भोलेभाले लोगों को ठग रहे झोलाछाप

भोलेभाले लोगों को ठग रहे झोलाछाप
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कुमारसैन, शिमला। आर्युवैद के नाम पर आजकल भोले-भाले ग्रामीणों को ठगा जा रहा है। जिसका खुलासा आनी उपमंडल के मीडिया की छानबीन में हुआ। घोटाला मीडिया तक पंहुचते देख ग्रामीणों की मजबूरियों का फायदा उठाकर आयुर्वेदिक उपचार के नाम पर धंधा करने वाले अपना बोरिया समेटकर फरार हो गये।

बता दें कि जिला शिमला के उपमंडल कुमारसैन और जिला कुल्लू के उपमंडल आनी में आर्युवैदिक इलाज के नाम पर ऐसे यंत्र से जांच की जा रही है, जिसे छूते ही आपके लगभग 30 से 40 टेस्ट हो जाते हैं और मिनटों में रिपोर्ट आपके हाथ में थमा दी जाती है। बात यहीं तक समाप्त न हीं होती इन रिपोर्टों को आधार भोलेभाले लोगो को मूर्ख बनाकर उन्हें हजारों की दवाईयां थमा दी जाती है।

मीडिया ने जब उक्त फर्जी लोगों से जब यह सवाल किया कि वास्तव में बारह से चैदह हजार रुपयों का यह यंत्र इतना ही कामयाब है, तो इसे हर अस्पताल और डिस्पेंसरी में स्थापित क्यों नहीं किया जाता। अगर ऐसे कामयाब यंत्र की स्थापना सरकारी अस्पतालों में हो जायेगी तो आमजनों को इलाज के लिए दूरदराज रामपुर, शिमला व चंडीगढ़ भटकने से भी निजात मिलेगी।

आयुर्वेदिक जागरूकता शिविर लगाने वाली इन संस्थाओं ने अपना लक्ष्य कुमारसैन उपमंडल में तीन-चार शिविर लगा कर गत वर्ष भी पूरा किया, किन्तु अपने कुछ नीजि स्वार्थ के चलते कुछ लोगों ने इनकी खिलाफत करने के स्थान पर इनका सहयोग किया था और जागरूकता की कमी व विभागीय उदासीनता के चलते बहुत से लोग ठगे जा चुके हैं और अभी भी ठगे जा रहे हैं।

जानकारों का मानना है कि यह जमीनी हकीकत है कि आज भी उच्च शिक्षा एंव स्वास्थ्य सुविधाएं सम्पन्न लोगों तक ही सीमित है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं हेतु बेहतर विकल्प नहीं है, इसलिए झोलाछाप डाक्टर ही ग्रामीण क्षेत्रों के भगवान बन बैठे है। और हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। ग्रामीण परिवेश के आम नागरिक स्वास्थ्य एंव उच्च शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से सदैव वंचित रहते है, इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है।

मीडिया ने अपनी छानबीन में पाया कि बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के पंचायत घरों, रेस्ट हाउस और महिला मंडल में आयुर्वेदिक स्वास्थ्य जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है और बिना किसी प्रमाणिकता के हजारों रुपयों की दवाईयां बेची जा रही है, लेकिन सरकारी तंत्र सबकुछ जानते-बूझते आंखें मूंदकर बेफिक्र बैठा है। उनका मानना है कि फिलहाल तो मीडिया की सक्रियता देखकर झोलाछाप अपना झोला उठाकर भाग गये हें, लेकिन फिर नहीं आयेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है।

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