मल्लिकार्जुन खड़गे का संसद पहुंचना तय

मल्लिकार्जुन खड़गे का संसद पहुंचना तय

नई दिल्ली। कर्नाटक के राजनीतिक हलकों में ये अटकलें भी लगायी जा रही हैं कि राज्य की चार राज्यसभा सीटों के होने वाले चुनाव में पूर्व में गठबंधन सहयोगी रहे कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर एक साथ आ सकते हैं। कर्नाटक की चार राज्यसभा सीटों के तहत कांग्रेस के राजीव गौड़ा और बीके हरिप्रसाद, भाजपा के प्रभाकर कोरे और जद (एस) के डी कुपेंद्र रेड्डी का कार्यकाल 25 जून को पूरा हो रहा है और इन रिक्त सीटों के लिए 19 जून को चुनाव होना है। विधानसभा अध्यक्ष समेत 117 सदस्यों के साथ ही भाजपा चार में से दो सीटों पर जीत सुनिश्चित कर सकती है जबकि 68 विधायकों वाली कांग्रेस एक सीट पर जीत हासिल कर सकती है।

संसद में जिन नेताओं का जिक्र अक्सर होता है, उनमें कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम भी शामिल है । मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के अपराजेय योद्धा मानें जाते थे लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वे गुलबर्गा सीट से पराजित हो गये थे । कांग्रेस ही नहीं प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को भी उनकी अनुपस्थिति खटक रही थी। अब राज्यसभा चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग से हरी झंडी मिल गयी है और कांग्रेस नेतृत्व ने भी कम से कम मल्लिकार्जुन के नाम पर फैसला कर लिया है। कर्नाटक में कांग्रेस की तरफ से मल्लिकार्जुन खड़गे, वीरप्पा मोइली और केएच मुनियप्पा को राज्यसभा का उम्मीदवार माना जा रहा है।

कर्नाटक में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों में राज्यसभा की सीटों के लिए शतरंज की गोटियां चली जा रही हैं। फिलहाल कांग्रेस की तरफ से मल्लिकार्जुन खडगे को राज्यसभा में भेजना निश्चित है। खडगे कांग्रेस के मुखर नेता माने जाते हैं। उन्होंने सदन में कांग्रेस का पक्ष हमेशा बढचढकर रखा है। आगामी 25 जून को राज्यसभा के चार सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। अब राज्यसभा की इन सीटों पर दावेदारी को लेकर कर्नाटक की सत्ताधारी पार्टी भाजपा में ही जबरदस्त लॉबिंग चल रही है। इसी सिलसिले में पार्टी के कई दिग्गज नेताओं ने मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से मुलाकात की है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक विधानसभा में विधायक उमेश कट्टी भी मुख्यमंत्री से मिले हैं। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव गौड़ा और बीके हरिप्रसाद की सीटें भी खाली हो रही हैं। जेडीएस के कुपेंद्र रेड्डी की सीट भी खाली होगी। इस प्रकार भाजपा ही नहीं कांग्रेस और जेडीएस में भी संसद के उच्च सदन में पहुंचने की आपाधापी मची हुई है।

सत्ताधारी भाजपा में जुगाड़ ज्यादा हो रहा है। जानकारी के मुताबिक भाजपा नेता उमेश कट्टी ने मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से गत दिनों मुलाकात कर अपने भाई रमेश कट्टी को राज्यसभा टिकट दिए जाने को लेकर बात की है। रमेश कट्टी भी इस मुलाकात के दौरान मौजूद थे। कहा जा रहा है कि वर्तमान राज्यसभा सांसद प्रभाकर कोरे की सीट पर उमेश कट्टी की निगाहें हैं लेकिन खुद प्रभाकर कोरे भी दोबारा राज्यसभा पहुंचने के मूड में हैं। मुश्किल ये है कि उमेश कट्टी आठ बार के विधायक हैं और इस बात से नाराज बताए जाते हैं कि उन्हें राज्य के कैबिनेट में भी कोई जगह नहीं दी गई है। इसके बजाय कांग्रेस और जेडीएस छोड़कर बीजेपी की मदद करने वाले विधायकों को बीएस येदियुरप्पा सरकार में जगह दी गई थी। ऐसे में माना जा रहा है कि प्रभाकर कोरे की खाली हो रही सीट को लेकर भाजपा के अंदर खींचतान बढ़ सकती है। कहा यही जा रहा है कि सत्ताधारी दल अपने उम्मीदवारों का नाम कोर कमेटी की अहम बैठक में फाइनल करेगा। संभावनाएं जाहिर की जा रही हैं कि बीजेपी की तरफ से तेजस्विनी अनंतकुमार (बीजेपी के दिग्गज नेता रहे दिवंगत अनंत कुमार की पत्नी)। और सामाजिक कार्यकर्ता सुधा मूर्ति का नाम फाइनल किया जा सकता है।

