर जैन, उ0प्र0 शासन द्वारा राजकीय जन विश्लेषक प्रयोगशाला अलीगंज लखनऊ का वृहद निरीक्षण किया गया।
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लखनऊ। डा0अनिता भटनागर जैन, अपर मुख्य सचिव, खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग, उ0प्र0 शासन द्वारा राजकीय जन विश्लेषक प्रयोगशाला अलीगंज लखनऊ का वृहद निरीक्षण किया गया।

अपर मुख्य सचिव के द्वारा इस बात पर बल दिया गया कि प्रश्नगत विभाग में सैम्पल कलेक्शन, प्रेषण, समय से जांच व तत्पश्चात समयान्तर्गत जांच के आधार पर जो प्रकरण स्पूरियस या अधोमानक पाये जाते है उनमें मुस्तैदी से कार्यवाही की जा सकती है, क्योंकि इन सबका उद्देश्य है कि जनसामान्य के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव न पडे़। अपर मुख्य सचिव द्वारा विभाग के सभी सेक्शनों की लैब में जाकर अपने समक्ष नमूनों की टेस्टिंग भी करायी गयी।

1- सैम्पल प्राप्ति पटल के वृहद निरीक्षण में रजिस्टर में केवल प्राप्त नमूनों की सूचना पायी गयी। उपलब्ध रजिस्टर अप्रमाणित था। रजिस्टर में नमूना प्राप्ति का दिनांक अंकित होना चाहिये, जबकि वर्तमान में प्राप्ति व रजिस्टर में चढानें की तिथि भिन्न-भिन्न है। रजिस्टर में सैम्पल कलेक्शल की तिथि भी साथ ही साथ अंकित हो जानी चाहिये, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि सैम्पल लेने के उपरान्त कितने दिनों में सैम्पल प्रयोगशाला में प्राप्त हो रहा है। खाद्य सामग्री में प्रत्येक माह में छह श्रेणियों यथा- 1- दूध/ दूध से बना सामान, 2- मिठाई/नमकीन, 3- मसाले, 4- तेल/घी, 5- अनाज एवं अनाज से बने सामान, 6- अन्य वस्तुओं के जनपदवार प्राप्त नमूनों की संख्या अलग-अलग उपलब्ध होनी चाहिये। इससे प्रत्येक जनपद के सम्बन्ध में किस श्रेणी के नमूने लिये गये, यह भी स्पष्ट हो सकेगा। नमूनों के सम्बन्ध में प्रत्येक माह श्रेणीवार लिये गये नमूनों से कुल में उनका प्रतिशत स्पष्ट करने के सम्बन्ध में भी प्रारूप निर्धारित करने के निर्देश दिये गये। यह भी अपेक्षा की गयी कि रजिस्टर में सम्बन्धित नमूने के समक्ष जिस तिथि को उसके सम्बन्ध में रिपोर्ट डिस्पैच की जाये वह भी अंकित होने चाहिये।

वर्तमान में कार्यालय में इस प्रकार का कोई अभिलेख नहीं रखा जा रहा है और न ही कोई समीक्षा की जा रही है। अवगत कराया गया कि माह दिसम्बर में कुल 1143 नमूने एकत्र किये गये।

2- ज्ञात करने पर यह अवगत कराया गया कि कभी-कभी नमूने की पैकिंग सही नहीं होती है, जिसके कारण दोबारा सैम्पल मंगवाया जाता है। यह अपेक्षा की गयी कि सभी सम्बन्धित को नमूनों की पैकिंग व प्रिजरवेटिव की मात्रा डालने के सम्बन्ध में पुनः निर्देशित किया जाये। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाये कि किस दिनांक को सैम्पल लिये गये। यथा सम्भव अपरिहार्य परिस्थिति को छोड़कर, उसी दिन सैम्पल लैब को प्रेषित किया जाये। यह भी अपेक्षा की गयी कि प्रदेश के विभिन्न भागों से प्राप्त सैम्पल के रेण्डम आंकडो़ का दिसम्बर माह हेतु विश्लेषण कर अवगत करायें कि विभिन्न क्षेत्रोें के जनपदों से सैम्पल प्राप्त होने में कितने दिन लग रहे हैं, जिससे कि इस अवधि को भी घटाने के सम्बन्ध में कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। सभी सहायक आयुक्त खाद्य व औषधि निरीक्षकों को भी यह निर्देशित किया जाये कि केवल सैम्पल प्रेषण ही उनका दायित्व नहीं है वरन् साथ ही प्रेषणांपरान्त कोरियर की टैकिंग भी सम्बन्धित द्वारा देखी जाये, जिससे कि न्यूनतम अवधि में सैम्पल प्रयोगशाला तक पहुँच सके।

