जन्मदिन विशेषः मुजरिमों के जुर्म के 'डाक्टर' बने आईपीएस अजय पाल शर्मा

जन्मदिन विशेषः मुजरिमों के जुर्म के डाक्टर बने आईपीएस अजय पाल शर्मा

लखनऊ। गौतमबुद्धनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डाॅ. अजय पाल शर्मा अपने काम से शासन में अलग पहचान बना चुके हैं। सात साल की सर्विस में ही उन्होंने तीन राज्यों में आतंक और दहशत का पर्याय बने सुन्दर भाटी गैंग के दायें हाथ कुख्यात ढाई लाख के ईनामी बलराज भाटी जैसे बदमाशों को ठिकाना लगाने का काम किया। वो 60 से ज्यादा एनकाउंटर में शामिल रहे हैं। उनके जन्म दिन पर खोजी न्यूज टीम उनके सर्विस के कुछ अनछुए पहलुओं की रपट सामने लाई है।

मूलतः पंजाब राज्य के लुधियाना के रहने वाले 2011 बैच के आईपीएस डाॅ. अजय पाल शर्मा ने स्टेट मैट्रिक एग्जाम में 100 परसेंट माक्र्स स्कोर किए थे। इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने बीडीएस किया। डिग्री कम्प्लीट करने के बाद उन्होंने पंजाब सरकार के डेंट्सप्लाई प्रॉजेक्ट में इंटरनशिप की। इसी दौरान उन्होंने सिविल सर्विसेज में भाग्य आजमाने की सोची। दो साल की मेहनत के बाद सेकंड अटैम्प्ट में इनका सिलेक्शन आईपीएस के लिए हुआ। जिस समय डाॅ. अजय पाल ने यूपीएससी सिविल सर्विस का एग्जाम बे्रक किया, उस दौरान वो भारतीय जीवन बीमा निगम में जॉब कर रहे थे। 2010 के यूपीएससी एग्जाम में 160वीं रैंक के साथ डाॅ. अजय पाल शर्मा को आईपीएस मिला। मैट्रिक में उत्तर प्रदेश राज्य में टाॅप-10 में मैथ्स, साइंस और लुधियाना में अंग्रेजी टॉपर के साथ मेडिकल में बीडीएस के सभी चार सालों में इंटर्नशिप में अभिनव के रूप में अच्छी तरह से कार्य करने पर डाॅ. अजयपाल शर्मा को इंटर्नशिप के दौरान डिस्ट्रिप परियोजना के लिए चुना गया। आज वो आईपीएस के रूप में 'मुजरिमों का डाक्टर' बनकर समाज में व्याप्त अपराध रूपी नासूर का उपचार करने में जुटे हैं। इस मार्ग पर आॅपरेशन दर आॅपरेशन सफलता ने डाॅ. अजय पाल शर्मा को आईपीएस की अलग जमात में खड़ा कर दिया है। 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी डॉ। अजयपाल 6 साल के करियर में 60 से ज्यादा एनकाउंटर में शामिल रह चुके हैं। उनका मानना है, ''एनकाउंटर होने से ही नोएडा में क्राइम कम होगा। क्राइम करते पकड़े जाने के दौरान कोई बदमाश अगर फायरिंग करता है तो पुलिस उसका जवाब जरूर देगी।'' नोएडा में एसएसपी बनने से पहले वह शामली में डेढ़ साल व हाथरस में 9 महीने एसपी के पद पर कार्यरत रह चुके हैं। इससे पहले गाजियाबाद में एक साल एसपी सिटी और मथुरा में डेढ़ साल एएसपी और सहारनपुर में 6 महीने अंडर ट्रेनिंग एएसपी रह चुके हैं। दांतों के डाॅक्टर से 'मुजरिमों का डाॅक्टर' के रोचक सफर को लेकर आईपीएस डाॅ. अजय पाल शर्मा कहते हैं, ''अपने चिकित्सीय प्रोफेशन के दौरान विभिन्न मरीजों के सम्पर्क में रहने के बाद मैंने अपने व्यक्तिगत अनुभव में यह पाया कि प्रशासन के कुछ हिस्सों में होने वाली चूक अपराध रूपी गम्भीर रोग फैलाव के लिए उच्च स्तर पर जिम्मेदार हैं, नागरिकों में जागरुकता के अभाव में भी ये रोग समाज में फैलते हैं और समाज के स्तर से होने वाली ये कमी भी उतनी ही जिम्मेदार हैं, जितना की सिस्टम। तब मैंने सिविल सेवा में शामिल होने की सोच विकसित कर एक मोटिव तय किया। हालांकि यह विचार अभी तक ठोस नहीं था और मैं दंत चिकित्सा के साथ अपने प्रोफेशन को जारी रखने पर अडिग बना रहा। मैंने स्नातक होने के बाद दंत चिकित्सा में अन्य काम सीखना शुरू किया, लेकिन मन के अन्दर कहीं ना कहीं एक कमी से खलती रहती थी। प्रोफेशनल तौर पर सेटल्ड होने के बाद भी कुछ ओर मंजिल तय करने का इरादा बनाता रहता, अंततः नवंबर 2008 में मैं सिविल सेवक बनने को लगभग 25 नवंबर को चंडीगढ़ में एक संस्थान में शामिल हो गया था। मैं अपनी एसएससी परीक्षा के बाद ईमानदारी से प्रारंभिक तैयारी कर रहा था। मैंने पिता जी से बहुत मार्गदर्शन के साथ विश्वास हासिल किया और जब एचसीएस पूर्वरेखा परिणाम 3 मई को घोषित किया गया था, मैं स्पष्ट था और इससे अधिक आत्मविश्वास हासिल कर लिया। अब यूपीएससी की प्री 17 मई को हुई थी और मैंने बहुत कड़ी मेहनत की थी और प्री में अच्छा प्रदर्शन किया था। फिर मैंने दूसरा विकल्प चुनने के लिए जूलॉजी की तैयारी शुरू की और मेरी एचईसीएस परीक्षा 22 अगस्त से 3 सितंबर तक की थी। फिर यूपीएससी मेन के परिणाम आए। लिखित परीक्षा को अच्छे ढंग से देने के बाद, मुझे साक्षात्कार कॉल मिला। साक्षात्कार की तैयारी में जुट गया। पिता जी से सहायता ली, उनके मार्गदर्शन से मुझे मुख्य रूप से सफलता हासिल करने के लिए बहुत आत्मविश्वास था। बाद में एचसीएस मुख्य परिणाम भी घोषित किया गया जिसमें मैंने जूलॉजी को चुना था, लेकिन मैंने इसे भी क्लियर किया और दिसंबर में साक्षात्कार के लिए दिखाई दिया। एक सप्ताह बाद पंजाब पीसीएस प्रीमिम्स था, जिसे मैंने क्लियर किया। फिर सीएसई के लिए यूपीएससी से साक्षात्कार कॉल की गई और इस समय मुझे केके पॉल बोर्ड के बारे में पता नहीं था, बहुत उदार बैठक नहीं रही थी, लेकिन लिखित परीक्षा में उच्च अंक के कारण मुझे सिविल सर्विस परीक्षा के लिए रैंक 160 मिला और इस तरह से मैं एक दंत चिकित्सक से आईपीएस बना। यहां तक पहुंचना आसान नहीं रहा, मेरे लिये यह सफर बहुत सारे ट्विट्स और टर्न के साथ एक गम्भीर जटिल यात्रा की तरह था। इस दौरान कई हर्षित करने वाले क्षण भी आये और कई बार हतोत्साहित होकर मैं अवसाद का शिकार भी हो गया, लेकिन अंत सुखदाई रहा और पुलिस सेवा चुनने पर मैं गौरव का अनुभव करता हूं।

