बेचारी पुलिस-फूल बरसाये तो गुनाहगार, डण्डा मारे तो गुण्डी

बेचारी पुलिस-फूल बरसाये तो गुनाहगार, डण्डा मारे तो गुण्डी

लखनऊ। पुलिस का नाम आते ही हमारे जहन में एक ऐसी ड्यूटी उभर आती है, जिसमें 24 घण्टे केवल काम और सिर्फ काम ही नजर आता है। पुलिस बारिश, तूफान, जाम, धूप, सर्द रातों में 24 घण्टे सड़क पर, कोई भी त्यौहार हो, सबकी खुशी का ख्याल रखते हुए उसको सकुशल मनाने की जिम्मेदारी लिये सड़क पर मुस्तैद, खुद किसी त्यौहार पर घर नहीं, सब त्यौहारों पर छुट्टी कैंसिल, घर में सुख हो या दुख, कोई हादसा हो या ब्याह शादी, परिवार से दूरी, घर नहीं जाने की पाबंदी, इतनी दिक्कतों को झेलकर ड्यूटी को अंजाम देने के बाद फिर भी ये पुलिस निशाने पर! सिपाही से लेकर कप्तान...एक मामूली चूक पर नेताओं, समाजसेवियों की आंखों की अगर किरकिरी बन गये तो नप जाना तय! दूसरी तरफ एक मामूली अन्य विभाग के कर्मचारी को बड़े बड़े धुरन्धरों को हटाने में पसीना बहाना पड़ जाता है, क्योंकि अदने से अदने महकमे की राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी मजबूत एसोसिएशन, कर्मचारी यूनियन है। बात पुलिस की की जाये तो इनके संगठन के नाम पर बड़े स्तर पर आईपीएस एसोसिएशन है। ये एसोसिएशन पुलिस के सिपाही, दरोगा तो क्या पीपीएस अफसरों की भी बात नहीं करती, इसके निचले स्तर पर पीपीएस अफसरों की यूनियन है तो वो केवल अपने कैडर तक की समस्या उठाती है। हां! अगर कोई लाचार, मजबूर और बेबस है तो इंस्पेक्टर, दरोगा या सिपाही! खैर मूल मुद्दे की बात करें तो दुनिया की सबसे बड़ी पैदल धार्मिक यात्रा सावन मास के कांवड मेले में पुलिस के जिम्मे ही उत्तराखंड से दिल्ली तक करीब चार करोड़ शिवभक्त कांवडियों को सुरक्षित व्यवस्था देना रहता है। साल 2018 की कांवड यात्रा सकुशल सम्पन्न हो गई, लेकिन दो मामूली सी घटनाओं के बाद मेरठ जोन पुलिस सबके निशाने पर क्यों आ गयी है, इसी विषय पर 'खोजी न्यूज' की हमारी रपट...

श्रावण मास में उत्तराखण्ड के हरिद्वार से शिवभक्त कांवडिये महाशिवरात्रि के 15 दिन पहले से गंगा जल लेकर पैदल अपने गंतव्य राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश के अन्य जनपदों के लिए रवाना होने लगते हैं। हरिद्वार जिले की सीमा समाप्त होते ही मेरठ जोन का क्षेत्र शुरू हो जाता है। कांवड यात्रा मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, नोएडा व बुलन्दशहर से गुजरती है। हर वर्ष इस कांवड यात्रा के लिए पुलिस मुस्तैद रहती है, मगर फिर भी छुटपुट घटनाएं हो जाती हैं। इस बार पूरे जोन में मात्र दो मामूली घटनाएं घटित हुई, इनमें बुलन्दशहर के गांव किनौना में एक विवाद के बाद कांवडियों द्वारा पुलिस डायल 100 की जीप में तोड़फोड़ व मुजफ्फरनगर के भगत सिंह रोड पर दो कांवडियों के बीच मामूली मारपीट की घटनाएं हुई। इन घटनाओं के बाद कुछ लोगों ने तूल देना शुरू कर दिया। आरोप लगे कि एक तरफ पुलिस कांवडियों पर पुष्प वर्षा कर रही है तो दूसरी तरफ कांवडिये बवाल काट रहे हैं, पुलिस मूकदर्शक बनी है। यहां सवाल उठता है कि बुलन्दशहर की जिस घटना पर पुलिस मूकदर्शक बनकर उग्र कांवडियों को समझा रही थी, तो उसके पीछे कारण था। अगर पुलिस वहां एग्रीसिव मोड में आकर एक्शन लेती तो पूरे जोन में कांवडियों का सैलाब सड़कों पर गंगाजल लेकर गुजर रहा था, आज के दौर में सोशल मीडिया पर हवा से भी तेज खबर और अफवाहें तैरने लगती है, तो ऐसे में अगर ये संदेश वायरल हो जाता कि बुलन्दशहर में पुलिस ने कांवडियों पर एक्शन लिया है तो सड़क पर गुजर रहे कांवडियों के द्वारा उग्र होकर बवाल कर दिया जाता, तो ऐसा कौन सा पुलिस के पास संसाधन था कि वो करीब चार करोड़ कांवडियों के इस रैले के बवाल को रोक लेती। पुलिस ने यहां समझदारी से काम लिया, जिस कारण बहुत बड़ा बवाल नहीं हो पाया। दूसरी मुजफ्फरनगर की घटना केवल दो कांवडियों की आपस में मामूली कहासुनी को लेकर हुई, जिसमें किसी तरह की जनहानि या माल हानि नहीं हुई, फिर भी इस मामले को तूल दिया जाना कई सवालों को उठाता है।