3- विभिन्न सेक्शनों में सेक्शन इंचार्ज का दायित्व केवल सैम्पल आवंटन नहीं है वरन् इंचार्ज के रूप में सभी जूनियर एनालिस्ट के कार्यों की समीक्षा और अनुश्रवण भी होना चाहिये। खाद्य से सम्बन्धित किसी भी सेक्शन में इंचार्ज के पास किस दिनांक के कितने नमूने विश्लेषण हेतु बाकी है, इसकी सूचना उपलब्ध नहीे थी और न ही सम्बन्धित जूनियर एनालिस्टों के पास यह ब्यौरा उपलब्ध था। निरीक्षण के दौरान ही सभी सम्बन्धित को निर्देशित करने पर सूचनाओं की गणना कर उन्हें उपलब्ध कराया गया, जिसमें मिठाई व नमकीन सेक्शन में सबसे पुराने नमूने विश्लेषण हेतु दिनांक 14.12.2018 के थे। उक्त सेक्शन में 358 नमूने विश्लेषण हेतु बाकी थे।

खाद्य सेक्शन के निम्नलिखित छह श्रेणी के प्रोडक्टो की एनालिस्टवाइज स्टेटमेन्ट निम्नवत हैः-

क्र0सं0सेक्शन का नाम लम्बित सैम्पलदिसम्बर माह तक एनालाइज सैम्पल

1234

1दूध/ दूध से बना सामान 29175

2मिठाई/नमकीन358115

3मसाले32108

4तेल/घी4520

5अनाज एवं अनाज से बने सामान16441

6अन्य वस्तुऐं111133

कुल 1001492

अनाज व अनाज से बने सामानों के सेक्शन में 164 नमूने विश्लेषण हेतु लम्बित थे, जिसमें सबसे पुराने दिनांक 26.11.2018 के थे। दूध व दूध से बने सामान में 291 सैम्पल लम्बित थे और इसमें सबसे पुराने दिनांक 20.11.2018 के थे। उक्त सेक्शन में अवगत कराया गया कि दूध के कुछ ऐसे नमूने पाये गये, जिसमें कि डिटरजेन्ट व यूरिया मिले पाये गये।

मसाले के सेक्शन में 32 नमूने विश्लेषण हेतु लम्बित थे, जिसमें सबसे पुराना दिनांक 26.12.2018 का था। उक्त सेक्शन में मसाले की पैकिंग में कुछ मिर्च व हल्दी के ऐसे सैम्पल के पैकेट थे, जिसमें उक्त मसालों के स्थान पर कैमिकल था। उक्त मसालों की पैकिंग पर फैक्ट्री का पूरा पता और रजिस्ट्रेशन/लाइसेन्स नम्बर भी अंकित नहीं था। यद्यपि कि यह मसालों के रूप में बेचे जा रहे थे परन्तु उक्त पैकेट पर छवद म्कपइसम भी अंकित था। अपर मुख्य सचिव द्वारा निर्देशित किया गया कि ऐसे प्रकरणों मेें गोपनीय रूप से अलग से प्राथमिकता से कार्यवाही की जायेगी और इसकी साप्ताहिक प्रगति शासन को उपलब्ध करायी जायेगी, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिये पूर्णतया घातक है। अधिनियम के अनुसार ऐसे प्रकरणों का अनुश्रवण कर कठोर सजा भी दिलवायी जाये।

4-विविध सेक्शन में कुल 111 नमूने लम्बित पाये गये जिसमें सबसे पुराने नमूने 12.11.18 के थे। कुछ अरहर की दाल के नमूनों में दाल खरारी पायी गयी जो कि अन्य प्रदेश से आती है तथा जो बिल्कुल अरहर की दाल जैसी लगती है, देखने को मिली। यह अवगत कराया गया कि उक्त खरारी दाल से पैरालेसिस की सम्भावना रहती है।

