भारतीय संस्कृति का आदर्श-वाक्य अनेकता में एकता एवं एकता में अनेकता है : डॉ दिनेश शर्मा -

भारतीय संस्कृति का आदर्श-वाक्य अनेकता में एकता एवं एकता में अनेकता है  :   डॉ दिनेश शर्मा    -

लखनऊ भारत एवं भारतीय संस्कृति 'वसुधैव कुटुम्बकम' का भाव रखने वाली संस्कृति है। भारतीय संस्कृति ने न केवल भारत को अपितु समूची धरा को सदैव एक कुटुंब (परिवार) माना है। भारतीय संस्कृति का आदर्श-वाक्य अनेकता में एकता एवं एकता में अनेकता दोनों है। भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण तत्व शिष्टाचार, तहजीब, सभ्य संवाद, धार्मिक संस्कार, मान्यताएँ और मूल्य आदि हैं। भारतीय संस्कृति का अर्थ है, सर्वांगीण विकास।






उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने आज यहां कानपुर रोड स्थित सिटी मांटेसरी स्कूल के ऑडिटोरियम में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन में यह विचार व्यक्त किया। इस अवसर पर विभिन्न देशों के, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, ,पार्लियामेन्ट के स्पीकर, न्यायमंत्री, इण्टरनेशनल कोर्ट के न्यायाधीश, विभिन्न देशों के मुख्य न्यायाधीश, कानून के जानकार सहित विश्व के 71 देशों के कुल 290 प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। इस अवसर पर डा0 दिनेश शर्मा ने इरीट्रिया के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति मेन्केसियस बेराकी को 'महात्मा गांधी अवार्ड' प्रदान कर सम्मानित किया ।





उप मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय संस्कृति, भारत की पहचान एवं भारत का साहित्य आपसी समन्वय एवं भाईचारे की है। पूरा विश्व एक हो यही हमारी संस्कृति एवं साहित्य में रचा बसा है।





डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि मुझे आशा है कि यह विचार मंथन (सम्मेलन) अंतर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाने, वैश्विक जलवायु परिवर्तन के रोकथाम हेतु पूरी दुनिया में आपसी समन्वय स्थापित करने, पूरे विश्व में भाईचारे का भाव करने करने, आपसी सौहार्द एवं समन्वय को बढ़ाए जाने में सहयोगी सिद्ध होगा। इस प्रकार के कार्यक्रमों का बहुत ही अधिक महत्व है।

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