दि रियल कमांडर--डाॅ. अजय पाल शर्मा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस के तेज तर्रार आईपीएस डॉ. अजय पाल शर्मा किसी पहचान के मोहताज नहीं है। 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी अजय पाल शर्मा ने 7 साल के करियर में अपनी अलग कार्यशैली से काम के दम पर महकमे में एक अलग पहचान बना ली है। यही नहीं जहां भी डॉ. अजय पाल शर्मा की तैनाती रही, वहां उन्होंने काम करके तो दिखाया ही, अपने व्यवहार से आम लोगों में एक अमिट छाप भी छोडी है, हाथरस और शामली की जनता आज भी उनको याद करती है। डॉ. अजय पाल इन दिनों उत्तर प्रदेश के इण्डस्ट्रीयल हब के रूप में मशहूर गौतमबुद्ध नगर जिले में बतौर एसएसपी अपराधियों को धूल चटा रहे हैं। शामली में छह कुख्यात बदमाशों को एनकाउंटर में यमलोक पहुंचाने वाले आईपीएस अजय ने नोएडा में पहुंचने पर भी ये जौहर कायम रखा और तीन राज्यों का सिरदर्द बन चुके माफिया बलराज भाटी व एके 47 के सहारे खौफ का कारोबार करने वाले लखटकिया श्रवण चैधरी को ढेर कर 'एग्रीसिव पुलिसिंग' दिखाई। जब से इस आईपीएस ने नोएडा जिले की कमान संभाली है। अपराधी बिल में घुस गए हैं। जिले में कानून का राज कायम होता चला गया। डॉ. अजय पाल शर्मा का जन्म पंजाब के लुधियाना में 26 अक्टूबर 1985 को हुआ था। अजय पाल के पिता अमरजीत शर्मा और मां प्रेम शर्मा की दो संतान है। अजय पाल इनके बड़े बेटे हैं, जो यूपी कैडर के 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। जबकि अजय के छोटे भाई डाॅ. अमृत पाल शर्मा आईएएस अधिकारी हैं। 2016 में डाॅ. अजय पाल शर्मा की शादी हुई। इनकी पत्नी का नाम अदिति शर्मा है। अदिति भी अजय पाल को उनके काम में पूरा सहयोग देती हैं। अजय पाल शर्मा अपने पिता अमरजीत शर्मा को अपना आदर्श मानते हैं। अमरजीत पंजाब में सरकारी स्कूल में एक पंजाबी शिक्षक के रूप में कार्यरत रहे। डाॅ. अजय पाल शर्मा बचपन से ही शाॅर्प माइंड रहे। स्कूल-काॅलेज में टाॅपर रहना उनका शगल बन गया था। गणित, अंग्रेजी और विज्ञान जैसे विषयों में अजय पाल की पकड़ ऐसी थी कि परीक्षाओं में इन विषयों में उनके नम्बर 100 में से 100 रहे। मेडिकल लाइन चुनने पर उनको बीडीएस में एडमिशन मिला, यहां भी उन्होंने अपना जलवा बिखेरते हुए टाॅप थ्री में स्थान पाया।

