भाजपा सांसद हुकुम सिंह का देहांत

भाजपा सांसद हुकुम सिंह का देहांत
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लखनऊ : कैराना के भाजपा के सांसद हुकुम सिंह का देहांत हो गया है.सांसद हुकुम सिंह ने नोएडा के जेपी अस्पताल में अंतिम सांस ली.सांसद हुकुम सिंह के निधन से राजनीति, साहित्य और समाज के विभिन्न हलकों में शोक की लहर दौड़ गई. वह मुजफ्फरनगर जिले के कैराना में ही रहते हैं। सांसद हुकुम सिंह का जन्म 5 अप्रैल 1938 को हुआ था. बचपन से ही वह पढ़ाई में काफी होशियार थे. कैराना में इंटर की पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय भेजा गया। वहां पर हुकुमसिंह ने बीए और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की.

सांसद हुकुम सिंह की शादी 13 जून 1958 को रेवती सिंह से हो गई. सांसद हुकुम सिंह ने वकालत करने लगे. इसी दौरान हुकुम सिंह ने जज बनने की परीक्षा पीसीएस ( जे) भी पास की। जज की नौकरी शुरू करते, इससे पहले चीन ने भारत पर हमला कर दिया और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने युवाओं से देशसेवा के लिए सेना में भर्ती होने के आह्वान पर वह सेना में चले गए.1963 में वह भारतीय सेना में अधिकारी हो गए.

सांसद हुकुम सिंह ने सैन्य अधिकारी 1965 में पाकिस्तान के हमले के समय अपनी टुकड़ी के साथ पाकिस्तानी सेना का सामना किया। इस समय कैप्टन हुकुमसिंह राजौरी के पूंछ सेक्टर में तैनात थे। जब सब सामान्य होने पर 1969 में उन्होंने सेना से इस्तीफा दे दिया और फिर वकालत करने लगे.

सांसद हुकुम सिंह वकीलों के बीच काफी लोकप्रिय होने पर उन्होंने बार अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा और 1970 में चुनाव जीत भी गए. यहीं से उनकी राजनीति की शुरुआत हो गई। 1974 तक उन्होंने इलाके के जन आन्दोलन में हिस्सा लिया और लोकप्रिय होते चले गए. हालत ऐसे हो गए थे कांग्रेस और लोकदल दोनों बड़े राजनीतिक दलों ने टिकट देने की बात कही.वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और चुनाव जीत भी गए. सांसद हुकुम सिंह उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बन चुके थे. 1980 में सांसद हुकुम सिंह ने पार्टी बदली और लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा और इस पार्टी से भी चुनाव जीत गए.तीसरी बार 1985 में भी उन्होंने लोकदल के टिकट पर ही चुनाव जीता और इस बार वीर बहादुरसिंह सरकार में मंत्री बनाए गए. बाद में जब नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने सांसद हुकुम सिंह को राज्यमंत्री के दर्जे से उठाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया.

सांसद हुकुम सिंह हुकुम सिंह को 1981-82 में लोकलेखा समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया.1975 में उत्तरप्रदेश कांग्रेस समिति के महामंत्री भी बने. 1980 में लोकदल के अध्यक्ष भी बने. और 1984 में वे विधानसभा के उपाध्यक्ष भी रहे. 1995 में हुकुमसिंह ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और चौथी बार विधायक बने. कल्याणसिंह और रामप्रकाश गुप्ता की सरकार में वे मंत्री रहे. 2007 चुनाव में भी विधानसभा पहुंचे। 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के आरोप भी उन पर लगे.। 2014 में भाजपा टिकट पर गुर्जर समाज के हुकुमसिंह ने कैराना सीट पर पार्टी को विजय दिलाई. भाजपा को उत्तरप्रदेश में अभूतपूर्व सफलता मिली।


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