अपराधियों के यमदूत आईपीएस अजय पाल शर्मा

अपराधियों के यमदूत आईपीएस अजय पाल शर्मा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद सियासी बिसात पर निजाम बदलने के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पहला जोर पहले ही दिन से कानून व्यवस्था पर रहा। सरकार की इसके पीछे दूरगामी सोच रही, क्योंकि राज्य के विकास के लिए यहां पर क्राइम ग्राफ को नीचे लाकर एक विश्वास जगाना भाजपा सरकार की सबसे बड़ी चुनौती मानी जा रही थी, माहौल बदलने पर इसलिए भी सरकार ने जोर रखा ताकि उत्तर प्रदेश को 'उत्तम प्रदेश' बनाने के लिए यहां पर देश और विदेश से भारी निवेश लाया जा सके। सत्ता बदली तो इसका असर अफसरों की कार्यशैली पर भी नजर आया। इस सरकार ने अपराधियों में खौफ पैदा करने वाले 'मारक क्षमता' वाले अफसरों को आगे बढ़ाने का काम किया। इसी कड़ी में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट छवि के कारण राज्य में अलग पहचान रखने वाले आईपीएस डाॅ. अजय पाल शर्मा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गौतमबुद्धनगर (नोएडा) जनपद के पुलिस कप्तान की जिम्मेदारी दी। इस जिम्मेदारी को निभाते हुए आईपीएस डाॅ. अजय पाल शर्मा ने अपने कार्यकाल के 200 दिन पूरे किये। इन 200 दिनों में उन्होंने नोएडा को अपराध शून्य की ओर अग्रसर किया और यहां अपराधियों में आज पुलिस के नाम का खौफ साफ नजर आता है।

आईपीएस अजय शर्मा नोएडा के एसएसपी बनने से पहले अपराधियों के जौहर के लिए मशहूर शामली जनपद में एक सफल पुलिस कप्तान के रूप में काम कर रहे थे। 17 मार्च 2018 को प्रदेश शासन के द्वारा आईपीएस अधिकारियों के स्थानांतरण किये तो नोएडा के पुलिस कप्तान लव कुमार को कारागार प्रशासन में ट्रांसफर किया गया, उनके स्थान पर शामली में लगातार 'मिशन क्लीन' चलाने वाले आईपीएस डाॅ. अजय पाल शर्मा को नोएडा भेजा गया। 19 मार्च को उन्होंने नोएडा के पुलिस कप्तान के रूप में कार्यभार ग्रहण किया और पहले ही दिन कानून व्यवस्था को प्रगाढ़ बनाने के लिए अपराधियों के खिलाफ 'एग्रीसिव पुलिसिंग' के संकेत दिये। अपने 200 दिनों के कार्यकाल में डाॅ. अजय पाल ने नोएडा पुलिस कप्तान के रूप में ढाई लाख के ईनामी माफिया बलराज भाटी, एक लाख के इनामी कुख्यात बदमाश श्रवण चैधरी को एनकाउंटर में ढेर कर अपराध जगत में हलचल मचा दी। सितम्बर 2018 में 11 दिनों में लूट, रंगदारी, धमकी आदि संगीन अपराधों में शामिल 600 अपराधियों की गिरफ्तारी, 50 हजार के इनामी नक्सली कमांडर को पकड़ना, नकली शराब फैक्ट्री का भंडाफोड़ उनकी फेहरिस्त की सुनहरी उपलब्धियां हैं। डाॅ. अजय पाल शर्मा बदमाशों के प्रति अपनी सर्विस के पहले दिन से ही 'एग्रीसिव मोड' पर रहे हैं। शामली से पहले अजय पाल शर्मा गाजियाबाद में एसपी सिटी रह चुके हैं। वहां उन्होंने अनेक बड़े गुडवर्क किये। शामली में सपा की सरकार के दौरान भी एनकाउंटर करके अपनी पहचान बनाने वाले अजय पाल शर्मा भाजपा सरकार बनने के बाद भी एक साल तक वहां तैनात रहे। इस दौरान भी उनके नेतृत्व में शामली पुलिस ने ताबड़तोड़ एनकाउंटर किए। मुकीम काला, कग्गा और सुन्दर भाटी गिरोह के साथ ही अन्य बड़े बदमाशों के गिरोहों के सफाये के लिए उन्होंने कई एनकाउंटर किये। शामली में गैंगस्टर सुंदर भाटी के भाई और भतीजे की गिरफ्तारी की। डाॅ. अजय शर्मा को नोएडा जैसे महत्वपूर्ण जनपद की जिम्मेदारी सौंपने के पीछे सरकार की बड़ी योजना रही है। फरवरी 2018 में इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन कर सरकार ने 4.28 लाख करोड़ रुपये का निवेश हासिल किये। इन निवेश को परियोजनाओं के रूप में धरातल पर लाने के लिए ये जरूरी था कि क्राइम ग्राफ के लिए देश और विदेश में बदनाम हो रहे उत्तर प्रदेश में सरकार का इकबाल और पुलिस का मनोबल ऊंचा रहे, अपराधियों पर अंकुश लगे तो यूपी का माहौल बदले और यहां पर उद्योग घरानों को आकर्षित करने में सरकार सफल रहे। इस कड़ी में दिल्ली से सटे नोएडा का वातावरण अनुकूल बनाने के लिए सरकार ने डाॅ. अजय पाल को चुना। एसएसपी डाॅ. अजय पाल ने पहले ही दिन से नोएडा में ना केवल अपराधियों के खिलाफ मुहिम छेड़ी बल्कि पुलिस की छवि सुधारने और जनता में पुलिस के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए वो निरंतर थानों और चैकियों के निरीक्षण के साथ सड़कों पर सामाजिक सरोकार भी निभाते नजर आते हैं। पुलिस पर भ्रष्ट आचरण के आरोप लगे तो उनके द्वारा कार्यवाही करने में देर नहीं की गई। जब एक सिपाही के बेटे को बीमारी के कारण रक्त की जरूरत की खबर सुनी तो रक्तदान शिविर लगाकर सबसे पहले खुद रक्त दिया और अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बने।

