पैगाम-ए-इंसानियत के आयोजन में उर्दू डे व दीपावली समारोह में दिखा साम्प्रदायिक सौहार्द्र का समागम

पैगाम-ए-इंसानियत के आयोजन में उर्दू डे व दीपावली समारोह में दिखा साम्प्रदायिक सौहार्द्र का समागम
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मुजफ्फरनगर। दीपावली और कौमी उर्दू डे के अवसर पर सामाजिक संस्था पैगाम ए इंसानियत के द्वारा साम्प्रदायिक सौहार्द्र की शमा रोशन कर सामाजिक सद्भाव का और भाईचारे का संदेश दिया गया। साम्प्रदायिक सद्भाव के इस समागम में शामिल सभी लोगों ने इसकी सराहना की गई। मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए साम्प्रदायिक दंगों के बाद पैदा हुई सामाजिक दरार को पाटने के लिए साल 2014 में पैगाम ए इंसानियत संस्था का गठन हुआ, तभी से आपसी भाईचारे का संदेश देते हुए सामाजिक सरोकार में ये संस्था आगे बढ़ती रही। नौ नवम्बर की रात भी इस संस्था के बैनर तले इंसानियत का पैगाम देने का काम किया गया। संस्था की ओर से दीपावली मिलन और विश्व उर्दू डे समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का सबसे बेहतर पल ये रहा कि एक ही मंच पर सर्वधर्म सम्भाव का नजारा देखने को मिला। कार्यक्रम में एडीएम प्रशासन अमित सिंह, सीओ सिटी हरीश भदौरिया, किसान यूनियन से राकेश टिकैत, राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य स. सुखदर्शन बेदी, साहित्यकार प्रदीप जैन, जमियत मौलाना मूसा कासमी, तरूण गोयल एडवोकेट, श्रीराम दरबार के मोहन महाराज, सेक्युलर फ्रंट के गौहर सिद्दीकी, किसान नेता अशोक बालियान, उद्यमी साजिद मियां नासिर ने अपनी मौजूदगी के साथ आपसी सद्भाव पर जोर दिया।

ज़िले में सांप्रदायिक सद्भाव व आपसी भाईचारे के लिये काम कर रही सामाजिक संस्था पैग़ाम-ए-इन्सानियत संस्था द्वारा 9 नवम्बर को अंतर्राष्ट्रीय उर्दू दिवस और दीपावली के मौके पर साम्प्रदायिक सौहार्द को समर्पित एक शानदार मुशायरे एवं कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया, जिसमें जनपद तथा बाहर के नामचीन कवि और शायरों ने शिरकत की और अपने कलाम के ज़रिये क़ौमी एकता और साम्प्रदायिक सद्भाव का संदेश दिया।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्य अल्पसंख्यक आयोग उ.प्र. के सदस्य स. सुखदर्शन सिंह बेदी, विशिष्ट अतिथि एडीएम प्रशासन अमित सिंह और श्रीराम गु्रप आॅफ काॅलेजेज के चेयरमैन एस.सी. कुलश्रेष्ठ का आयोजकों की ओर से स्वागत किया गया। शमा रोशन श्रीराम दरबार के अध्यक्ष पं. श्रीमोहन महाराज और बरनाला गु्रप के साजिद मियां नासिर ने की। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व चेयरमैन एवं उद्योगपति पंकज अग्रवाल ने की तथा संचालन गौहर सिद्दीकी व एस. राशिद अली खोजी ने संयुक्त रूप से किया। ज्ञात हो की पैगाम-ए-इंसानियत संस्था पिछले 3 वर्षों से 9 नवंबर अंतर्राष्ट्रीय उर्दू दिवस के अवसर पर कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन करती चली आ रही है। सामाजिक सद्भाव को समर्पित इस परंपरा का आरम्भ 2016 में जिलाधिकारी रहे दिनेश सिंह व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार द्वारा पैगाम-ए-इंसानियत संस्था के माध्यम से किया गया था, जिसमंे मुख्य उद्देश्य जिले की वो प्रतिभाएं जो अपनी कविताओं और कलाम के जरिए जिले का नाम देश और दुनिया में रोशन कर रहे हैं, उनको एक साथ एक मंच पर इकट्ठा कर एक आयोजन के रूप में जिले के सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा देना था। इस परंपरा को पैगाम-ए-इंसानियत के अध्यक्ष आसिफ राही आज तक बखूबी अंजाम देते आ रहे हैं। आसिफ राही कहते हैं, ''जनपद में तैनात उस समय के अधिकारियों ने एक अच्छी शुरुआत अपने जिले की प्रतिभाओं को सम्मान देने के लिए इस तरह के मुशायरे व कवि सम्मेलन के आयोजन कराकर की थी, जिसके बहाने जिले के जिम्मेदार व सामाजिक लोग एक साथ इकट्ठा होकर कुछ समय के लिए अपना मनोरंजन भी कर लेते हैं और अच्छे शब्दो में लोगों तक भाईचारे का संदेश भी पहुंच जाता है। पैगाम ए इंसानियत के कार्यालय रहमानिया कालौनी में ये मुशायरा एवं कवि सम्मेलन रात 2ः30 बजे तक चला और श्रोताओं ने इसका भरपूर मजा लिया।

कार्यक्रम का आरम्भ हसरत खतौलवी के नात-ए-पाक के पाठ से हुआ, उनकी नात का मक़्ता ये रहा-

