सियासी दलों की बढ़ रही हैं धड़कनें- जाट किसकी खड़ी करेगा खाट?

सियासी दलों की बढ़ रही हैं धड़कनें- जाट किसकी खड़ी करेगा खाट?

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण की नामांकन प्रक्रिया खत्म होने के साथ ही दूसरे चरण की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है, जिसके चलते पहले चरण की सीटों पर आगामी 10 फरवरी को मतदाताओं द्वारा वोट डाले जायेंगे। मतदाताओं को अपने पाले में खींचने के लिये सभी उम्मीदवारों द्वारा जोर लगाये जा रहे है लेकिन पश्चिमी यूपी में सियासत में अपना अहम स्थान रखने वाली जाट जाति के ऊपर सभी दल अपनी निगाहे गडाये हुए है। पिछली बार विधानसभा चुनाव में मिली जाट वोट खिसकने का डर एक दल को सता रहा है। दलों की गहमागहमी को देखते हुए माना जा सकता है कि 18वीं विधानसभा के गठन के लिये हो रहे इस चुनाव में जाट किसी भी दल की खाट खड़ी कर सकता है।


दरअसल मुजफ्फरनगर से दंगों के दौरान हिन्दू-मुस्लिम समाज में एक-दूसरे के प्रति नफरतों की आग उत्पन्न हो गई थी। इस आग में जाटों और हिन्दू समाज के अन्य वर्गों की वोट भुनाने में खुद को हिन्दुत्व की पार्टी कहने वाली भाजपा सफल रही थी। इस दंगे के बाद भाजपा देश की सत्ता में अगले वर्ष ही हुए लोकसभा चुनाव में बम्पर सीटों से जीत हासिल की थी। इसके बाद यूपी में 17वीं विधानसभा के लिये हुए चुनाव में भाजपा राम मंदिर बनाने और मुजफ्फरनगर दंगों को फ्रंट पर रखते हुए प्रचंड बहुमत हासिल कर राज्य में अपना परचम लहराने में सफल रही थी। इसके बाद वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को इसका फिर से फायदा हुआ फिर दोबारा देश में भाजपा सत्ता में आई।

आंकडों के मुताबिक पश्चिमी यूपी में जाटों की करीब 18 फीसदी वोट हैं और मुस्लिम वोट लगभग 27 प्रतिशत हैं। दोनों समाज की वोट जोड़कर 45 प्रतिशत हो जाती है। मुजफ्फरनगर दंगों से पूर्व यूपी में इन दोनों समाज का किसी भी दल को सत्ता में लाने में अहम योगदान रहता था। दंगों में एक-दूसरे के बीच पैदा हुई नफरतों के दौर में सक्रिय हुई भाजपा इसे लेकर सत्ता की पटरी पर चढ़ने मेें कामयाब रही। भारत सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों लाये गये थे। इन कानूनों का किसान निरंतर आंदोलन कर रहा था। इस आंदोलन में जब पुलिसकर्मियों द्वारा किसानों को वहां से हटाया गया तो बाद में वहां पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत फूट-फूटकर रोने लगे थे, जिसके बाद किसानों की राजधानी कही जाने वाली सिसौली में किसानों की पंचायत हुई और अगले दिन ही मुजफ्फरनगर के जीआईसी मैदान में महापंचायत का ऐलान किया गया था।


रालोद के पूर्व अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने मौजूदा समय में रालोद के मुखिया के रूप में कमान संभाल रहे अपने पुत्र चौधरी जयंत सिंह को महापंचायत में भेजा था। इस महापंचायत में गुलाम मौहम्मद जौला ने भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत और चौधरी जयंत सिंह को गले मिलवाया और इसी महापंचायत में लौटा नमक भी गिर गया था। इस महापंचायत के बाद आंदोलन को संजीवनी मिल गई थी। इसके पश्चात आंदोलन जारी रहा। इसी बीच 5 सितम्बर को एक बार फिर मुजफ्फरनगर के उसी जीआईसी मैदान में महापंचायत हुई। इस महापंचायत में हुई भीड़ इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में रिकॉर्ड के तौर पर दर्ज हो गई थी। आंदोलन शुरू होने से लेकर अंतिम तक किसान नेताओं और सरकार के बीच काफी वार्ताएं हुई थी लेकिन वार्ताए लगातार असफल हो रही थी। एक दिन देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्चुअल सम्बोधित करते हुए कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी, जिसके बाद यह कानून वापस ले लिये गये थे।


भारत सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद आंदोलन समाप्त हो गया लेकिन किसानों का कहना है कि वह अभी-भी भाजपा से नाराज हैं और उनको यह डर सता रहा है कि दोबारा फिर भाजपा सरकार कानूनों को वापस ला सकती है। अब जाटों की इन वोटों पर हर दल अपनी नजर गडाये हुए है। जाटों की वोटों को हासिल करने के लिये पार्टियों के बड़े सियासी राजनेता पश्चिमी उत्तर प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। सियासी जादूगर के नाम से मशहूर भाजपा के बड़े राजनेता भी पश्चिमी यूपी में वोटों को साधने के लिये आ चुके हैं।


लोगों का कहना है कि जाट वोटों को अपनी झोली में डलवाने के लिये केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सैकडों किसान नेताओं के संग मीटिंग की। बताया जा रहा है कि गृहमंत्री अमित शाह ने चौधरी जयंत सिंह को बीजेपी के साथ हाथ मिलाने का ऑफर दिया। अमित शाह का जवाब देते हुए चौधरी जयंत सिंह ने कहा कि न्यौता मुझे नहीं, उन 700 प्लस किसान परिवारों को दो, जिनके घर आपने उजाड़ दिये। चौधरी जयंत सिंह ने बृहस्पतिवार को खतौली पहुंचकर कहा कि यह लोग तब कहां गये थे जब किसानों को लखीमपुर खीरी में गाडी से रौंद दिया गया था। उन्होंने कहा कि आज वह वोटों के साथ मुझसे भाजपा के करीब आने की उम्मीद कर रहे हैं। चौधरी जयंत सिंह ने कहा कि मैं कोई चवन्नी हूं, जो पलट जाऊंगा।


गौरतलब है कि भाजपा ने वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद चौधरी अजित सिंह को हराने वाले डॉ संजीव बालियान को पशुपालन एवं डेयरी मतस्य विभाग का केन्द्रीय राज्यमंत्री बनाया। उत्तर प्रदेश के हो रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा ने केन्द्रीय राज्यमंत्री डॉ संजीव बालियान को भी प्रचारक बनाया। जाट वोटों को हासिल करने के लिये सभी दल अपनी ताकतें झौंक रहे हैं। अब देखने वाली बात यह है कि जाटों के साथ अब किसान वोट किसके पक्ष में मतदान कर अपने वोट से चोट देंगे।



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