कोरोना के नाम पर ठगी-घोटाला

कोरोना के नाम पर ठगी-घोटाला

नई दिल्ली। कोेरोना जैसी महामारी के नाम पर भी ठगी और घोटाले किये जायें तो मान लो इंसानियत की बहुत ही सुनियोजित तरीके से हत्या की जा रही है। एक तरफ इस महामारी ने तरह तरह के भ्रम के चलते लोगों की सांसे असमय थाम दी हैं। कितने ही लोगों ने कोरोना । कोरोना से मौत के बाद चार आदमियों का कंधा भी नसीब नहीं हो रहा है। नाते रिश्तेदार भी श्मशानघाट तक नहीं पहुंचते लेकिन ठग पीछे लग जाते हैं।

हमारे एक रिश्तेदार ने बताया कि उनके पति कोरोना पॉजिटिव थे लेकिन कोई परेशानी नहीं महसूस हो रही थी। स्वास्थ्य विभाग की टीम आयी, परिवार वालों ने कहा होम क्वारंटाइन करेंगे। टीम ने दवाएं देकर घर पर ही एकांतवास करने की इजाजत दे दी। यहीं से ठगों के सूत्र जुड़ जाते हैं। उन्हें पता चल गया कि अमुक व्यक्ति कोरोना पाजिटिव होकर होम क्वारंटाइन कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम मोबाइल नम्बर समेत पूरी जानकारी ले जाती है, तब सवाल उठता है कि ठगों को कोरोना पाजिटिव होने और मरीज का मोबाइल नम्बर कैसे मिल जाता है। रिश्तेदार ने बताया कि दो दिन के बाद ही फोन आया कि आप कोरोना पाजिटिव हैं और होम क्वारंटाइन कर रहे हैं, इसलिए मोदी जी ने आपके इलाज के लिए तीन लाख रुपये भेजे हैं । आप अपना बैंक एकाउंट नम्बर और आधारकार्ड नम्बर बता दें अथवा इसी नम्बर पर एस एम एस कर दें। रिश्तेदार बीमारी के बावजूद सजग थे। उन्होंने कहा, मोदी जी को धन्यवाद । मुझे रुपये नहीं चाहिए। बैंक एकाउंट नम्बर और आधारकार्ड नम्बर मैं आपको नहीं बताऊंगा । इस प्रकार वे ठगी से बाल बाल बच गये। अफसोस है सरकार खुद ठगी का शिकार हो रही है। हिमाचल प्रदेश से इसी प्रकार की खबर मिली है। कोरोना में अक्सर आक्सीजन की कमी हो जाती है। आक्सीजन सिलेंडर खरीदने में भी घोटाला किया गया।

हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस से बचाव के लिए जयराम ठाकुर की सरकार प्रयास तो कर रही है लेकिन इसी संदर्भ में गंभीर आरोप भी लग रहे हैं। सवालों के घेरे में आ चुके प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग पर अब एक और गंभीर और संगीन आरोप लगा है। आरोप है कि 9100 रूपए में मिलने वाले ऑक्सीजन गैस सिलेंडर को स्वास्थ्य विभाग ने 15750 रुपये में खरीदा।राज्य में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश में इस वक्त कोरोना संक्रमितों की संख्या 15 हजार से ज्यादा है और एक्टिव केस साढ़े तीन हजार को पार कर चुके हैं। हिमाचल आने वालों के लिए सरकार ने बॉर्डर पूरी तरह से खोल दिए हैं। वैक्सीन बनी नहीं है और ऐसे में बचाव ही सबसे बड़ा हथियार है। शिमला पुलिस इस बाबत लोगों को जागरूक कर रही है। नियमों का उल्लंघन करने वालों के चालान भी काटे जा रहे हैं। कोविड से निपटने के लिए फिलहाल मास्क पहनना, देह से सोशल डिस्टेंसिंग, साफ-सफाई रखना, बार-बार साबुन से हाथ धोना सबसे जरूरी उपाय हैं। भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर लोग बिना मास्क पहने निकल रहे हैं या गलत तरीके से मास्क पहनते हैं। ऐसे लोगों के पुलिस चालान काट रही है। निर्धारित मानकों का पालन न करने वालों पर ड्रोन से भी नजर रखी जा रही है। शिमला जिले में पुलिस ने तीन दिन में ही 1607 चालान काटे और करीब 7 लाख 16 हजार 500 रुपये जुर्माने के रूप में वसूले। रामपुर में सबसे ज्यादा चालान काटे गए। रामपुर में 500 से ज्यादा और सदर थाने के तहत जिन लोगों का चालान कटा है, उनकी संख्या 300 से ज्यादा है। प्रसिद्ध माल रोड और रिज मैदान पर पुलिस की विशेष नजर है। पुलिस कर्मियों के अलावा ड्रोन और सीसीटीवी से भी नजर रखी जा रही है। आम जनता सरकार के इस कदम से खुश भी थी लेकिन जब उसे पता चला कि सरकार ने आक्सीजन सिलेंडर को लगभग दोगुने कीमत पर खरीद कर चहेती फर्म को लाभ पहुंचाया है, तबसे जनता जयराम ठाकुर सरकार से नाराज है। पता चला कि आक्सीजन सिलेंडर खरीदने में दिल्ली की एक फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी खजाने को चपत लगा डाली। दस्तावेजों के साथ यह आरोप मंडी जिला में मांडव्य एयर इंडस्ट्री और आरडी गेस प्राईवेट लिमिटेड के संचालकों सुधांभु कपूर और आरपी कपूरे ने पत्रकार वार्ता के दौरान लगाए।