ट्रेनी अफसर के रूप में ही मुकीम काला-कग्गा बन गए थे टारगेट

19 दिसम्बर 2011 को अजयपाल शर्मा ने आईपीएस के रूप में यूपी पुलिस को ज्वाइन किया। पहली ही पोस्टिंग से उन्होंने उसी प्रकार समाज से अपराध रूपी बुराई को खत्म करने के लिए 'सर्जिकल स्ट्राइक' शुरू कर दी, जिस प्रकार वो अपने बीडीएस पेशे में मुंह के जबडे से खराब और कीड़ा लगे जाड़-दांतों को उखाड़ फैंकने में माहिर थे। 20 फरवरी 2013 से 20 जुलाई 2013 तक सहारनपुर में ट्रेनी अफसर के रूप में तैनात रहे डाॅ. अजय पाल शर्मा को सरसावा थाने में एसओ बनाया गया। इसी दौरान जून 2013 में सहारनपुर में एक ऐसी घटना घटी, जिसने डाॅ. अजय पाल शर्मा को आज का 'एनकाउन्टर स्पेशलिस्ट' बनने का मोटिव दिया। 5 जून 2013 को हरियाणा बार्डर से लगते सहारनपुर के गांव घोड़ों पीपली में दो पेट्रोल पंपों पर वरना कार सवार बदमाशों ने अलसुबह धावा बोलकर छह लाख रुपये लूटे, फिर वह सहारनपुर सिटी की ओर भाग लिए। वायरलेस पर सूचना फ्लैश होते ही पुलिस चैकस हो गई। सहारनपुर में तत्कालीन सीओ सदर उमेश कुमार सुबह करीब 9.30 बजे सिपाहियों के साथ बदमाशों की तलाश को चिलकाना निकल पड़े। सर्किट हाउस के पास उन्हें सफेद रंग की वरना कार दिखाई दी। उन्होंने कार का पीछा शुरू कर दिया। बदमाशों ने अपनी कार गलीरा रोड पर बसपा विधायक रविंद्र कुमार मोल्हू के घर के सामने मोड़ दी, लेकिन सामने से आ रही ट्रैक्टर ट्राली के कारण कार फंस गई। सीओ के हमराह सिपाही राहुल ढाका निवासी गांव ढिकौली, थाना पिलाना जनपद बागपत, सीओ की बुलेरो से उतर गए और बदमाशों की कार के पास पहुंचकर उसकी खिड़की खोलनी चाही। कार में बैठे बदमाश ने राहुल पर फायर झोंक दिया। गोली पार निकल गयी, सिपाही ने वही दम तोड़ दिया। बदमाश सिपाही राहुल की कारबाइन भी लूटकर फायरिंग करते हुए फरार हो गए। इस वारदात ने यूपी में सियासी भूचाल ला दिया था। इस घटना ने आईपीएस डाॅ. अजय पाल शर्मा को मुकीम काला गैंग के सफाये का मोटिव दिया। सिपाही राहुल की हत्या करने वाला बदमाश मुकीम काला ही था, ये बात 31 अगस्त को चिलकाना की अजीज कालौनी से तत्कलीन देहात कोतवाली प्रभारी इंस्पेक्टर राजेन्द्र त्यागी के द्वारा मुठभेड़ में दबोचे गये मुकीम के गैंग के बदमाश वाजिद काला निवासी जंधेडी ने पुलिस को बताई थी। राहुल ने कार में बैठे मुकीम का गिरेबान पकड़ लिया था। इसी पर मुकीम ने उसके सीने से पिस्टल सटाकर गोली मार दी।

