सहारनपुर में मुज़फ्फरनगर का नाम- राकेश और चंदन की बल्ले-बल्ले

सहारनपुर में मुज़फ्फरनगर का नाम- राकेश और चंदन की बल्ले-बल्ले

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूर्व मंत्री चौधरी यशपाल सिंह की 100वीं जयंती पर पश्चिमी यूपी की सियासत को बखूबी पढने का कार्य किया। उन्होंने यूपी की सियासत को मुज़फ्फरनगर से केन्द्रित करने का जो कार्य किया है, वह बहुत ही सूझ-बूझ भरा दिखाई पड़ता है। मुज़फ्फरनगर में 6 विधानसभा सीटें हैं। मंच से सपा मुखिया ने ऐसे दो युवा नेताओं का नाम लिया, जो अपने समाज के साथ-साथ सर्वसमाज में मजबूत पकड़ रखते हैं। दोनों युवा नेता अपनी पार्टी के प्रति समर्पित होकर कार्य कर रहे हैं। अखिलेश यादव युवा है, और वे युवाओं को आगे बढ़ाने की पूरी कवायद में जुटे हुए हैं। युवाओं के हाथ में ही देश का भविष्य है और अखिलेश ने उक्त दोनों युवा नेताओं का जिक्र मंच से किया।


सपा मुखिया अखिलेश यादव जनपद सहारनपुर के कस्बा तीतरों में पूर्व मंत्री चौधरी यशपाल सिंह की 100 वीं जयंती पर पिछले दिनों आये थे। तीतरों से अखिलेश यादव ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनाव का आगाज भी किया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ चुनिंदा नेता ही अखिलेश यादव के मंच पर मौजूद रहे। मुज़फ्फरनगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत का केन्द्र है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भाषण की शुरूआत में उत्तर प्रदेश की राजनीति को केन्द्रित करते हुए मुज़फ्फरनगर से ही अपनी बात की शुरूआत की। जनपद मुज़फ्फरनगर की राजनीति में उभरते दोनों युवा नेता समाजवादी पार्टी के मजबूत चेहरे हैं।


अखिलेश यादव ने हमारे चंदन और हमारे राकेश शर्मा कहकर दोनों युवा नेताओं का मान बढ़ाया। चंदन चौहान गुर्जर समाज से हैं और राकेश शर्मा की ब्राह्मण समाज में अच्छी पैठ मानी जाती है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने जब चंदन चौहान का नाम लिया तो वहां पर मौजूदा गुर्जर समाज के लोगों ने समाजवादी पार्टी, अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारे लगाये। इनके साथ ही राकेश शर्मा का नाम लेते ही जनसभा में मौजूद ब्राहमण समाज के लोगों का भी सीना चौड़ा हो गया। अखिलेश यादव के मुख से दोनों समाज के नेताओं का नाम लेने से गुर्जर और ब्राहमण समाज के लोगों में अलग ही उत्साह नजर आ रहा था। मंच पर ही राकेश शर्मा ने सपा मुखिया अखिलेश यादव को फरसा और भगवान परशुराम की तस्वीर भेंट की और चंदन चौहान ने अपने मुखिया के साथ डिनर किया।


गौरतलब है कि 19 सितम्बर को मुज़फ्फरनगर जिस प्रकार से राकेश शर्मा ने ब्राह्मण समाज का सम्मलेन किया और वह अभूतपूर्व तरीके से सफल रहा, उससे लगता है कि ब्राह्मण समाज में राकेश शर्मा अपना पूरा वर्चस्व रखते हैं। दूसरों की जीत के लिये कर्मकांड, यज्ञ आदि का सहारा लेने वाले विद्वान कर्मकांडी पंडित भी राकेश शर्मा के सम्मलेन में दिखाई दिये। इसका सीधा सा अर्थ है कि ब्राह्मण समाज के अलावा उन्हें अध्यात्म का भी पूरा साथ मिल रहा है। राकेश शर्मा का व्यवहार ही कुछ ऐसा है, पब्लिक उनकी हो जाती है। राकेश शर्मा ने सम्मेलन की मदद से अपनी ताकत का परिचय कराया, तो उसका सकारात्मक असर सपा हाईकमान पर पड़ा। इसी का परिणाम रहा कि अखिलेश यादव ने मंच से राकेश शर्मा का नाम लिया।


