जनता के विरोध की आंधी के सामने कोई नहीं टिक पाया है : अखिलेश यादव

जनता के विरोध की आंधी के सामने कोई नहीं टिक पाया है : अखिलेश यादव
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लखनऊ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा अपनी जनविरोधी नीतियों के चलते निरन्तर अलोकप्रिय होती जा रही है। सीएए और एनआरसी पर देशभर में असंतोष और जनाक्रोश का प्रदर्शन हो रहा है। इससे घबड़ा कर भाजपा नेतृत्व ने अब जनजागरण रैली और पदयात्रा के कार्यक्रमों के आयोजनों में अपनी ताकत झोंक दी है। आज लखनऊ में केन्द्रीय गृहमंत्री की रैली के फ्लाप शो में उनके भाषण में उनकी हताशा साफ दिख रही थी जिसे छुपाने के लिए ही वे अहंकार की बोली बोल रहे थे।

लोकतंत्र की मूलभावना से खिलवाड़ करते हुए भाजपा नेता असहिष्णुता को ही अपनी पहचान बनाने में लग गए हैं। यह कहना कि हर हाल में हम सीएए, एनआरसी, एनपीआर को लागू करेंगे जताता है कि भाजपा की मंशा अपने बहुमत के रोडरोलर से जनता को कुचलने का तानाशाही कदम उठाने की है। भाजपा-आरएसएस का यह एजेण्डा चलने वाला नहीं है। वे व्यर्थ ही गांधीजी को उद्धृत कर जनता को भरमाने की साजिश कर रहे हैं। गांधीजी देश में भाजपा की तरह नफरत की राजनीति नहीं करते थे। समाज को बांटने की बात वे स्वप्न में भी नहीं सोच सकते थे।

वास्तविकता यह है कि दुबारा सत्ता में आने पर भाजपा नेतृत्व को जरूरत से ज्यादा घमण्ड हो गया है। लोकतंत्र में केवल बहुमत नहीं लोकमत की भी अहम भूमिका होती है। लोकमत की अनदेखी से सत्ता की साख नहीं रहती है। भाजपा की जिन कुनीतियों का देशव्यापी विरोध हो रहा है, उसके प्रति संवेदनहीनता का प्रदर्शन लोकतंत्र की स्वस्थ भावना नहीं और यह संविधान की मूलभावना की अवमानना करना भी है।

सच तो यह है कि देश की अर्थव्यवस्था गम्भीर संकट के दौर से गुजर रही है। मंदी की छाया गहरी होती जा रही है। नोटबंदी-जीएसटी ने उद्योगधंधे चैपट कर दिए हैं। एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि एक साल पहले की तुलना में 16 लाख नौकरियां कम होने जा रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो बताता है कि सन् 2018 में हर दिन औसतन 35 बेरोजगार और 36 स्वरोजगार वालों ने आत्महत्याएं की। इन दोनों श्रेणियों के 26,085 लोगों ने अपनी जाने गंवाई। देश में कुल 1,34,516 लोगों ने फांसी लगाई है। इनमें कृषि क्षेत्र से 10,349 लोगों ने आत्महत्या की।

स्पष्ट है कि देश के सामने जो गम्भीर चुनौतियां हैं उनका हल निकालने में भाजपा की न तो रूचि है और नहीं नीति है। वह जनता को मूल समस्याओं से भटकाने के लिए ही सीएए, एनआरसी, एनपीआर जैसे मामले उछालकर सत्ता में अपनी मनमानी कायम रखना चाहती है। भाजपा की सरकार और नेतृत्व की बदनीयती को जनता भलीभांति समझ गई है। इसलिए भाजपा की काठ की हांडी अब दुबारा चढ़ने वाली नहीं है।


समाजवादी पार्टी की सलाह है कि भाजपा नेतृत्व लोकलाज न छोड़े, जनता की आवाज को पहचाने, धमकियों और अहंकार की भाषा से विपक्ष दबने वाला नहीं। दूसरों को नसीहतें देने वाले पहले खुद इतिहास पढ़ लें कि जनता के विरोध की आंधी के सामने कोई नहीं टिक पाया है।

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