इस बार कांवड यात्रा पिछले सालों के मुकाबले काफी हद तक शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुई है। कई ऐतिहासिक क्षण भी इस कांवड मेले में देखने को मिले। यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की इस दूसरी कांवड यात्रा को शासन से लेकर प्रशासन स्तर तक यादगार बनाया गया। पुलिस का मानवीय चेहरा भी देखने को मिला। ये पहली ऐसी कांवड यात्रा थी, जिसमें आकाश से शिवभक्तों पर सावन की फौहारों के साथ फूल भी बरसे। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोएडा से एडीजी जोन प्रशांत कुमार को साथ लेकर हेलीकाॅप्टर से मुजफ्फरनगर तक कांवड मार्ग का हवाई निरीक्षण किया, इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने कांवडियों पर आकाश से पुष्प बरसाये। उन्होंने निर्देश दिया कि कांवड यात्रा के दौरान हर दिन हरिद्वार से दिल्ली तक अफसर हेलीकाॅप्टर से कांवडियों पर पुष्प वर्षा करें। इसका असर भी दिखा एडीजी मेरठ जोन प्रशांत कुमार ने हेलीकाॅप्टर से कांवड मार्ग पर निरीक्षण करने के साथ ही शिवभक्तों पर पुष्पवर्षा की। इसके साथ ही डीआईजी, कमिश्नर, डीएम, एसएसपी के साथ ही भाजपा विधायकों व अन्य लोगों ने भी कांवडियों की सेवा करने के साथ उन पर आकाश से फूल बरसाने का काम किया। इसको लेकर पुलिस को निशाने पर रखा गया, क्योंकि सूबे में भाजपा की सरकार है तो एक सोची समझी रणनीति के तहत ही कांवडियों पर पुष्प वर्षा को एक दूसरा रूप देकर पुलिस को निशाने पर लेकर सियासी हित साधने की साजिश हो रही है। ऐसा नहीं है कि पुलिस केवल कांवड यात्रा पर ही फूल बरसा रही है, जब मुसलमान रमजान के बाद ईद की नमाज पढ़ने के लिए ईदगाह पर पहुंचते हैं तो घर से निकलने से पहले ही उनको पुलिस कर्मचारी और अफसर उनकी सुरक्षा में सड़कों पर मुस्तैद नजर आते हैं, जब ईदगाह से नमाज पढ़ने के बाद वो अपने घरों का रुख करने लगते है, तो ये ही पुलिस मुसलमानों को गले लगाकर त्यौहार की खुशी में शामिल होकर उनको गले लगाकर मुबारकबाद पेश करती है। होली पर ये ही पुलिस अपने परिवारों से दूर रहकर सड़कों पर रात्रि में होलिका दहन से लेकर दिन में फाग खेलने तक सड़कों पर तैनात खड़ी नजर आती है, ताकि हमारे त्यौहार के रंगों की खिलावट कायम रह सके। जब हम लोग होली में रंग गुलाल उड़ाकर थक हारकर सो जाते हैं, उसके अगले दिन पुलिस की अपने परिवार के बिना होली मनती है। जब हमारा घर दिवाली पर दीपों और फुलझडियों से रोशन होता है तो हमें हादसों से सुरक्षित रखने के लिए ये ही पुलिस चैकस दिखाई देती है। इनके घरों में दिवाली रोशन हुई है, या नहीं इससे इनको कोई सरोकार नहीं रहता। इनको फिक्र रहती है तो ये मेरे क्षेत्र में कोई अनहोनी ना हो जाये। मुझे मेरी ड्यूटी को लेकर अफसर नाराज ना हो जाये। जब वाल्मीकि समाज महर्षि वाल्मीकि की जयंती मनाने के लिए शोभायात्रा लेकर सड़कों पर उतरता है तो समाज की खुशी को कायम रखने के लिए ये ही पुलिस कदम दर कदम साथ चलती है। गुरू परब पर जब सिख समाज के गुरूद्वारों से पंच प्यारों की अगुवाई में गुरू कीर्तन निकाला जाता है तो भी ये ही पुलिस पूरे आयोजन को खुशी खुशी सम्पन्न कराने में अपनी ड्यूटी पर हमारे गुरुद्वारा पहुंचने से पहले सड़कों पर मुस्तैद नजर आती है। मुसलमान जब अल्लाह के लिए बकरीद पर कुर्बानी करने निकलते हैं तो कोई शरारत न कर दे, इसके लिए पुलिस ही तैनात रहकर सुरक्षित माहौल देने का काम करती है। क्रिसमस मनाने के लिए जब इसाई समुदाय के लोग गिरजाघरों का रुख करते हैं तो भी हमारे त्यौहार की खुशी के लिए पुलिस व्यवस्था में खड़ी नजर आती है। अपने परिवार से दूर रहकर हमारे त्यौहारों को खुशियों के चिरागों से रोशन करने वाली ये पुलिस जब कांवड यात्रा में 15 दिनों तक दिन और रात केवल और केवल ड्यूटी के प्रति समर्मित रहकर हमारे लिए सुरक्षा और कांवडियों के लिए व्यवस्था बनाने में जुटी रहती है तो ऐसे में मामूली सी एकाध घटना होने पर उसको क्या इस तरह से निशाना बनाया जाना सही है!

