वीडियो वॉल का लोकार्पण - जेल हो जाएं चौकन्नी , ऊपर वाला सब देख रहा है

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लखनऊ यूपी में जब योगी आदित्यनाथ सरकार वजूद में आई तो सीएम का एक ही सपना था कि यूपी कैसे अपराध और अपराधी मुक्त हो। उनकी इस मंशा को पुलिस पूरा नही कर पा रही थी ऐसे में सरकार ने डीजीपी के बाद पुलिस विभाग की महत्त्वपूर्ण पोस्ट एडीजी लॉ एंड ऑर्डर पर तैनाती थी आईपीएस अफसर आंनद कुमार को। आनंद कुमार ने चार्ज संभालने के बाद से मुख्यमंत्री के निर्देशन ओर डीजीपी सुलखान सिंह के साथ मिलकर शुरू किया ऑपरेशन क्रिमनल क्लीन, और फिर यूपी में शुरू हो गया था अपराधियों और अपराध का सफाया।





मुख्यमंत्री ने उन्हें अपराधियों का गढ़ बन चुकी जेलों में दुर्दांत बदमाशो पर लगाम कसने की ज़िम्मेदारी दी

जब आईपीएस आनंद कुमार डीजीपी के पद पर प्रमोट हो गए तो मुख्यमंत्री ने उन्हें अपराधियों का गढ़ बन चुकी जेलों में दुर्दांत बदमाशो पर लगाम कसने की ज़िम्मेदारी। डीजी जेल बनने के बाद उन्होंने कारागार विभाग में कई बड़े बदलाव किए उन्ही में से एक महत्त्वपूर्ण कदम है कारागार मुख्यालय में वीडियो वॉल की शुरुआत।






आनलाइन निगरानी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीक को अपनाया


उत्तर प्रदेश में अपने सुशासन के वादे को पूर्ण करते हुए कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उपरांत अब राज्य की कारागारों को सुधारने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आधुनिक तकनीक के सहारे कदम आगे बढ़ाया है। जेलों में प्रशासनिक व्यवस्था और सुरक्षा बंदोबस्तों के साथ ही अपराधियों और आम बंदियों की निगरानी के लिए राज्य के कारागार प्रशासन ने जो काम करके दिखाया है, मुख्यमंत्री भी खुद उसके कायल हो गये हैं। यह बात आज कारागार मुख्यालय लखनऊ के कमाण्ड एण्ड कंट्रोल सेंटर पर वीडियो वाॅल का उद्घाटन करने के बाद स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वीकार किया है कि कभी अपराध संचालन का मजबूत गढ़ बन चुकी यूपी की जेलों में कारागार प्रशासन के अधिकारियों की मेहनत से पारदर्शी व्यवस्था और सुधार नजर आ रहा है। वीडियो वाॅल की स्थापना से प्रदेश की जेलों की ऑनलाइन निगरानी की व्यवस्था को आज लागू कर दिया गया है, इस तकनीक के साथ ही यह तय कर दिया गया है कि जेलों में हर गतिविधि को अब 24 घंटे सातों दिन 'ऊपर वाला' देख रहा है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश भारत का ऐसा पहला राज्य बन गया है, जहां की कारागारों में आनलाइन निगरानी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीक को अपनाया गया हो।




सरकार की इन कार्ययोजनाओं को मूर्तरूप देने में डीजीपी जेल आईपीएस आनन्द कुमार ने बड़ी शिद्दत के साथ काम किया


राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद कानून व्यवस्था की बड़ी चुनौती भाजपा सरकार के सामने थी, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस प्रकार से पुलिस का मनोबल बढ़ाकर बदमाशों पर विजय पाने के लिए एग्रीसिव पुलिसिंग के लिए राज्य के जाबांज और कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अफसरों के साथ 'अश्वमेघ' यज्ञ शुरू किया, उसका नतीजा यह रहा कि आज प्रदेश में अपराधियों का नहीं पुलिस का खौफ पैदा होता नजर आता है। इसके साथ ही बागपत कारागार में माफिया मुन्ना बंजरंगी, देवरिया कारागार में माफिया अतीक अहमद के गुर्गों की मुर्गा पार्टी का आयोजन जैसे कमोबेश हर जनपद की जेलों में सुरक्षा बंदोबस्त को लेकर उठे सवालों ने राज्य सरकार की उपलब्धियों के सामने कई चुनौतियों को भी खड़ा किया था। आज जेलों में प्रशासनिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और सुरक्षा बंदोबस्त को चुस्त दुरूस्त करने के लिए काफी सुधारात्मक और ऐतिहासिक कार्ययोजना लागू की गयी है। सरकार की इन कार्ययोजनाओं को मूर्तरूप देने में डीजीपी जेल आईपीएस आनन्द कुमार ने बड़ी शिद्दत के साथ काम किया है। इसके अन्तर्गत कारागार मुख्यालय लखनऊ के कमाण्ड सेंटर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कारागार राज्य मंत्री जय कुमार सिंह जैकी, डीजीपी ओपी सिंह, अपर मुख्य सचिव गृह एवं कारागार प्रशासन अवनीश अवस्थी, डीजीपी कारागार प्रशासन आनन्द कुमार की मौजूदगी में मंत्रोच्चारण के बीच फीता काटकर कारागार वीडियो वाॅल का लोकार्पण करने के बाद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा, ''उत्तर प्रदेश में कारागार पूर्व के वर्षों में अपराधों के संचालन का प्रमुख गढ़ बन चुके थे। बड़े कुख्यात और माफिया जेलों के भीतर से अपराधों का संचालन करने का काम कर रहे थे। आज मैं राज्य के कारागार प्रशासन को बधाई देना चाहूंगा कि सरकार की मंशा के अनुरूप राज्य की जेलों में सुधार के लिए पिछले छह माह में कार्यपद्धति में तेजी से बदलाव करते हुए बेहतर सुधार परिणाम दिये गये हैं। इसमें और भी अधिक सुधार लाने के लिए नवीनतम तकनीक के सदुपयोग की आवश्यकता है। आज सरकार की जीरो टोलरेंस की कार्यपद्धति पर कारागार प्रशासन आगे बढ़ रहा है। तकनीक हमारा काम आसान कर देती है, लेकिन ऐसे में प्रशिक्षण और इसको संचालित करने वाली टीम के बीच बेहतर समन्वय जरूरी है। कमाण्ड सेंटर में वीडियो वाॅल की स्थापना और ऑनलाइन निगरानी की व्यवस्था के प्रयोग से अब बेहतर ढंग से कारागारों की निगरानी हो पायेगी। इस सकारात्मक प्रभाव कानून व्यवस्था पर भी देखने को मिलेगा। जेलों को आज सुधार गृह बनाने के साथ ही यह भी आवश्यक है कि इनमें अपराध का मंसूबा लेकर साजिश करने वालों के साथ पूरी शक्ति से निपटा जाये। जो लोग कारागार में मौजूद हैं उनकी नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदला जाये। हमने पिछले ढाई वर्षों में प्रदेश के अंदर पुलिस भर्ती की प्रक्रिया को पारदर्शी ढंग से आगे बढ़ाया है। इस प्रक्रिया के माध्यम से जेल वार्डन की कमी को भी दूर करने की प्रक्रिया को तेजी के साथ आगे बढ़ाया गया है।





अपर मुख्य सचिव कारागार प्रशासन अवनीश अवस्थी ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण है, कारागार विभाग के मंत्री के रूप में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था को दुरूस्त करने का जिम्मा लिया है, जेलों की व्यवस्था में सबसे बड़ी चुनौती मानव संसाधन की रही है। वर्षों से जेलों में मानव संसाधन कम रहे हैं। सीएम ने समीक्षा की तो इसमें सुधार के लिए सबसे बड़ा जोर दिया। इसी का असर है कि आज हम इसी माह से 01 हजार से ज्यादा पुलिस कर्मियों को वार्डर के रूप में जेलों में उतारने जा रहे हैं। चयन आयोग के चेयरमैन से वार्ता चल रही है। पीएसी के अभ्यर्थियों को भी जेल वार्डर का विकल्प दिया जायेगा, इससे नया रास्ता खुलेगा, अगले 4 से 6 माह में ये हमें उपलब्ध होंगे। दो दिन पहले ही एक फैसला लिया गया है, जिसके अन्तर्गत जेलों में आउट सोर्सिंग के माध्यम से 03 हजार कर्मियों को लगाया जायेगा। हम आज कारागारों को व्यापक सुधार गृह बनाने के लिए माइल स्टोन की तरफ बढ़ रहे हैं। जेलों में क्षमता से ज्यादा बंदियों की समस्या के सुधार पर भी काम हो रहा है।