उत्तर प्रदेश पुलिस के तेज तर्रार आईपीएस डॉ. अजय पाल शर्मा किसी पहचान के मोहताज नहीं है। 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी अजय पाल शर्मा ने 7 साल के करियर में अपनी अलग कार्यशैली से काम के दम पर महकमे में एक अलग पहचान बना ली है। यही नहीं जहां भी डॉ. अजय पाल शर्मा की तैनाती रही, वहां उन्होंने काम करके तो दिखाया ही, अपने व्यवहार से आम लोगों में एक अमिट छाप भी छोडी है, हाथरस और शामली की जनता आज भी उनको याद करती है। डॉ. अजय पाल इन दिनों उत्तर प्रदेश के इण्डस्ट्रीयल हब के रूप में मशहूर गौतमबुद्ध नगर जिले में बतौर एसएसपी अपराधियों को धूल चटा रहे हैं। शामली में छह कुख्यात बदमाशों को एनकाउंटर में यमलोक पहुंचाने वाले आईपीएस अजय ने नोएडा में पहुंचने पर भी ये जौहर कायम रखा और तीन राज्यों का सिरदर्द बन चुके माफिया बलराज भाटी व एके 47 के सहारे खौफ का कारोबार करने वाले लखटकिया श्रवण चैधरी को ढेर कर 'एग्रीसिव पुलिसिंग' दिखाई। जब से इस आईपीएस ने नोएडा जिले की कमान संभाली है। अपराधी बिल में घुस गए हैं। जिले में कानून का राज कायम होता चला गया।

आईपीएस डॉ. अजय पाल शर्मा ने 'खोजी न्यूज' से खास बातचीत में अपनी जिंदगी और करियर के बारे में खुलकर बातचीत करते हुए अनछुए पहलुओं को उजागर किया।

डॉ. अजय पाल शर्मा का जन्म पंजाब के लुधियाना में 26 अक्टूबर 1985 को हुआ था। अजय पाल के पिता अमरजीत शर्मा और मां प्रेम शर्मा की दो संतान है। अजय पाल इनके बड़े बेटे हैं, जो यूपी कैडर के 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। जबकि अजय के छोटे भाई डाॅ. अमृत पाल शर्मा आईएएस अधिकारी हैं। 2016 में डाॅ. अजय पाल शर्मा की शादी हुई। इनकी पत्नी का नाम अदिति शर्मा है। अदिति भी अजय पाल को उनके काम में पूरा सहयोग देती हैं। अजय पाल शर्मा अपने पिता अमरजीत शर्मा को अपना आदर्श मानते हैं। अमरजीत पंजाब में सरकारी स्कूल में एक पंजाबी शिक्षक के रूप में कार्यरत रहे। डाॅ. अजय पाल शर्मा बचपन से ही शाॅर्प माइंड रहे। स्कूल-काॅलेज में टाॅपर रहना उनका शगल बन गया था। गणित, अंग्रेजी और विज्ञान जैसे विषयों में अजय पाल की पकड़ ऐसी थी कि परीक्षाओं में इन विषयों में उनके नम्बर 100 में से 100 रहे। मेडिकल लाइन चुनने पर उनको बीडीएस में एडमिशन मिला, यहां भी उन्होंने अपना जलवा बिखेरते हुए टाॅप थ्री में स्थान पाया।

