सरकारी स्कूलों की इमारत को बेच रही भाजपा : आप

सरकारी स्कूलों की इमारत को बेच रही भाजपा : आप

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी ने निगम के सरकारी स्कूलों की इमारत को बेचने का भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में अब निजी कोचिंग संस्थान चलाये जाएंगे।

आप के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने आज संवाददाताओं से कहा कि दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में अब निजी कोचिंग इंस्टीट्यूट चलेंगे। निगम के सरकारी स्कूलों की इमारत को भाजपा बेच रही है। भाजपा अब सरकारी स्कूलों की महत्वपूर्ण जगह को बेचकर दिल्ली नगर निगम से भागने की तैयारी कर रही है। पहले चरण में नरेला, सिटी सदर पहाड़गंज जोन, सिविल लाइन जोन और करोल बाग जोन के स्कूलों को बेचा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार 25 फीसदी बजट शिक्षा में लगाती है जबकि दिल्ली नगर निगम सिर्फ डेढ़ फीसदी बजट शिक्षा पर खर्च करती है। जहां दिल्ली सरकार के स्कूलों में बच्चों का पंजीकरण हर साल बढ़ रहा है, वहीं दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे तीन लाख से घटकर 2.30 लाख हो गए हैं। दिल्ली नगर निगम के कईं स्कूलों में 30-40 बच्चे ही बचे हैं। उनके पास इतने छात्र भी नहीं बचे हैं कि उन स्कूलों को चला सकें। निगम के स्कूलों की बदहाली के लिए भाजपा को जवाब देना चाहिए।

मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा के लोग दिल्ली नगर निगम में दिल्ली वालों की संपत्ति के ऊपर नजर गड़ाए बैठे हैं। भाजपा वालों को अब जब लग रहा है कि दिल्ली नगर निगम से उनका सूपड़ा साफ होने जा रहा है तो हर चीज को बेचकर भागने की स्कीम पर काम कर रहे हैं। निगम की मुख्य स्थानों की जमीनों को एक तिहाई, चौथाई दामों पर अपने लोगों को बेच रहे हैं। इसके अलावा अस्पतालों, डिस्पेंसरी को निजी लोगों को क्लीनिक चलाने के लिए बेचा जा रहा हैं। पार्कों के अंदर जहां लोग शांति के साथ सुबह का कुछ वक्त बिताते हैं, वहां पर दुकानें लगाने की तैयारी कर रहे हैं। इस तरह पार्कों को दुकानदारों को बेचने में लगे हुए हैं। सड़कों पर नए तरीके के कियोस्क और फूड वैन की योजना बनायी है।

उन्होंने कहा कि जमीन, अस्पताल, पार्क, सड़क बेचने के बाद अब नंबर स्कूलों का है। केजरीवाल सरकार पूरे देश में दिल्ली के शिक्षा मॉडल के बारे में बताती है। हर जगह चर्चा होती है कि शिक्षा का कायाकल्प हो रहा है। वहीं दिल्ली में नर्सरी से लेकर कक्षा पांचवीं तक प्राथमिक शिक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली नगर निगम के पास है। दिल्ली नगर निगम के स्कूलों से पांचवी के बाद छठवीं में छात्र दिल्ली सरकार के स्कूलों के अंदर आता है। दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार के स्कूलों को आपस में लिंक हैं। किसी भी स्कूल का प्रिंसिपल और अध्यापक इस बात को बता देगा कि पांचवीं के बाद छठवीं में जो बच्चा आता है उसकी पढ़ाई का स्तर इतना बुरा होता है कि वह अपने पाठ्यक्रम की किताबें भी नहीं पढ़ सकता है।

आप प्रवक्ता ने कहा कि दिल्ली नगर निगम के स्कूलों की इमारत, शौचालय, बच्चों की ड्रेस, किताब, मिड डे मील को देखें तो हर चीज में चोरी-भ्रष्टाचार नजर आता है। इसका नतीजा यह है कि दिल्ली नगर निगम में कई ऐसे स्कूल हैं जिनमें 30 से 40 बच्चे ही बचे हैं। दिल्ली नगर निगम ने करीब 36 स्कूलों का विलय कर दिया है। उनके पास इतने बच्चे भी नहीं बचे हैं कि उनको चला सकें। इसकी वजह से स्कूलों का विलय करके स्कूलों की इमारत को खाली कराया जा रहा है। अब स्कूलों की इन बिल्डिंगों को बेचने की तैयारी हो गई है। दिल्ली नगर निगम ने इन 36 स्कूलों में से 14 स्कूलों के लिए टेंडर निकाल दिया है। अब इन सरकारी स्कूलों की इमारतों को निजी कोचिंग सेंटर के हवाले किया जा रहा है।


वार्ता

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