कहीं एडीजी जोन प्रशान्त कुमार के खिलाफ साजिश तो नहीं!

मेरठ जोन में दो मामूली सी घटनाओं को लेकर कांवड यात्रा में पुलिस की सारी व्यवस्थाओं और संवेदनशीलता से मानवीय दृष्टिकोण अपनाने को दरकिनार कर हंगामा मचाने वाले मेरठ जोन में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाली पुलिस के काम को भुला चुका है। जोन में अपनी दूसरी कांवड यात्रा को ऐतिहासिक स्तर पर सकुशल सम्पन्न कराने में कामयाब रहे एडीजी जोन प्रशांत कुमार को अब कांवडियों पर पुष्प वर्षा को लेकर बेवजह निशाने पर रखा जा रहा है। कहीं ये उनके खिलाफ कोई साजिश तो नहीं है। दरअसल करीब एक साल पूर्व जब आईपीएस प्रशांत कुमार ने मेरठ जोन में एडीजी के पद पर कार्यभार संभाला था तो जोन में अपराधियों के हौसले बढ़े हुए थे। उन्होंने ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में यूपी का पहला एनकाउंटर कराकर, पुलिस का इकबाल बुलन्द करना शुरू किया था। एक साल में 38 कुख्यात बदमाशों को मेरठ जोन के नौ जिलों में उनकी अगुवाई में पुलिस ढेर कर चुकी है। जोन में अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया गया। जोन अपराधमुक्त नजर आता है। 450 तमंचों वाली फैक्ट्री पकड़ी गयी। चांदी लूट कांड, वेस्ट यूपी की सबसे बड़ी तमंचा फैक्ट्री का खुलासा और हाल ही में गाजियाबाद में थाना प्रभारी सचिन मलिक के द्वारा लूट की वारदात का 3 घण्टे में ही खुलासा कर दिया जाना, ऐसी कई उपलब्धियां मेरठ जोन के हिस्से आती हैं। आज कांवडियो पर पुष्पवर्षा करने में एडीजी जोन प्रशांत कुमार को निशाने पर रखकर कई सवाल उठाये जा रहे हैं, जबकि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनको हेलीकाॅप्टर में साथ लेकर कांवडियों पर फूल बरसाये और ऐसा नित्य प्रतिदिन करने के आदेश अफसरों को दिये। सूबे के मुखिया का हुकम मानना क्या एडीजी मेरठ जोन का अपराध हो गया। इससे पहले भी बिना वजह ही बुलन्दशहर के एक इंस्पेक्टर के सीयूजी मोबाइल नम्बर को हैक कर एडीजी कार्यालय में पैसा देकर ट्रांसफर की चैट वायरल कर हंगामा खड़ा किया गया था, जबकि जिस इंस्पेक्टर परशुराम के सीयूजी से चैट को लेकर पुलिस पर रिश्वत के आरोप लगाये गये, उसका तबादला एडीजी कार्यालय स्तर से हुआ ही नहीं था, ये ट्रांसफर आईजी मेरठ रेंज के कार्यालय से किये गये। जांच हुई तो दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। अब फिर से ऐसी ही साजिश कांवड यात्रा के बहाने एडीजी जोन प्रशांत कुमार के खिलाफ रची जा रही है।

epmty
epmty
Top