मजदूरों के फण्ड पर कामन सर्विस सेंटर का डाका

मजदूरों के फण्ड पर कामन सर्विस सेंटर का डाका

लखनऊ। लॉकडाउन में श्रमिकों, खास कर प्रवासी श्रमिकों की दिक्कतों से जुड़ी खबरें बहुत सुर्खियों में रहीं। बड़ी संख्या में मजदूरों के पैदल ही अपने मूल राज्यों के लौटने की तस्वीरें भी सामने आईं। कि निर्माण मजदूरों को राहत देने के लिए पंजाब सरकार की ओर से जिस फंड की घोषणा की गई, उस पर कॉमन सर्विस सेंटर्स के भ्रष्ट कर्मचारियों ने ही डाका डाल दिया। पंजाब सरकार ने निर्माण कार्यों में लगे मजदूरों के लिए जिन राहत उपायों का एलान किया था, वो घोटाले की भेंट चढ़ गए। जांच में सामने आया है कि पंजाब कॉमन सर्विस सेंटर के कर्मचारियों ने लॉकडाउन अवधि में मजदूर राहत फंड के पैसे से गुलछर्रे उड़ाए।

इन कर्मचारियों ने न केवल रजिस्ट्रेशन के नाम पर गरीब मजदूरों का खुलेआम शोषण किया, बल्कि संदिग्ध और फर्जी एंट्री करके राज्य के खजाने को बड़ा नुकसान भी पहुंचाया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लॉकडाउन के दौरान हर रजिस्टर्ड निर्माण मजदूर को 3,000 रुपये की राहत देने का एलान किया था। श्रम विभाग के जरिए राहत उपायों की शुरुआत की गई, जो निर्माण गतिविधियों में लगे लोगों सहित सभी प्रकार के मजदूरों के रिकॉर्ड को मेंटेन करता है। निर्माण मजदूरों का रजिस्ट्रेशन शहरी और ग्रामीण इलाकों में बड़ा कारोबार बन गया, जहां कॉमन सर्विस सेंटर्स के कर्मचारी कथित तौर पर हर रजिस्टर्ड व्यक्ति से 200 से 400 रुपये की रकम वसूलने लगे. जबकि ऐसे लोगों में अधिकतर निर्माण मजदूर नहीं थे। जांच में ये भी खुलासा हुआ कि कॉमन सर्विस सेंटर के कर्मचारियों ने 10 रुपये के रजिस्ट्रेशन फॉर्म को भी 100 से 300 रुपये के बीच बेचा। इन कर्मचारियों की गतिविधियों पर इसलिए संदेह बढ़ा, क्योंकि बिना कामकाज वाले घंटों में भी ये रजिस्ट्रेशन कर रहे थे। कॉमन सर्विस सेंटर्स के बाहर लोगों की भारी भीड़ जुटी और उनमें से कई लंबी दूरी की यात्रा करने के बाद वहां पहुंचे।

पटियाला पुलिस ने की दो महिला कर्मचारियों को भी कथित रूप से पकड़ा था, जो रजिस्ट्रेशन फॉर्म के लिए 300 रुपये की मांग कर रही थीं। श्रम विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पिछले दो महीनों के दौरान 70,000 से अधिक मजदूरों ने रजिस्ट्रेशन कराया। इससे जुड़ा दिलचस्प तथ्य यह है कि 150 आवेदन ऐसे रजिस्टर्ड हुए जिन पर एक ही मोबाइल फोन नंबर दिया गया था। राज्य अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय कुमार जंजुआ ने अनियमितताओं के सामने आने के बाद कॉमन सर्विस सेंटर्स को बंद करने का आदेश दिया है। अधिकारियों को संदेह है कि इन सेंटर्स के कर्मचारियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आम लोगों को भी निर्माण मजदूर के तौर पर रजिस्टर्ड किया. यह इस उम्मीद के साथ किया गया था कि राज्य सरकार उनके बैंक खातों में राहत की एक और किश्त जारी करेगी।

पंजाब में 3.18 लाख रजिस्टर्ड निर्माण मजदूर हैं। राज्य सरकार ने लॉकडाउन के दौरान पीड़ित मजदूरों की मदद के लिए श्रमिक निधि से 176 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। लाभार्थियों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से 96 करोड़ रुपये बांटे भी जा चुके हैं। पंजाब सरकार ने विभिन्न स्रोतों से अनुमानित 200 करोड़ रुपये का श्रम कल्याण कोष इकट्ठा किया और मार्च 2020 तक यह कुल 800 करोड़ रुपये हो गया। कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए।

(हिफी)

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