सरकार बनी तो किसानो की सम्मान निधि में होगा इज़ाफ़ा मिलेंगे 12 हज़ार

सरकार बनी  तो किसानो की सम्मान निधि में होगा इज़ाफ़ा मिलेंगे 12 हज़ार

बुलंदशहर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर किसानो से वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुये राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) अध्यक्ष चौधरी जयंत ने कहा कि उनकी सरकार आने पर किसानो को 12 हजार रूपये सम्मान निधि दी जायेगी।

अध्यक्ष चौधरी जयंत ने बुधवार को हाथरस के सादाबाद और बुलंदशहर के अगौती में पार्टी के आशीर्वाद पथ कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि भाजपा जुमले वाली सरकार है, कोई ऐसा झूठ नहीं जो इन्होंने बोला ना हो, और कोई ऐसा वादा नहीं जो इन्होंने पूरा किया हो। उन्होने कहा कि हमारी सरकार आई तो किसानों को 12 हजार रुपये सम्मान निधि दी जाएगी। इसके अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत के डेढ़ गुना के हिसाब से लागू करेंगे।

सादाबाद में आयोजित कार्यक्रम में उन्होने कहा कि आलू के किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए एमएसपी घोषित की जाएगी। इसके अलावा सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जोड़कर अंत्योदय कार्ड धारकों को राशन के साथ प्रति यूनिट तीन किलो आलू भी दिया जाएगा। आलू आधारित उद्योग शुरू किए जाएंगे और आगरा में अनुसंधान केंद्र एवं आलू निर्यात जोन की स्थापना होगी।

उन्होने कहा कि प्रदेश में किसानों और गरीब आदमी का बुरा हाल है। महंगाई का आलम ये है कि गरीब को अपना घर चलाना मुश्किल हो रहा है। देश में सबसे महंगी बिजली यूपीमें है, वो भी अब समय से नहीं मिलती। किसान आज आत्महत्या करने को मजबूर है। लखीमपुर खीरी की घटना पर प्रदेश सरकार को घेरते हुए चौधरी जयंत ने कहा "मैं जहां जा रहा हूं अपने किसान भाइयों को उन शहीद किसानों के नाम याद करा रहा हूं ताकि उन्हें ध्यान रहे कि इस सरकार में किसानों पर कैसे जुल्म ढहाए जाते हैं। देश के प्रधानमंत्री को जिस गृह राज्यमंत्री को गिरफ्तार कराना चाहिए था उसे गिरफ्तार नहीं किया गया दिल्ली बुलाया गया। केंद्रीय गृहमंत्री ने उन्हें अपनी बगल में बैठाया और आशीर्वाद देकर वापिस भेज दिया कि अपना काम जारी रखो, कौन सा काम किसानों को कुचलने का। "

उन्होने कहा कि एक कानून है यूएपीए जिसमें आतकंवादी घटनाओं की रोकथाम के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आज उसी कानून का उपयोग सरकार अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को रोकने के लिए करती है। जब से नरेन्द्र मोदी आए हैं 8300 केस यूएपीए के दर्ज हुए हैं। इस कानून का इस्तेमाल उन लोगों के खिलाफ हो रहा है जो सरकार के खिलाफ बोलते हैं।


वार्ता



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