राकेश शर्मा ने अपनी सियासत की शुरूआत छात्र नेता के रूप में सपा से ही की थी। राकेश शर्मा ने सपा में रहते हुए काफी संघर्ष किया, छात्रों को इंसाफ दिलाने के लिये लाठियां खाई। जब सपा की सरकार थी, तो उनके दोस्त जो कि विश्व हिन्दू परिषद के तत्कालीन पदाधिकारी थे, वे सीएम मुलायम सिंह यादव का पुतला फूंकने जा रहे थे। राकेश शर्मा को जब इसका पता चला तो वे पार्टी के लिए अपने ही दोस्त से भिड़ गये थे और पुतला फूंकने नहीं दिया था। उनकी यही निष्ठा उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाती है। वोटर भी राकेश शर्मा को विधायक के रूप में अपने बीच देखना चाहते है।


वरिष्ठ सपा नेता चंदन चौहान वो नेता हैं, जिन्होंने मुज़फ्फरनगर में अखिलेश यादव को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाकार दो बार बड़े कार्यक्रमों का आयोजन कराया है। चंदन के बुलावे पर पहली बार आये तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जनपद को उस समय बहुत बड़ी सौगात देकर गये थे। इसके बाद अखिलेश यादव चंदन चौहान को जिताने का आह्वान करने के लिये खतौली आये थे। चंदन चौहान को सपा मुखिया अखिलेश यादव का करीबी भी माना जाता है। अक्सर देखा गया है कि जब भी पश्चिमी यूपी में अखिलेश यादव का कोई प्रोग्राम हुआ है तो चंदन चौहान उनके सबसे करीब रहे हैं और अखिलेश यादव ने भी मंच से उनका नाम जरूर लेते हैं। तीतरो में प्रोग्राम के दौरान अखिलेश यादव के संग चंदन डिनर भी करते हुए दिखाई दिये। मीरापुर विधानसभा सीट से चंदन चौहान पब्लिक के चहेते लीडर हैं और सपा का परचम लहरा सकते हैं। अखिलेश यादव ने सहारनपुर में आयोजित कार्यक्रम में जिस प्रकार से मुज़फ्फरनगर के दो युवा कर्मठ नेताओं का नाम लिया है, उससे लगता है कि सपा दोनों को विधानसभा चुनाव लड़ाने का मूड़ बना चुकी है।


सपा के एक्टिव जिलाध्यक्ष हैं प्रमोद त्यागी

जनपद मुज़फ्फरनगर से समाजवादी पार्टी की कप्तानी कर रहे प्रमोद त्यागी का भी मंच से नाम लिया गया। जिलाध्यक्ष प्रमोद त्यागी ऐसे नेता है हर प्रोग्राम में समय से पहले पहुंच जाते हैं और यह उनकी कप्तानी ने मुज़फ्फरनगर में समाजवादी पार्टी को अलग पहचान दिलाई है। उन्होंने अन्य दलों के नेताओं को सपा की नीतियों का पाठ पढ़ाकर समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई है। इतनी उम्र में वे जिलाध्यक्ष होकर जितने सक्रिय रहते हैं, इतना सभी के लिए आसान कार्य नहीं है। इतना ही नहीं बल्कि प्रमोद त्यागी ने पंचायत चुनाव में भी अपनी बुद्धि का परिचय देते हुए बुढ़ाना विधानसभा सीट पर सपा का ब्लॉक प्रमुख बनवाने का काम किया। प्रमोद त्यागी बुढ़ाना की जनता के दिलों में राज करने वाले नेता हैं।



epmty
epmty
Top