कारागार मुख्यालय कमाण्ड सेंटर में कार्यदायी संस्था अपट्रान पावरट्रानिक्स लिमिटेड ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम स्थापित किया है, इसके अन्तर्गत आठ फुट चौड़ी और 12 फुट लम्बी वीडियो वाॅल की कार्ययोजना पर राज्य सरकार ने 16.30 करोड़ रुपये का बजट खर्च किया है। इसमें 42 एलईडी लगायी गयी हैं। इसके सहारे प्रदेश की सभी जेलों को सीधे जोड़ने की व्यवस्था है। यह लगातार 24 घंटे काम करेगा।

तकनीक से तलाशा समाधान-वीडियो वाॅल लाकर डीजी जेल ने बढ़ाया सरकार का मान

जिला कारागारों में अब सुरक्षा और व्यवस्था तकनीक के सहारे तीसरी आंख की मौजूदगी में आ गयी है। इस तकनीक से कारागारों में बनी कई चुनौतियों की समस्या के समाधान को तलाशने का काम करने वाले डीजीपी कारागार आनन्द कुमार ने जेलों में अल्प कार्यकाल में ही बड़ी सुविधाओं को लाने का काम किया है। आज कारागार प्रशासन ने आर्टिफिशियल इंटिलेलिजेंस सिस्टम को अपनाकर यहां जेलों की निगरानी के लिए वीडियो वाॅल की स्थापना कराते हुए उत्तर प्रदेश को देश का पहला राज्य बनाने का काम किया है। यूपी में कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी संभालने के बाद पुलिस महानिदेशक का रैंक पाने वाले वरिष्ठतम आईपीएस आनन्द कुमार को जब राज्य सरकार ने महानिदेशक कारागार प्रशासन का दायित्व सौंपा था तो वह पहले डीजी जेल बने थे। उन्होंने लगातार काम किया और आज कारागार प्रशासन ऐतिहासिक उपलब्धियो की ओर अग्रसर है। वीडियो वाॅल के लोकार्पण समारोह में डीजी जेल के रूप में आनन्द कुमार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष कारागार प्रशासन के कामकाज को रखा।

2750 सीसीटीवी कैमरों का जाल बिछाया गया है

उन्होंने बताया कि कारागारों में सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था को प्रगाढ़ बनाने के लिए 2750 सीसीटीवी कैमरों का जाल बिछाया गया है। इनको सीधे कमाण्ड सेंटर में स्थापित वीडियो वाॅल से जोड़ा गया है। यह कैमरे जेलों में बैरक और हाॅट स्पाॅट तथा संवेदनशील क्षेत्रों में लगाये गये हैं। औसतन एक जेल में 40 से 50 सीसीटीवी लगाये गये है। जनसामान्य को सुरक्षा की अनुभूति एवं अपराधों पर प्रभावी अंकुश रखने के लिए विभाग ने जो कार्य किये हैं, वह सराहनीय हैं। मोबाइल फोन को पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है। अब कोई भी व्यक्ति, अधिकारी या कर्मचारी मोबाइल फोन लेकर जेलों के अन्दर प्रवेश नहीं पायेगा। जेलों की आधुनिक उपकरणों से तलाशी करायी जा रही है। इसी क्रम में दो जेलों में कर्मचारियों के पास मोबाइल फोन पाये जाने पर बर्खास्तगी करके ये साफ किया गया है कि इस मामले में जीरो टालरेंस की नीति अपनाई जायेगी। कारागार अधिनियम 1894 में दूरसंचार के आधुनिक उपकरणों के प्रयोग पर कार्यवाही के लिए इसमें विधिक बदलाव कराने का प्रयास किया जा रहा है। डीजी जेल कहते हैं, ''कुख्यात, माफियाओं और आतंकवादियों को निरुद्ध करने के लिए 5 जेलों को हाई सिक्योरिटी एवं हाईटेक जेल के रूप में उच्चीकृत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कारागार में निरुद्ध बंदियों के मूलभूत आवश्यकताओं पर भी कारागार प्रशासन ने ध्यान दिया है। भोजनालय में आधुनिक मशीन, शुद्ध पेयजल हेतु आरओ प्लांट, मनोरंजन हेतु एलईडी टीवी व परिजनों से बात करने के लिए पीसीओ की व्यवस्था कराई गई है। बंदियों को काम के अवसर तथा अच्छे पारिश्रमिक उपलब्ध कराने के लिए उद्यमियों व स्वयं सेवी संस्थाओं से सम्पर्क कराकर व्यावसायिक प्रशिक्षण एवं कौशल विकास कराया जा रहा है। कारागार में जेल रेडियो से स्वस्थ मनोरंजन के अवसर बेहतर परिणाम दे रहे हैं। 25 जेलों में इसको लागू किया गया है, वहां पर बंदियों के तनाव और अवसाद में कमी आयी है।