संचालकों सुधांषू कपूर और आरपी कपूरे का कहना है कि प्रदेश में जो फर्में ऑक्सीजन गैस की सप्लाई करती हैं, वह काफी कम दरों पर यह सप्लाई प्रदेश के अस्पतालों में वर्षों से दे रही हैं, जिसमें इनकी फर्में भी शामिल हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों ने प्रदेश की फर्मों के खिलाफ साजिश रचते हुए सीपीडब्ल्यूडी के माध्यम से दिल्ली की एक फर्म को लाभ पहुंचाने के मकसद से महंगे दामों पर ऑक्सीजन गैस सिलेंडर खरीदे।

जिस ऑक्सीजन गैस सिलेंडर की सप्लाई इनकी फर्म 9100 रूपए में देती है, उसे स्वास्थ्य विभाग ने 15750 रूपए में जबकि 13500 रूपए की कीमत वाले सिलेंडर को 18500 रूपए में खरीदा गया। सुधांभु कपूर का कहना है कि अधिकारी प्रदेश की फर्मों को टारगेट करके सरकार की छवि को खराब करने की साजिश रच रहे हैं। सुधांभु कपूर का कहना है कि उच्चाधिकारियों ने यह सारा काम मिलीभगत से किया है। इनके रेट जानने के बाद इन्हें काम न देकर सीपीडब्ल्यूडी के माध्यम से ऑक्सीजन गैस के सिलेंडर महंगे दामों पर खरीदे गए। इन्होंने इसकी शिकायत सभी दस्तावेजों और अधिकारियों के नामों के साथ प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव और स्वास्थ्य निदेशक को भेज दी है। इन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग उठाई है।

लोगों का आरोप है कि जनता को सावधानी बरतने के लिए कडे कदम उठाने में भी सरकार को हिचक नहीं हो रही है ।हालांकि शिमला के एसपी मोहित चावला का कहना है कि चालान काटना पुलिस का मकसद नहीं है, बल्कि लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ न हो, इसके लिए मजबूरी में चालान काटे जा रहे हैं. जो नियमों की उल्लंघन करता हुआ पाया जाएगा उस पर कार्रवाई की जा रही है। एसपी ने कहा कि लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है कि किस तरह से अपना और दूसरों का ख्याल रखा जाना चाहिए। इसके लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए एसपी ने आम जनता से अपील की है कि सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का उपयोग करें। जनता पर सरकार की अपील का तभी असर पडता है जब सरकार खुद ही उस कार्य के प्रति गंभीर हो। सरकार गंभीर होने की जगह आरोपों की सफाई में उलझी हुई है।

हिमाचल प्रदेश में कोरोना इक्वीपमेंट यानी पीपीई किट खरीद घोटाले में नाम आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी। डॉ. राजीव बिंदल ने इस्तीफा देते हुए कहा था कि वह नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे रहे हैं। विजिलेंस विभाग की ओर से की गई जांच में सामने आया था कि पांच लाख रुपये के रिश्वत कांड में उनका एक बेहद करीबी, उनकी बेटी और दामाद के डायग्नोस्टिक सेंटर में काम करने वाला कर्मचारी पृथ्वी शामिल था। उसी समय एक ऑडियो क्लिप वायरल हुआ था, जिसमें गिरफ्तार किए गए स्वास्थ्य निदेशक डॉक्टर ए. के. गुप्ता कथित तौर पर बिंदल के करीबी से पांच लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे थे। ऑडियो क्लिप में साफ सुना जा सकता था कि निदेशक एक बैंक खाते को बंद करवाने की बात कर रहा है और आखिर में पृथ्वी से अपना सामान यानी पांच लाख रुपये पहुंचाने की बात करता है। इस घोटाले के बाद अब आक्सीजन सिलेंडर घोटाला सामने आया है। (अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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