जनसंवाद को पार्टी कार्यकर्ताओं सें रूबरू हुए अखिलेश यादव

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इटावा। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज अपने पैतृक गांव सैफई में बिल्कुल नए अंदाज में दिखे।



अखिलेश यादव खुद कुछ बोलने से ज्यादा लोगों से उनकी बातें सुनी और राष्ट्रीय, संगठनात्मत्मक व स्थानीय मुद्दों पर कई घंटे तक लोगों के विचार सुने। जनसंवाद के तहत उन्होंने युवाओं को बोलने की खुली छूट दी, जिसके तहत उनके सामने युवाओं ने उनकी कार्यशैली पर भी प्रश्न लगाते हुए कहा कि आपसे जुड़े लोग ही भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं और जनता की बात आप तक नही पहुंचने देते। ऐसे लोग ही मुगालते में रख जमीनी रिपोर्ट से आपको अवगत नहीं होने देते।



जनसंवाद के तहत सभी ने कहा कि आपके विकास कार्याें की जनता में पुरजोर चर्चा है, मगर जनभावनाएं वोटों में तब्दील क्यों नहीं हुई, इस पर आपको और संगठन को गम्भीरता से विचार करना चाहिए। कन्नौज से आये एक कार्यकर्ता ने मायावती के मंच पर पैर छुए जाने को कुत्सित प्रचार में तब्दील किये जाने, लेकिन पीएम मोदी द्वारा कुम्भ में अनुसूचितों के पैर धोने को बढ़-चढ़कर सकारात्मक रूप प्रचारित करने को लेकर अपनी बात रखी। कुछ ने मीडिया पर तंज कसे तो कुछ ने कश्मीर मे धारा 370 के लेकर भी अपनी बात रखी। कई लोगों ने सपा अखिलेश यादव के वक्तव्य पर टिप्पणी करते हुए उन्हें सलाह दी कि अब वे हर जिले में एक या दो दिन जाकर ठहरें और आमजन सहित पार्टी कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करें। सत्ताधारी भाजपा द्वारा सपा के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के विरुद्ध उत्पीड़नात्मक कृत्य शुरू किए जाने पर भी नाराजगी के स्वर गूंजे।



बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रक्षाबंधन का त्योहार मनाने रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर ही सैफई पहुंच गए थे। उनके सैफई आने की खबर से वहां आसपास के जिलों की भीड़ जुटने लगी थी। रक्षाबंधन के दिन सुबह करीब नौ बजे अखिलेश निकले और घर के लॉन में बैठ गए। सबसे पहले उन्होंने अपने गांव की हाइस्कूल-इंटरमीडिएट परीक्षा वर्ष 2019 की 20 टॉपर लड़कियों को अपने शिक्षा ट्रस्ट की ओर से 10-10 हजार रुपये के चैक प्रदान करते हुए इस धनराशि का उपयोग शिक्षा पर करने की अपील भी की।



अपने बधाई संदेश में पूर्व मुख्यमंत्री व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि यह त्यौहार न केवल भाई-बहन के रिश्तों को पूरा आदर देता है, बल्कि आत्मीयता और स्नेह के बंधन से रिश्तों को मजबूती भी प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि यह पर्व भावनाओं से जुड़ा है और इस त्योहार का इतिहास में भी उल्लेख मिलता है। उन्होंने कहा कि परस्पर स्नेह और सौहार्द के प्रतीक रूप से इसे मनाया जाना चाहिए।
अखिलेश यादव ने कहा कि झूठ बोलने वाला अच्छे कपड़े पहनता है, तभी तो हर आदमी उसकी बात पर यकीन कर लेता है। उन्होंने सपेरों की बदहाल जिंदगी का जिक्र करते हुए कहा कि भारत को सपेरों का देश भी कहा जाता था, सपेरे भारत की असली पहचान माने जाते हैं। इतिहासकारों ने भी लिखा है कि भारत सपेरों का भी देश रहा है, लेकिन बदकिस्मती इस बात की है कि असली पहचान माने माने जाने वाले सपेरे बदहाली की जिंदगी बसर करने को मजबूर है। इन सपेरों के पास ना तो आज जमीन है और ना ही जिंदगी को चलाने के लिए कोई रोजी रोजगार। उन्होंने तंज कसा कि प्रधानमंत्री आज लाल किले से भाषण दे रहे हैं, लेकिन सपेरों कि जिंदगी की बदहाली दूर करने के दिशा में अभी तक कोई कदम अभी तक नहीं उठाया गया है। सपेरों के भविष्य को लेकर चिंतित अखिलेश यादव भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सपा सरकार में एक्सप्रेस वे के किनारे सपेरों को जमीन दी गयी थी, वो भी सपेरों से बापस छीन ली गयी है। सपेरे आज भीख मांगकर गुजारा कर रहे है।
इस अवसर पर वहा पर मौजूद सपेरा समाज के अध्यक्ष राजीव नाथ सपेरा ने कहा कि सपेरों को किसी जाति का दर्जा नही दिया गया है। उन्होंने मांग की कि सपेरा समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि सपेरों को पुलिस बहुत परेशान कर रही है। सपा सरकार में सपेरों को दी जाने वाली पेंशन भी भाजपा सरकार ने बन्द कर दी है। इस मौके पर मौजूद रहे।




अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी को आज अनुशासन और प्रशिक्षण की बहुत जरूरत है। अखिलेश यादव ने स्वीकार किया कि उनकी जानकारी में ऐसा आया है कि एक कार्यकर्ता दूसरे कार्यकर्ता को पार्टी के बड़े नेताओं से मिलने देने में बाधा खड़ी कर रहा है । इस प्रवृत्ति से हमको बचना चाहिए और दूसरे कार्यकर्ताओं को भी मौका देना चाहिए, तभी कार्यकर्ता का सम्मान हो सकता है और उस कार्यकर्ता की इज्जत भी दूसरे कार्यकर्ता के प्रति बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि विरोधियों को अगर हराना है तो उनसे अच्छा काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस बात पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि जो बूथ प्रभारी या कार्यकर्ता है, उसकी छवि कैसी है। बूथ लेवर कार्यकर्ता की छवि का असर भी पार्टी के जनाधार पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि जिन बूथ प्रभारियों की छवि खराब है। वह किसी भी सूरत में भरोसेमंद नहीं हो सकते, क्योंकि उनके वजह से ही गांव में जनाधार खिसकता है।




उन्होंने कहा कि भले ही तीन तलाक पर कानून आ गया हो, लेकिन सरकार यह बता पाने की स्थिति में नहीं है कि देश में लगभग 40 लाख से अधिक जो महिलाएं वेश्यावृत्ति में संलिप्त हैं, उनके लिए सरकार ने आखिरकार अभी तक क्या किया है। उन्होंने कहा कि कल तक नौकरियों लोगों के सामने थी, लेकिन आज सरकार ने आरक्षण प्रक्रिया को इतना जटिल कर दिया है। ऐसे में नौकरियां बड़ी मुश्किल से लोगों को मिल सकेगी। पूर्व सीएम ने कहा कि आने वाले समय में दूसरे की बातों पर भरोसा करने के बजाए अपने काम पर यकीन अधिक करें।






इस अवसर पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव दो घण्टे से ज्यादा जनसंवाद भी करते रहे और राखियां भी बंधवाते रहे। कन्नौज और मैनपुरी से आई कई मुस्लिम और दलित लड़कियों ने भी उन्हें राखी बांधी। करहल से आई ब्रह्माकुमारी महिला पदाधिकारियों ने भी अखिलेश यादव को राखी बांधी। इस मौके पर पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव, तेजप्रताप सिंह यादव, जिला सपा अध्यक्ष गोपाल यादव, सैफई प्रधान दर्शन सिंह यादव, इटावा पालिका अध्यक्ष फुरकान अहमद, सैफई महोत्सव के प्रबंधक वेदव्रत गुप्ता, कई विधायक और एमएलसी सहित सपेरा समाज के अध्यक्ष राजीव नाथ सपेरा व कालेनाथ, जयपाल नाथ, गिरीश नाथ, दिदूनाथ , मौसम नाथ, रंजय नाथ भी मुख्य रूप से मौजूद रहे।

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