किसानों और नौजवानों की उम्मीद हैं अखिलेश यादव : राजेन्द्र चौधरी

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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की झांसी यात्रा कई मायनों में उल्लेखनीय रही। 5 अक्टूबर 2019 की रात वहां के नौजवान पुष्पेन्द्र यादव की फर्जी एनकाउण्टर में हत्या कर दी गई। क्षेत्रीय जनता में काफी आक्रोश था। अखिलेश जी को अन्याय बर्दाश्त नहीं। 9 अक्टूबर 2019 को उन्होंने पीड़ित परिवार से मिलने का कार्यक्रम बना लिया। करगुआ खुर्द, थाना मोठ एरच जिला झांसी का यह रास्ता पार करना रोमांच भरा रहा।



पुष्पेन्द्र यादव के गांव पहुंचने के लिए बेतवा नदी को पार करना पड़ता है। इस गांव तक पहुंचने के लिए बेतवा नदी पर कोई पुल नहीं है। एक रपटा है जो कम खतरनाक नहीं है। वाहनों की कतार के साथ गुजरने पर तो तमाम आशंकाएं घेर लेती है। बेतवा नदी का उद्भव भोपाल ताल से है और वह हमीरपुर में यमुना नदी में जाकर मिल जाती है। इसी बेतवा नदी को पार कर अखिलेश ने 10 अक्टूबर 2019 को अचानक बरूआ सागर जाने का भी निर्णय कर लिया।


बरूआ सागर में समाजवादी सरकार के समय 585 लैपटाॅप मिले थे। अखिलेश यादव ने तय किया बरूआ सागर जाकर उस परिवार से मिलेंगे जिनके भाई बहन को उन्होंने समाजवादी सरकार में लैपटाॅप दिया था। 10 अक्टूबर 2019 को झांसी में प्रेसवार्ता के बाद उनका काफिला बरूआ सागर की ओर चल दिया।


अखिलेश ने वहां पहुंचकर लाभार्थी परिवार से जानना चाहा कि उन्हें जो लैपटाॅप मिला है क्या वह अभी भी ठीक से काम कर रहा है? उन्होंने पूछा उनकी प्रगति में लैपटाॅप की क्या भूमिका रही है?


अखिलेश यादव से बरूआ सागर के कटरा मोहल्ला में लैपटाप की लाभार्थी छात्राएं भी मिली और उन्होंने लैपटाॅप के लिए उन्हें बारम्बार धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि उनमें से एक का भाई आईटीआई दिल्ली में एम.टेक कर रहा है। लैपटाॅप से उन्हें अपनी पढ़ाई और प्रगति में काफी मदद मिली है।


बुन्देलखण्ड में सूखा और बारिष की चपेट में फसलें तबाह होने से वहां के किसान बदहाल हो गए हैं। वहां ज्वार, बाजरा तिल, मोठ, अरबी की फसलें होती है। बरूआ सागर में यहां हल्दी और अदरक की आढ़तें हैं। ये सभी फसले नष्ट हो गई है। कर्ज के बोझ से दबे किसानों को आत्महत्या के अलावा दूसरा रास्ता नहीं सुझाई दे रहा है। फसलों का किसानों को लाभप्रद मूल्य छोड़िए न्यूनतम समर्थक मूल्य भी नहीं मिल रहा है। भाजपा सरकार उनके हालात से बेपरवाह हैं। यह समाजवादी सरकार ही थी जिसने बुन्देलखण्ड में पेयजल के साथ समाजवादी खाद्य पैकेट भी बांटे थे जिसमें घी, आटा, चावल, दाल, आलू, नमक, मसाले आदि की व्यवस्था थी। सौर ऊर्जा के प्लांट भी समाजवादी सरकार में लगाये थे।


झांसी वाया कानपुर लखनऊ तक राष्ट्रीय राजमार्ग की बहुत बुरी हालत है। इसमें गड्ढों का कोई अंत नहीं। लखनऊ से झांसी लगभग 300 किलोमीटर की दूरी तय करने में औसत निर्धारित समय से डेढ़ गुना समय लगता है। भाजपा की केन्द्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग के बारे में बड़े-बड़े दावे करती हैं किन्तु हकीकत में कुछ नया दिखाई नहीं देता है।


अखिलेश यादव ने अपनी यात्रा में कालपी में यमुना के किनारे ऐतिहासिक डाक बंगला का जिक्र किया जहां झांसी की रानी और तात्या टोपे की बैठक हुई थी। वे चिरगांव से भी गुजरे जहां राष्यट्र कवि मैथिली शरण गुप्त का निवास था। उन्होंने इन ऐतिहासिक स्मारकों की दुर्दशा पर अप्रसन्नता जताई।


अखिलेश यादव की प्राथमिक चिंता विकास के साथ किसानों और नौजवानों के हालात में सुधार की रहती है। वे इनके प्रति भाजपा की गलत नीतियों और प्रशासकीय लापरवाही से दुःखी और क्षुब्ध होते हैं। जनता अखिलेश जी में अपना भविष्य देखती है।

समाजवादी सरकार में अखिलेश यादव ने विकास के जो कार्य किए हैं उनकी प्रशंसा देश-विदेश सर्वत्र हुई है। विरोधी भी उनके नए विजन और कार्यप्रणाली के कायल हैं। लोगों का उन पर भरोसा है। इसलिए आज भी जहां अखिलेश यादव जाते हैं हजारों स्त्री-पुरूष, नौजवान, किसान उनसे मिलने और उन्हें देखने के लिए उमड़ पड़ते हैं। अखिलेश यादव भविष्य की राजनीति की उम्मीद भी है।

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