डीजीपी जेल आनन्द कुमार कहते हैं

डीजीपी जेल आनन्द कुमार कहते हैं, ''प्रदेश की कारागारों में 1 लाख 5 हजार बंदी हैं, जो राज्य की जनसंख्या का 25 प्रतिशत होता है। सीमित संसाधनों में भी प्रशासनिक तथा सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त तथा सुदृढ़ किया जा रहा है। इस स्थिति में भी जेल कर्मी अनुशासन में रहकर कुशलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं। श्रेष्ठ कार्य करने पर कारागार कर्मियों को प्रशन्सा चिन्ह देकर पुरस्कृत करने की व्यवस्था हमने बनाई है। इससे प्रतिस्पर्धात्मक माहौल पैदा होने से व्यवस्था में सुधार हो पाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के प्रयासों से जेल में सभी व्यवस्था सुधार की ओर हैं। इनमें जेल वार्डरों की कमी दूर करने में बड़ा काम किया गया है। पुलिस विभाग से मिले 1300 कर्मियों को जेलों में लगाया गया है। डीजीपी जेल कहते हैं कि कारागार विभाग ने सीएम योगी के नेतृत्व में जेलों में सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत बनाया है, ये सुनिश्चित किया गया है कि कोई भी कुख्यात या माफिया एवं बंदी जेलों की प्रशासनिक व्यवस्था के दायरे में ही रहे। जिला स्तर पर ताबड़तोड़ औचक निरीक्षण हो रहे हैं, व्यवस्था में इससे अपेक्षित सुधार हुआ है, बंदियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी बना है। डीजीपी जेल आनन्द कुमार का कहना है, ''हम सभी और अधिक उत्साह एवं मनोबल के साथ कार्य करेंगे तथा प्रयास करेंगे कि किसी ीाी प्रकार शासन व प्रशासन की छवि पर प्रतिकूल प्रीााव ना पड़े।

जेल में गड़बड़ी पर अफसरों को अलर्ट करेगा मोबाइल ऐप

उत्तर प्रदेश के डीजी जेल आनन्द कुमार इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर कहते हैं, ''यह वीडियो वॉल 'आर्टीफिशियल इंटलिजेंस से संचालित होगा। इसके जरिए मुख्यालय को जेलों की गतिविधियों का पता चल जाएगा। प्रदेश की 65 जेलें फिलहाल इस सुविधा से जुड़ी हैं। एक हफ्ते में 71 कारागारों को इससे जोड़ा जायेगा। इससे जेलों में कैदियों के भागने, बवाल करने या फिर प्रतिबंधित क्षेत्र में किसी भी संदिग्ध के प्रवेश करते ही जेल मुख्यालय को अलर्ट मिल जाएगा। इसके जरिए बंदियों से मिलने आने वाले लोगों पर भी नजर रखी जा सकेगी। देश में पहली बार जेलों में इस तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। जेलों में होने वाली हर गतिविधि पर अलर्ट वाला मैसेज वीडियो वॉल के साथ ही मोबाइल पर भी मिल सकेगा। इसके लिए एक ऐप बनाया गया है। इस ऐप को डाउनलोड करते ही मोबाइल पर इसका अलर्ट मिलने लगेगा। इस मोबाइल ऐप से कारागार प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के अफसरों को जोड़ा जायेगा, ताकि त्वरित एक्शन हो सके।

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