5- घी, तेल व वनस्पति के सेक्शन में कुल 45 नमूने विश्लेषण हेतु लम्बित थे, जिसमें सबसे पुराने 13.12.2018 के थे। सरसों के तेल की टेस्टिंग कराने में उसमें पेन्ट पदार्थों में प्रयुक्त होने वाला नदेमज लमससवू पदार्थ कुछ सैम्पलों में पाया गया। यह निर्देशित किया गया कि सेक्शन में प्रत्येक विश्लेषक के द्वारा प्रतिदिन कितने नमूनों का विश्लेषण कर रिपोर्ट दी जा रही है, इसकी सूचना भी उपलब्ध होनी चाहिये। शासन द्वारा निर्धारित मानक के परिप्रेक्ष्य में इनके विश्लेषण की संख्या की तुलना भी की जानी चाहिये। शासन द्वारा न्यूनतम विश्लेषण हेतु जो मानक निर्धारित हैं उसके सापेक्ष्य वर्तमान में कोई समीक्षा नहीं की जा रही है। यह निर्देशित किया गया कि प्रत्येक सेक्शन में प्रत्येक विश्लेषक हेतु प्रारूप निर्धारित कर दैनिक समीक्षा प्रारम्भ की जाये। सेक्शन इंचार्ज के पास कितनी रिपोर्ट प्रेषण हेतु लम्बित हैं, यह ज्ञात करने पर सीरियल व बेकरी के सेक्शन के इंचार्ज सुस्पष्ट आँकड़ा नहीं बता पाये। कितनी रिपोर्ट लम्बित है यह देखने पर उनके द्वारा अव्यवस्थित रूप से बंधी हुयी अनेक रिपोर्ट उपलब्ध करायी गयी। सेक्शन इंचार्ज को कोई जानकारी नहीं थी कि ये रिपोर्ट कब की थी। रिपोर्ट के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ कि उसमें 18 अक्टूबर, 03 नवम्बर, 12 नवम्बर, 2018 आदि के हस्ताक्षरित पूर्ण तैयार रिपोर्ट थी जो डिस्पैच सेक्शन को प्रेषित नहीं की गयी थी। प्रेषित किये जाने वाले कवरिंग पत्र पर भी पूर्व की दो एवं ढाई महीने पुरानी तिथियाँ अंकित थी, जो कि पूर्णतया गलत है। प्रश्नगत सेक्शन इंचार्ज के विरूद्ध तात्कालिक प्रभाव से आरोप-पत्र देने के निर्देश दिये गये। यह निदेर्शित किया गया कि इसकी भी माॅनीटरिंग करने की आवश्यकता है कि विश्लेषण उपरान्त रिपोर्ट अनावश्यक रोकी न जाये व जिस तिथि को हस्ताक्षर हो रहे हों उसी तिथि को डिस्पैच सेक्शन को प्रेषित की जायें।

6-औषधि सेक्शन में स्थिति बेहतर पायी गयी। यहाँ जनवरी में प्राप्त 701 नमूनों में से 361 का विश्लेषण कर लिया गया था और 340 विश्लेषण हेतु बाकी हैं। इसमें भी अपेक्षा की गयी कि कास्मेटिक्स व दवाओं हेतु जो विभिन्न श्रेणियाँ निर्धारित है, उनमें जनपदवार, श्रेणीवार प्राप्त नमूनों की संख्या उपलब्ध करायी जाये। यह भी अवगत कराया गया कि त्ममितमदबम ैजंदकंतक व कुछ प्रकरणों में सम्बन्धित दवा की कम्पनी से जंदकंतक की सूचना प्राप्त न होने के कारण विलम्ब होता है। यह निर्देशित किया गया कि जिन कम्पनियों से सूचना प्राप्त नहीं हो पायी है। उनकी अलग से सूची बनाकर आयुक्त कार्यालय से प्रयास किया जाये। साथ ही त्ममितमदबम ैजंदकंतक की जिन भी औषधियों की आवश्यकता है उनकी वार्षिक सम्भावित मांग का आंकलन दिनांक 15.02.2019 तक इसके सम्बन्ध में नियमानुसार क्रय की कार्यवाही समयान्तर्गत की जाये। प्रत्येक वर्ष के लिये समय सारणी करने के अलग से आदेश भी जारी कर दिये जाये। उपलब्ध अभिलेखों में कुछ ऐसे सैम्पल थे, जिनकी अधिनियम के अनुसार 60 दिन की अवधि पूरी हो गयी थी और कुछ की पूरी होने वाली थी। यह निर्देशित किया गया कि इस सम्बन्ध में दिनांक 21.01.2019 तक कार्यवाही सुनिश्चित की जाये, जिससे कि उक्त की अनुपलब्धता के आधार पर विश्लेषण का कार्य विलम्बित न हो।