मेरी हसरत है कभी रोज़ाए अक़दस देखूं।

मेरा पूरा हो ये अरमान रसूले अरबी।।

खुर्शीद हैदर ने देशभक्ति गीत पढ़ा-

ज़िन्दाबाद ए वतन,ज़िन्दाबाद ए वतन।

सबसे आला है अम्नो सकूं का चलन।।

जुनैद अख़्तर जुनैद ने पढ़ा-

बेटा ये कह रहा था के कम बोल तू ज़रा।

ये सुन के मां की आंख के आंसू निकल पड़े।।

अमजद आतिश ने पढ़ा-

बाप के सामने लब कुशाई।

इससे बढ़कर ज़लालत नहीं है।।

नवेद अंजुम ने पढ़ा-

अगर शऊर ज़रा सा भी है तुममें बाक़ी।

जहालतों को मिटाने का इंतज़ाम करो।।

सुनील उत्सव ने कहा-

वो गु़तगू में लहजाए उर्दू लिए हुए।

है किस क़दर कमाल की खुशबू लिए हुए।।

अरशद ज़िया ने पढ़ा-

दुश्मन के वार हमने सहे अपनी जान पर।

आने न दी खरोंच भी हिन्दोस्तान पर।।

बिलाल सहारनपुरी ने गुदगुदाया-

दफ़ना के अपनी बीवी को बोले ये शेख़ जी।

अब हम भी जाने वाले हैं सामान तो गया।।

नेमपाल प्रजापति ने सशक्त रचना पाठ किया, उनकी सभी रचनाएं सराही गई।

अफ़ज़ल झिंझानवी ने पढ़ा-

हमें यक़ीन है अपने ही नज़रें फेरेंगे।

हमारे फ़न पे मियां जब कमाल आएगा।।

अल्ताफ़ मशअल ने कहा-

दुनिया में सबसे अच्छा देखो वतन हमारा।

हम हैं सितारे इसके ये है गगन हमारा।।

सलीम अहमद सलीम ने कहा-

बिन मेरे आप कैसे जीते हैं।

हंस के बोले के पास पैसे हैं।।

अशोक साहिल ने बेहतरीन अशआर पढ़े-

इधर आओ अदब से गु़तगू करना सिखा दूं।

मैं उर्दू हूं तुम्हें कुछ से कुछ बना दूं।।

बेहतरीन निज़ामत कर रहे रियाज़ साग़र का कलाम भी बेहतरीन रहा-

हमारे देश की धरती पे ये कैसा उजाला है।

जिधर भी देखिए पाखण्डियों का बोलबाला है।।

हसरत खतौलवी की ग़ज़ल भी सराही गई-

तुम तो संजीदगी के हामिल थे।

क्यों उड़ाते हो बात बे पर की।।

अब्दुल हक़ सहर ने कहा -

हृदय के नयन खोल के देखे जो आदमी।

जीवन की रेत का उसे कण-कण दिखाई दे।।

ख़ुर्शीद हैदर ने बेहतरीन नई ग़ज़ल सुनाकर मजमे की दाद लूटी-

जैसा किरदार था वैसा ही पुकारा उसको।

नाम रावण का कभी राम किया हो तो बता।।

डॉक्टर सदाक़त देवबन्दी ने पढ़ा-

आंखों में मेरी कब तेरे जलवे नहीं रहते।

ये कैसे कहूं घर में उजाले नहीं रहते।।


अन्त में पैग़ामे इंसानियत के अध्यक्ष आसिफ़ राही ने सभी अदीबों का सम्मान किया और सुनने वालों का शुक्रिया अदा किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से राकेश टिकैत, अशोक बालियान, धर्मेंद्र मलिक, सुभाष माटियान, गुरु कीर्ति भूषण, रेवती नंदन सिंघल, संजय मित्तल, डाॅ. प्रदीप जैन, असद फ़ारूकी, अमीर आज़म ख़ान (एड.), महबूब आलम (एड.), अन्सार आढ़ती, डा. इरशाद अली सम्राट, मा. नज़र ख़ाँ, मौहम्मद अली अलवी, नौशाद कुरैशी, अन्नू कुरैशी, याक़ूब सभासद, नौशाद ख़ान, मौ. नईम, इशरत त्यागी, शहज़ाद कु़रैशी, आज़म ख़ान, फ़रहान ख़ान, अमीर आज़म (कल्लू), फ़ैज़ान अन्सारी, शाहज़ेब ख़ान, महबूब अनवर, दिलशाद अंसारी, शरीफ़ कुरैशी, कलीम त्यागी, तहसीन समर, मौलाना मूसा क़ासमी, बदरूज़्ज़मा ख़ान, अरशद राही, सलामत राही, डाॅ. अली मतलूब, वसीम अकरम त्यागी, मा. इसरार, जुनैद रऊफ, इकरार फारूकी, शाहनवाज अंसारी, याकूब सभासद, डा. शाहवेज़ राव सहित गणमान्य जनों की उपस्थिति रही। असामाजिक तत्वों के विरोध और कई तत्वों से जूझते हुए समाज में साम्प्रदायिक सौहाद्र्र को बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास करने के लिए संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष आसिफ़ राही के प्रयासों की सभी ने सराहना की। सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने और समाज को समारात्मक दृष्टिकोण से जोड़ने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में कुछ तत्वों ने व्यवधान पैदा करने का प्रयास भी किया, लेकिन ऐसे तत्वों की वहां मौजूद समाज के जिम्मेदार लोगों ने जमकर निंदा की।

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