ट्रेनी अफसर के रूप में ही मुकीम काला-कग्गा बन गए थे टारगेट

19 दिसम्बर 2011 को अजयपाल शर्मा ने आईपीएस के रूप में यूपी पुलिस को ज्वाइन किया। पहली ही पोस्टिंग से उन्होंने उसी प्रकार समाज से अपराध रूपी बुराई को खत्म करने के लिए 'सर्जिकल स्ट्राइक' शुरू कर दी, जिस प्रकार वो अपने बीडीएस पेशे में मुंह के जबडे से खराब और कीड़ा लगे जाड़-दांतों को उखाड़ फैंकने में माहिर थे। 20 फरवरी 2013 से 20 जुलाई 2013 तक सहारनपुर में ट्रेनी अफसर के रूप में तैनात रहे डाॅ. अजय पाल शर्मा को सरसावा थाने में एसओ बनाया गया। इसी दौरान जून 2013 में सहारनपुर में एक ऐसी घटना घटी, जिसने डाॅ. अजय पाल शर्मा को आज का 'एनकाउन्टर स्पेशलिस्ट' बनने का मोटिव दिया। 5 जून 2013 को हरियाणा बार्डर से लगते सहारनपुर के गांव घोड़ों पीपली में दो पेट्रोल पंपों पर वरना कार सवार बदमाशों ने अलसुबह धावा बोलकर छह लाख रुपये लूटे, फिर वह सहारनपुर सिटी की ओर भाग लिए। वायरलेस पर सूचना फ्लैश होते ही पुलिस चैकस हो गई। सहारनपुर में तत्कालीन सीओ सदर उमेश कुमार सुबह करीब 9.30 बजे सिपाहियों के साथ बदमाशों की तलाश को चिलकाना निकल पड़े। सर्किट हाउस के पास उन्हें सफेद रंग की वरना कार दिखाई दी। उन्होंने कार का पीछा शुरू कर दिया। बदमाशों ने अपनी कार गलीरा रोड पर बसपा विधायक रविंद्र कुमार मोल्हू के घर के सामने मोड़ दी, लेकिन सामने से आ रही ट्रैक्टर ट्राली के कारण कार फंस गई। सीओ के हमराह सिपाही राहुल ढाका निवासी गांव ढिकौली, थाना पिलाना जनपद बागपत, सीओ की बुलेरो से उतर गए और बदमाशों की कार के पास पहुंचकर उसकी खिड़की खोलनी चाही। कार में बैठे बदमाश ने राहुल पर फायर झोंक दिया। गोली पार निकल गयी, सिपाही ने वही दम तोड़ दिया। बदमाश सिपाही राहुल की कारबाइन भी लूटकर फायरिंग करते हुए फरार हो गए। इस वारदात ने यूपी में सियासी भूचाल ला दिया था। इस घटना ने आईपीएस डाॅ. अजय पाल शर्मा को मुकीम काला गैंग के सफाये का मोटिव दिया। सिपाही राहुल की हत्या करने वाला बदमाश मुकीम काला ही था, ये बात 31 अगस्त को चिलकाना की अजीज कालौनी से तत्कलीन देहात कोतवाली प्रभारी इंस्पेक्टर राजेन्द्र त्यागी के द्वारा मुठभेड़ में दबोचे गये मुकीम के गैंग के बदमाश वाजिद काला निवासी जंधेडी ने पुलिस को बताई थी। राहुल ने कार में बैठे मुकीम का गिरेबान पकड़ लिया था। इसी पर मुकीम ने उसके सीने से पिस्टल सटाकर गोली मार दी।

गाजियाबाद एसपी सिटी रहते हुए की एनकाउन्टर की शुरूआत

आईपीएस डाॅ. अजय पाल शर्मा मथुरा के बाद गाजियाबाद पहुंचे। जहां उनको बतौर एसपी सिटी तैनात किया गया। यहां पर करीब एक साल की इस तैनाती में डाॅ. अजय पाल ने कई बड़े-बड़े खुलासे किए। उस दौरान यूपी में बदमाशों का एनकाउन्टर बन्द था, लेकिन इस पाबंदी के बावजूद भी आईपीएस डाॅ. अजय पाल ने लीक से हटकर कार्य करते हुए गाजियाबाद में कई एनकाउन्टर किये, जिनमें कई बड़े अपराधियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचाया। डाॅ. अजय पाल ने यहीं से एनकाउन्टर की शुरूआत की और गाजियाबाद में क्राइम कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभाई। गाजियाबाद में एसपी सिटी रहते हुए इस आईपीएस ने सिपाही राहुल ढाका की हत्या करने वाले मुकीम काला गिरोह के कुख्यात बदमाश 50 हजारी फिरोज उर्फ पव्वा को एक मुठभेड़ में उसके साथी के साथ दबोच लिया था। ये एनकाउन्टर 19 अक्टूबर 2015 को हुआ। जब अपने एसपी सिटी डाॅ. अजय पाल शर्मा के निर्देशन में गाजियाबाद क्राइम ब्रांच व सिहानीगेट थाना पुलिस ने एक बड़ी सफलता हालिस करते हुए एनकांउटर के बाद दुर्दांत अपराधी मुकीम काला गैंग के सक्रिय सदस्य व 50 हजार के इनामी बदमाश फिरोज उर्फ समीर उर्फ पव्वा को उसके साथी बदमाश इसरार के साथ गिरफ्तार कर लिया था। मुठभेड़ के दौरान बदमाशों की गोली लगने से क्राइम ब्रांच में तैनात एक सिपाही भूपेन्द्र घायल हो गया था। आईपीएस डाॅ. अजय पाल शर्मा के अनुसार मुकीम काला अपने साथियों के साथ गाजियाबाद के अम्बेडकर रोड स्थित एक ज्वैलरी शोरूम में डकैती की वारदात को अंजाम देने के लिए आया था।

