MLA रिपोर्ट कार्ड- बुढ़ाना विधानसभा में डार्क जोन खत्म- किसानों को राहत

MLA रिपोर्ट कार्ड- बुढ़ाना विधानसभा में डार्क जोन खत्म- किसानों को राहत

मुजफ्फरनगर। जनपद के साथ ही सभी जिलों में 113 विकास खण्ड क्षेत्रों को पूर्ववर्ती सरकार ने अचानक ही सख्त निर्णय लेते हुए डार्क जोन घोषित कर दिया। इस निर्णय का सबसे बड़ा प्रभाव किसानों पर पड़ा। छोटी जोत के किसान अपने खेतों की सिंचाई के लिए सर्वाधिक रूप से संकट में आ गये। जिन खेतों के किनारे नदियों, राजवाहों से नहीं मिलते, उनमें फसलों की सिंचाई नलकूप के माध्यम से होती थी, लेकिन डार्क जोन में घोषित विकास खण्ड क्षेत्रों के किसानों के नलकूप कनैक्शन पर इस आदेश के बाद पाबंदी लगा दी गई।

मुजफ्फरनगर जनपद की विधानसभा बुढ़ाना का क्षेत्र सरकारी आदेश के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। यहां शाहपुर और बुढ़ाना दो बड़े विकास खण्ड क्षेत्र डार्क जोन में शामिल किये जा चुके थे। किसानों ने इसके लिए लंबी लड़ाई भी लड़ी, आंदोलन हुए और राज्य में सरकार आई और चली भी गई, लेकिन किसी ने किसानों की इस पीड़ा को महसूस करने का जोखिम नहीं उठाया।

मुजफ्फरनगर जनपद में जल के अतिदोहन को रोकने के लिए छह विकास खण्ड को डार्क जोन में रखा गया था, यहां पर किसानों के नलकूप कनैक्शन लेने या जल संबंधी कोई भी उद्योग लगाने पर पाबंदी लगा दी गई थी। इस निर्णय के पीछे के गंभीर हालात के बारे में कुछ भी नहीं सोचा गया था।


सत्ता बदलने के बाद जब यह मामला उठा, तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों की इस समस्या को व्यक्तिगत स्तर पर महसूस किया और सरकार के पहले ही साल में डार्क जोन खत्म करने की बड़ी घोषणा करते हुए किसानों को राहत दी गई। विधायक उमेश मलिक ने डार्क जोन की पाबंदी के बाद क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए हो रही परेशानी की पीड़ा को विधानसभा में उठाया और इसके बाद ही यूपी में डार्क जोन के समाधान का रास्ता सरकार ने निकालने का काम किया। उनकी विधानसभा के शाहपुर और बुढ़ाना ब्लॉक भी इस प्रतिबंध से मुक्त हुए।

विधायक उमेश मलिक ने अपने क्षेत्र के दो डार्क जोन शाहपुर और बुढ़ाना के किसानों की इस पीड़ा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाने का काम किया। उमेश मलिक खुद किसान हैं और उनका परिवार के लोग आज भी खेती से जुड़े हुए हैं, ऐेसे में डार्क जोन के बाद खेत-खलिहान के सहारे किसानों के घरों तक पहुंचे संकट से वह भली प्रकार परिचित थे। उन्होंने योगी सरकार के पहले ही साल में डार्क जोन का मुद्दा विधानसभा में उठाया। सदन में उन्होंने दो दशकों से ज्यादा समय से किसानों की इस पीड़ा को दूर करने के लिए डार्क जोन खत्म करने का आग्रह सीएम योगी से किया। कोई भी नया नलकूप कनैशन नहीं हेाने के कारण किसानों के परिवार में ही झगड़े होते थे। जिससे कई बड़ी घटना भी घटित हुई।


दरअसल 2017 में जब उमेश मलिक ने बुढ़ाना विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी के रूप में अपना चुनाव प्रचार प्रारम्भ किया, तो उसी दौरान उनके सामने डार्क जोन का मुद्दा क्षेत्र के किसानों ने बड़े जोर-शोर से उठाया था, वह खुद किसान होने के कारण इस समस्या की पीड़ा और इसके निदान की आवश्यकता को नजदीक से महसूस करते रहे। विधायक बनने के बाद उमेश मलिक ने नियम 51 के अन्तर्गत इस मुद्दे को सदन में उठाया था। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी व्यक्तिगत तौर पर मिलकर इससे अवगत कराया। उनके चुनाव में यह सबसे बड़ी मांग क्षेत्र से आई थी, जो इस जिम्मेदारी को निभाने से वह पीछे नहीं हटे।