प्रभाकर कोरे की सीट के अलावा कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव गौड़ा और बीके हरिप्रसाद की सीटें भी खाली हो रही हैं। जेडीएस के कुपेंद्र रेड्डी की सीट भी खाली होगी। कांग्रेस की तरफ से मल्लिकार्जुन खड़गे, वीरप्पा मोइली और केएच मुनियप्पा को संभावित उम्मीदवार माना जा रहा है। हरिप्रसाद भी कैंडिडेट हो सकते हैं। हालांकि माना जा रहा है कि आखिरी फैसले में जाति और समुदाय का गणित ही निर्णायक साबित होगा। फिर भी सीटें दो है और उम्मीदवार चार हैं। दो लोगों को अपने कदम पीछे हटाना ही होंगे। इसी प्रकार कहा जा रहा है कि जेडीएस की तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा उम्मीदवार हो सकते हैं। हालांकि बीते लोकसभा चुनाव में हार के बाद वो कह चुके हैं अब सक्रिय राजनीति का हिस्सा नहीं रहेंगे लेकिन राजनीति में अंतिम सांस तक कुर्सी पर बैठने का अवसर मिले तब भी कोई इनकार नहीं करेगा। इसलिए माना जा रहा है कि राज्यसभा का टिकट देकर एचडी देवेगौड़ा की बैकडोर एंट्री कराई जा सकती है। वो दशकों से कर्नाटक की राजनीति की केंद्रीय धुरी बने रहे हैं।

अब राज्यसभा चुनाव की अंकगणित पर नजर डालें। गौरतलब है कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के पास इस वक्त विधानसभा में 117 विधायक हैं। इतनी सीटों के दम पर वो राज्य की दो राज्यसभा सीटें आसानी के साथ जीत सकती है। राज्यसभा की इन सीटों के लिए चुनाव 19 जून को होगा और उसी शाम 5 बजे के बाद विजेताओं के नाम घोषित कर दिये जाएंगे। राज्यसभा चुनावों के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अनुमति मिलने के बाद इससे जुड़ी प्रक्रिया शुरू हो गई है। कांग्रेस ने कर्नाटक से लोकसभा में पार्टी के नेता रहे मल्लिकार्जुन खड़गे को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया है। कांग्रेस मल्लिकार्जुन खड़गे को कर्नाटक से राज्यसभा भेजेगी। ध्यान रहे कि 1972 से लेकर अब तक मल्लिकार्जुन खड़गे 9 बार लगातार विधायक रहे, दो बार सांसद चुने गए लेकिन 2019 में वह हार गए थे। कर्नाटक की गुलबर्गा सीट, जिसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, वहां से दिग्गज कांग्रेसी नेता हार गए थे। कांग्रेस उन्हें राज्यसभा भेजेगी। कर्नाटक के राजनीतिक हलकों में ये अटकलें भी लगायी जा रही हैं कि राज्य की चार राज्यसभा सीटों के होने वाले चुनाव में पूर्व में गठबंधन सहयोगी रहे कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर एक साथ आ सकते हैं। कर्नाटक की चार राज्यसभा सीटों के तहत कांग्रेस के राजीव गौड़ा और बीके हरिप्रसाद, भाजपा के प्रभाकर कोरे और जद (एस) के डी कुपेंद्र रेड्डी का कार्यकाल 25 जून को पूरा हो रहा है और इन रिक्त सीटों के लिए 19 जून को चुनाव होना है। विधानसभा अध्यक्ष समेत 117 सदस्यों के साथ ही भाजपा चार में से दो सीटों पर जीत सुनिश्चित कर सकती है जबकि 68 विधायकों वाली कांग्रेस एक सीट पर जीत हासिल कर सकती है।

एक सीट पर जीत हासिल करने के लिए कम से कम 44 मतों की आवश्यकता होने के चलते कोई भी दल चौथी सीट को अकेले दम पर हासिल नहीं कर सकता है।

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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