अपराध पर खुद करते हैं काम, सर्विलांस पर कमांड

आईपीएस डाॅ. अजय पाल शर्मा छोटे से छोटे अपराध के खुलासे को लेकर भी खुद काम करते हैं, उसे चुनौती मानकर स्वीकार करने की अनकी आदत ही उनको दूसरे कई पुलिस कप्तानों की कतार से जुदा करती है। पुलिस कप्तान रहते हुए अजय पाल पुलिस के तकनीकी मुखबिर सर्विलांस पर खुद कमांड रखते हैं, अपराध पर खुद काम करते हैं, मुखबिर से उनका सीधा सम्पर्क रहता है और किसी भी मुठभेड़ को खुद लीड करते हैं, यही कार्यशैली उनको इस मुकाम तक लेकर आई है। शामली में 22 जनवरी 2017 को एसपी के रूप में डाॅ. अजय पाल शर्मा ने एक बड़ा अभियान शुरू किया था। इस अभियान के पहले छह घंटे में ही शामली पुलिस ने 57 किलोग्राम डोडा (नशीला पदार्थ), 26 चोरी की बाइक, 15,700 लीटर कच्ची शराब, 97,000 लीटर लहन, एक शस्त्र फैक्ट्री का भंडाफोड़ कर 20 असलाह बरामद कर अपराधियों में हलचल मचा दी थी।

कई अपहरणकांड का कर चुके हैं खुलासा

इस आईपीएस की सफलता की कहानी सिर्फ यही नहीं है, 'दि रियल कमान्डर' अजय पाल शर्मा अपहरण कांड के खुलासे के एक्सपर्ट भी माने जाते हैं। गाजियाबाद के एसपी सिटी रहते हुए इन्होंने तीन बड़े चुनौतीपूर्ण अपहरण कांड का खुलासा किया था। पहला मामला विक्की त्यागी अपहरण कांड था। दूसरा मामला 7वीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे के अपहरण से जुड़ा था, तो वहीं तीसरा मामला रेलवे कर्मचारी के बेटे के अपहरण की वारदात रही। इन तीनों वारदातों का खुलासा डाॅ. अजय पाल शर्मा ने एक चुनौती मानकर किया। साथ ही हाथरस में बतौर एसपी रहते हुए बस के यात्रियों का अपहरण करने की घटना के कुछ घंटे बाद में ही कुख्यात छोटे यादव गैंग को एनकाउंटर में दबोचने के बाद इस अपहरण कांड का खुलासा किया और यूपी पुलिस के किडनैपिंग केस के एक्सपर्ट बन गये।

बदमाशों पर सख्त, मातहतों के लिए संवेदनशील हैं अजय

डॉ. अजय पाल शर्मा जहां अपराधियों के खिलाफ सख्त मिजाज अफसर के रूप में पहचान बना चुके हैं, वहीं आईपीएस होते हुए भी वो अपने मातहतों के बारे में कितनी अच्छी सोच रखते हैं, उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए कितना संवेदनशील हैं, इसका इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो पुलिसकर्मियों के रहने के लिए अच्छी आवासीय सुविधा, ट्रेनिंग की निरंतर व्यवस्था के साथ टेक्नोलॉजी की भी ट्रेनिंग देने की बात कहते हैं, जिससे यूपी पुलिस देश की सर्वोत्तम पुलिस बन जाए। शामली में दो जनवरी की रात जंधेडी गांव में मुकीम काला गिरोह के शाॅर्प शूटर साबिर से मुठभेड़ के दौरान सिपाही अंकित तोमर की शहादत ने उनको तोड़ दिया था, लेकिन भावनात्मक सैलाब में बहने के बजाये, उन्होंने अंकित को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया और उसके परिवार को भी ढांढस बंधाया। आज भी वो इस मुठभेड़ की चुनौती और अंकित के यूं चले जाने का गाहे बगाहे जिक्र करते हुए उसे श्रद्धांजलि देते हैं।

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