विलक्षण नेता थे मोतीलाल वोरा

विलक्षण नेता थे मोतीलाल वोरा

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का कोरोना वायरस संक्रमण के बाद हुई स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण 21 दिसम्बर 2020 को निधन हो गया। वह 93 साल के थे। उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि यूरिनरी इंफेक्शन के बाद उन्हें एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था, जहां वह वेंटिलेटर पर थे। संयोग देखिए कि एक दिन पहले ही (20 दिसंबर) को वोरा का जन्मदिन था। वह गत अक्टूबर महीने में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे और कई दिनों तक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती रहने के बाद उन्हें छुट्टी भी मिल गई थी। पूर्व राज्यपाल और पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा ने अपने पांच दशकों से अधिक के राजनीतिक जीवन में पार्टी और सरकार में कई अहम भूमिकाओं का निर्वहन तो किया ही, साथ ही अपने रहमदिल व्यवहार के चलते वह याद किये जाते थे। इस साल अप्रैल तक राज्यसभा के सदस्य रहे और कुछ महीने पहले तक कांग्रेस के महासचिव (प्रशासन) की भूमिका निभा रहे थे। उन्होंने करीब दो दशकों तक कांग्रेस के कोषाध्यक्ष और संगठन में कई अन्य जिम्मेदारियां निभाईं। वह 1980 के दशक में दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और 1990 के दशक में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहे। केंद्र में पीवी नरसिंह राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में उन्होंने स्वास्थ्य और नागरिक उड्डयन मंत्री के रूप में भी सेवा दी। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद मोतीलाल वोरा को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बनाने की चर्चा भी हुई थी लेकिन खुद मोतीलाल वोरा ने ही इसका खंडन कर दिया था। हालांकि अपने स्तर के निर्णय में वह क्षण भर का विलम्ब नहीं करते थे। लखनऊ के गोमती नगर स्थित पत्रकार पुरम के हम जैसे लोग इसके गवाह हैं, जिनकी पेयजल की समस्या उन्होंने नया नलकूप लगवाकर हल करायी थी।

बहरहाल, व्यवसायी से पत्रकार और पत्रकार से नेता बने मोतीलाल वोरा एक समय छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में ट्रांसपोर्ट कंपनी चलाते थे। मोतीलाल वोरा अपने समय के नामी पत्रकार भी रहे। उन्होने अपना अखबार निकाला। संभवतः इसीलिए गोमती नगर में पत्रकार पुरम की पेयजल समस्या ने उन्हें दृवित कर दिया। पत्रकार पुरम कल्याण समिति के अध्यक्ष पीके राय, वरिष्ठ पदाधिकारी जेपी शुक्ला, डाॅ. रमेश दीक्षित व वरिष्ठ पत्रकार मधुसूदन त्रिपाठी ने मोतीलाल वोरा के निधन पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन दिनों को याद किया जब गोमतीनगर पत्रकार पुरम में गिनती के लोग रहने आये थे। यह 90 के दशक की बात है जब उत्तर प्रदेश में मोतीलाल वोरा राज्यपाल हुआ करते थे। इसी दशक में बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ और तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था। बोरा जी के नेतृत्व में राज्यपाल शासन लगाया गया। गोमती नगर की बलुअर जमीन में मकानों का निर्माण तेजी से शुरू हुआ तो भूजल स्तर नीचे चला गया। घरों में लगे हैण्डपम्प बेकार हो गये। पानी की टंकियों से जलापूर्ति बहुत कम हो पा रही थी। गोमती नगर कालोनी की एक बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ पार्क बहुत हैं। पार्क हरे भरे तभी रहेंगे जब उनको पर्याप्त पानी मिले। पानी जब पीने को ही नहीं समिल पा रहा था तो पार्क में फूल पौधे कैसे लगते। इसी समस्या को लेकर पत्रकार पुरम के वरिष्ठ जन राज्यपाल मोतीलाल वोरा से मिले। राज्यपाल ने महीने के अंदर ही पत्रकार पुरम के एक पार्क में नलकूप लगवा दिया और जलनिगम को सख्त हिदायत दी गयी कि इस नलकूप से पत्रकार पुरम को सीधे जलापूर्ति की जाए। पत्रकारपुरम में पार्क भी हरे भरे हैं और सर्दियों में गर्म व गर्मा में ठण्डे पानी की आपूर्ति हो रही है।

मोतीलाल वोरा जी का नाम कांग्रेस के उन दुर्लभ नेताओं में शुमार किया जा सकता है जिन्हें अपने पद और कद का कभी गुमान नहीं रहा। वे हमेशा सहज, सरल और मानवीय संवेदनाओं से भरपूर बने रहे। उनके व्यक्तित्व में यह ऐसा आकर्षण था जिससे प्रभावित होकर लोग उनके पास खिंचे चले आते थे और जो एक बार उनसे जुड़ गया वो हमेशा अपनत्व भाव से उनसे जुड़ा ही रहता था। मध्यप्रदेश के पत्रकार उपाध्याय ने मोतीलाल वोरा को श्रद्धांजलि देते हुए एक रोचक और अलग तरीके का अनुभव देने वाला किस्सा बताया।