अपराध पर खुद करते हैं काम, सर्विलांस पर कमांड

आईपीएस डाॅ. अजय पाल शर्मा छोटे से छोटे अपराध के खुलासे को लेकर भी खुद काम करते हैं, उसे चुनौती मानकर स्वीकार करने की अनकी आदत ही उनको दूसरे कई पुलिस कप्तानों की कतार से जुदा करती है। पुलिस कप्तान रहते हुए अजय पाल पुलिस के तकनीकी मुखबिर सर्विलांस पर खुद कमांड रखते हैं, अपराध पर खुद काम करते हैं, मुखबिर से उनका सीधा सम्पर्क रहता है और किसी भी मुठभेड़ को खुद लीड करते हैं, यही कार्यशैली उनको इस मुकाम तक लेकर आई है। शामली में 22 जनवरी 2017 को एसपी के रूप में डाॅ. अजय पाल शर्मा ने एक बड़ा अभियान शुरू किया था। इस अभियान के पहले छह घंटे में ही शामली पुलिस ने 57 किलोग्राम डोडा (नशीला पदार्थ), 26 चोरी की बाइक, 15,700 लीटर कच्ची शराब, 97,000 लीटर लहन, एक शस्त्र फैक्ट्री का भंडाफोड़ कर 20 असलाह बरामद कर अपराधियों में हलचल मचा दी थी।

क्राईम कंट्रोल पर हरियाणा के सीएम ने किया सम्मानित

आईपीएस डाॅ. अजय पाल शर्मा की कार्यशैली के चर्चे यूपी तक ही सीमित नहीं हैं, जब वो शामली जनपद में एसपी के रूप में अपराध जगत की रीढ़ तोड़ने का काम कर रहे थे तो करनाल में एक समारोह के दौरान हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने अजय पाल को सम्मानित करते हुए उनकी क्राइम कंट्रोल की कला को प्रशंसनीय बताया था। बता दें कि हरियाणा राज्य की सीमा शामली जनपद से मिलती है और यहां के अपराध से हरियाणा राज्य भी काफी प्रभावित रहता है। यहां के अपराधियों के द्वारा हरियाणा में वारदातों को अंजाम दिया जाता रहा, शामली में बदमाशों के खात्मे से हरियाणा में सुकून दिखा।

सिपाही के बेटे के लिए किया रक्तदान

आईपीएस डाॅ. अजय पाल शर्मा ने जहां गलती पर एक सख्त मिजाज अफसर बनकर अपनों को सजा देने से कोई गुरेज नहीं किया, वहीं उनकी सामाजिक व पारिवारिक परेशानियों में आईपीएस अजय एक अभिभावक के तौर पर खड़े नजर आये। जनपद गौतमबुद्धनगर के सूरजपुर स्थित पुलिस लाइन में सितम्बर 2018 के पहले सप्ताह में एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इसमंें सभी अफसरों को बुलाया गया। वजह थी सेक्टर-24 कोतवाली में तैनात सिपाही गोविंद के ब्लड कैंसर से पीड़ित बेटे के लिए खून जुटाने की। इसकी जानकारी मिली तो बच्चे के लिए एसएसपी डाॅ. अजय ने यह आयोजन कराने में देर नहीं की। एसएसपी डाॅ. अजय पाल शर्मा के साथ सभी एसपी, सीओ और थाना प्रभारियों ने इस शिविर में रक्तदान कर इंसानियत की मिसाल पेश की और इस शिविर के माध्यम से 'पुलिस मित्र' का प्रेरक संदेश दिया गया। इस शिविर में 30 यूनिट ब्लड एकत्रित किया गया।

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