7- डिस्पैच सेक्शन का निरीक्षण करने पर यह पाया गया कि दिनांक 02.01.2019 के उपरान्त कोई डिस्पैच कार्य नहीं हुआ। सेक्शन की डिस्पैच पटल की कार्मिक शाहना कुरैशी द्वारा अत्यन्त व्यवस्थित तरीके से रखा गये डिस्पैच रजिस्टर के अवलोकन से स्पष्ट हुआ कि 270 सैम्पल रिपोर्ट प्रेषित नहीं हुयी हैं। ज्ञात करने पर यह अवगत कराया गया कि बैंक अथवा पोस्ट आफिस से पूर्व में कोई समस्या थी, जिसका निदान कर दिया गया था। यह कदाचित चिन्ता का विषय है कि किसी भी स्तर पर डिस्पैच के सम्बन्ध में कोई समीक्षा नहीं की जा रही है। यह अत्यन्त महत्वपूर्ण रिपोर्ट है, जिसके प्रेषण में विलम्ब से अतुलनीय वितरीत प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। यह निर्देशित किया गया कि इस सम्बन्ध में सभी सम्बन्धित के विरूद्व आयुक्त स्तर पर उपयुक्त कार्यवाही कर शासन को अवगत कराया जाये।

8-

पण्सम्पूर्ण निरीक्षण से यह स्पष्ट हुआ कि किसी भी स्तर पर विभिन्न पटलों में कोई समीक्षा नहीं की जा रही है। यहाँ तक की डिस्पैच में भी। अधिनियम के तहत खाद्य सुरक्षा हेतु 15 दिन की अधिकतम अवधि निर्धारित है, परन्तु फिर भी पटलों के निरीक्षण में उपलब्ध करायी गयी सूचना के आधार पर कई महीनों में विश्लेषण किया जा रहा है।

पपण्यह निर्देशित किया गया कि गत वर्षो के उक्त प्रकरण, जिनमें सैम्पल घातक पाये गये उनकी जनपदवार अलग-अलग सूची बनायी जाये और उनकी समीक्षा प्रारम्भ की जाये। उक्त सूची व समीक्षा की सूचना शासन को भी उपलब्ध करायी जाये। खाद्य सामग्री में कैमिकल मिलाना व ऐसा पदार्थ मिलाना, जिससे कैन्सर, पैरालेसिस आदि बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे प्रकरणों में न्यूनतम अवधि में अनुश्रवण कर कठोर सजा करायी जाये।

जनसामान्य , ग्राहकों, दुकानदारों आदि को जिन प्रकरणों में जागरूक किया जा सकता है उसके लिये जागरूकता हेतु कार्यक्रम बनाकर सुस्पष्ट विवरण सहित उपलब्ध कराया जाये।

पअण्यह भी निर्देशित किया गया कि, जिन खाद्य सामग्रियों के एफ0एस0एस0ए0आई0 से मानक निर्धारित नहीं है यथा मल्टीग्रेन ब्रेड आदि ऐसी सामग्रियों की सूची बनाकर एफ0एस0एस0ए0आई0 को शासन से मानक हेतु अनुरोध किया जाये।

अण्विभिन्न तकनीकी विश्लेषकों की जानकारी अध्यावधिक करने हेतु उनके प्रशिक्षण के लिये रणनीति बनाकर एक सप्ताह में उपलब्ध कराया जाये।

9- सभी प्रयोगशालाओं में ज्वलनशील पदार्थो का उपयोग होता है। बिल्डिंग में लगे फायर सिस्टम का वास्तव में ट्रायल कराकर एक सप्ताह में अवगत कराया जाये कि उक्त सिस्टम कार्य करता है या नहीं। साथ ही वहाँ जो फायर एस्टिंग्यूसर लगे थे उन पर एक्सपाॅयरी अवधि अंकित नहीं थी, उसको भी स्पष्ट रूप से अंकित किया जाये। सभी सम्बन्धित अधिकारियों व महिलाओं की भी फायर एस्टिंग्यूसर के उपयोग के सम्बन्ध में एक सप्ताह में व्यावहारिक प्रशिक्षण कराकर अवगत कराया जाये।

दिसम्बर तक खाद्य के 22445 नमूने लिये गये तथा औषधियों के 5574 नमूने लिये गये कुल 28029 नमूनों में से 19574 खाद्य के विश्लेषित हुये और औषधि के 5518 नमूने विश्लेषित हुये। दिनांक 01.04.2018 से 31.12.2018 तक विश्लेषित नमूनों का प्रतिशतवार विवरण निम्नलिखित हैः-

कुल विश्लेषित नमूनेमानकानुसार मिथ्याछाप अधोमानक असुरक्षित

खाद्य1959462ः

औषधि551892

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