उपाध्याय ने वोराजी से मिलने का समय मांगा और अपनी स्वभावगत सहजता और सरलता के चलते उन्होंने उसी दिन मिलने बुला लिया। उपाध्याय जब पहुंचे तो घर में उनके अलावा परिवार का और कोई नहीं था। बातचीत शुरू हो इससे पहले उन्होंने चाय को पूछा और खुद ही किचन में किसी को चाय बनाने को कहने के लिए चले गए। फिर वे बाहर आए और कहा, चलिये अंदर के कमरे में बैठते हैं। यहां का पंखा नहीं चल रहा, वहां का चल रहा है। उपाध्याय कहते हैं कि ऐसी सरलता मैंने किसी और नेता में नहीं देखी। वोरा जी ने कहा था-अरे एक बार मेरे इसी आग्रह के चलते बहुत बड़ा हादसा होते होते बचा था। उनकी इस बात ने उपाध्याय को चैंका दिया। उन्होंने पूछा- अरे, कैसे? क्या हुआ था? वोरा जी बोले- मैं उत्तर प्रदेश में राज्यपाल था। उन्हीं दिनों एक बहुत बड़े अखबार के प्रतिनिधि मुझसे मिलने आए। मैंने उनसे कहा चलिये भीतर बैठ कर बात करते हैं। मैं उन्हें बेडरूम में ले आया। सोचा यहां बिना किसी व्यवधान के बात हो सकेगी। बातचीत शुरू होने के थोड़ी ही देर बाद मैं बात करते करते ही वहीं बिस्तर पर लुढ़क गया।

राज्यपाल के यूं अचानक बात करते करते गिर जाने की घटना ने उस पत्रकार के होश फाख्ता कर दिए। कमरे में उस समय केवल दो ही लोग थे, एक राज्यपाल वोराजी और दूसरे वो पत्रकार। राज्यपाल के मूच्र्छित हो जाने से घबराए पत्रकार ने तुरंत सहायकों को आवाज दी और सभी दौड़ पड़े। वहां अफरा तफरी का माहौल हो गया। आनन फानन में वोरा जी को लखनऊ के पीजीआई ले जाया गया, जहां उन्हें आईसीयू में रखा गया। तबियत थोड़ी ठीक होने पर वोरा जी ने जब खुद को आईसीयू में पाया तो वे भी चैंक गए। पूछा- अरे, मुझे क्या हुआ है। डॉक्टरों ने उन्हें चुप रहने और आराम करने की सलाह दी। उनके कई सारे टेस्ट करा लिये गए। उनसे कहा गया कि जांच रिपोर्ट आने तक आपको कुछ दिन यहीं रहना होगा। हम कोई रिस्क नहीं ले सकते। वोराजी ने डॉक्टरों से बहुत कहा कि मुझे कुछ नहीं हुआ है, सब कुछ सामान्य है, लेकिन डॉक्टर मानने को तैयार नहीं थे। जब किसी भी सूरत बात नहीं बनी तो उन्होंने अंत में अपनी मूच्र्छा का राज डॉक्टरों के सामने खोल ही दिया। उन्होंने कहा- अरे भाई मुझे कुछ नहीं हुआ है। बस थोड़ी सी तंबाकू लग गई है, उसी से चक्कर आ गए थे। राज्यपाल की बात सुनकर डॉक्टर भी हैरान रह गए। हालांकि उसके बाद भी उन्होंने वोराजी को पूरी जांच पड़ताल के बाद ही घर जाने की इजाजत दी।

किस्सा बयां करते हुए वोराजी ने बताया कि दरअसल वे पहले तंबाकू का सेवन करते थे। बहुत ज्यादा तो नहीं पर कभी कभार ले लेते थे। उस दिन उन पत्रकार महोदय से बातचीत के दौरान भी उन्होंने मुंह में तंबाकू दबा ली थी। इधर बात चलती रही और तंबाकू को थूकने की स्थिति नहीं बन पाई सो उन्होंने उसे निगल लिया। बस वही गड़बड़ हो गई और तंबाकू ने अपना असर दिखाते हुए उन्हें थोड़ी देर के लिए अचेत कर दिया। इस घटना के बाद उन्होंने तंबाकू से तौबा कर ली।

खैर.. मैंने वोरा जी से कहा, अब मैं आपके साथ इस कमरे में नहीं बैठ सकता चलिये बाहर चलकर बैठते हैं। वे हंसे और बोले, अरे भाई अब मैंने तंबाकू खाना छोड़ दिया है। ऐसा वैसा कुछ नही होगा। ऐसे साफ दिल इंसान थे मोतीलाल वोरा। (हिफी)

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