उमेश मलिक ने यूपी सरकार तो वहीं केन्द्रीय मंत्री और मुजफ्फरनगर के सांसद डा. संजीव बालियान ने इसके लिए केन्द्र सरकार के स्तर पर प्रयास किये, विधायक और सांसद की इस जोड़ी ने यहां भी सफलता पाई और दो दशकों से ज्यादा समय की इस पाबंदी को वह दूर कराने में सफल रहे। निकाय चुनाव के अवसर पर जब नवम्बर 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार के लिए मुजफ्फरनगर की रैली में राजकीय इण्टर कॉलेज के मैदान पर पहुंचे तो यहां उन्होंने यूपी में डार्क जोन खत्म करने का तोहफा किसानों को देने का काम किया था। मंच पर जब वह इस सौगात से किसानों को नवाज रहे थे, तो विधायक उमेश मलिक भी वहीं मौजूद थे, सीएम योगी ने मंच पर ही उमेश मलिक का हाथ हाथों में लेकर किसानों को यह बताने से गुरेज नहीं किया था कि डार्क जोन को खत्म करने के निर्णय के पीछे उमेश मलिक की क्या भूमिका रही है। इस रैली में सीएम योगी ने साफ कर दिया था कि भाजपा सरकार में यूपी में कहीं भी डार्क जोन नहीं होगा और ऐसा ही हुआ भी, नवम्बर 2017 की इस घोषणा को तेजी से क्रियान्वित किया गया और जनवरी 2018 आते आते मूर्तरूप दिया जाने लगा था। शाहपुर और बुढ़ाना सहित मुजफ्फरनगर के डार्क जोन घोषित बघरा और चरथावल को भी प्रतिबंध से मुक्ति मिली तो किसानों के घरों में खुशहाली लौटी।

विधायक उमेश मलिक बताते हैं, ''साल 1994 में जब यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार थी, तो इस सरकार ने कुछ विकास खंडों को डार्क जोन घोषित किया था, इसके मुताबिक इन जगहों पर नलकूप या पानी से जुड़े उद्योग लगाए जाने पर रोक लगा दी गई थी। इस प्रतिबंध को 2017 में 23 साल पूरे हुए, हमने अपनी सरकार में डार्क जोन को खत्म कराने की मुहिम शुरू की, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसान हित में यह बड़ा फैसला लेकर रोक हटाई और किसानो को नलकूप के कनेक्शन दिए जाने लगे, जिससे किसानों को राहत मिली और फसलों की सिंचाई की चिंता से वह मुक्त हुए। डार्क जोन में भी किसानों को नलकूप कनेक्शन मिलने की नई व्यवस्था ने किसानों के चेहरों की रौनक लौटा दी है।'' विधायक उमेश मलिक बताते हैं, ''चुनाव लड़ते समय डार्क जोन के कारण किसान परिवारों में बिखराव, रंजिश और मुकदमेबाजी के कई मामले उनके सामने आये। एक ही खेती के लिए किसान परिवारों में भूमि का बंटवारा हुआ तो ऐसे में खेत पर पांच किसानों के घर का एक ही नलकूप होने के कारण विवाद होने लगे।

सपा और बसपा के दौर में विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था लचर थी, ग्रामीण क्षेत्रों में 8 घंटे ही बिजली आती थी और ऐसे में खेत की सिंचाई के लिए बड़े किसान परिवारों के बीच लड़ाई-झगड़ों के मामले बढ़ने लगे थे। ऐसे में किसान चाहकर भी नया नलकूप नहीं लगवा पा रहे थे। मुख्यमंत्री ने डार्क जोन खत्म कर किसान परिवारों के बीच की रंजिश और विवाद को भी खत्म कराने का काम किया। आज अपने नलकूप लेकर किसानों में पारिवारिक रंजिशों का दौर भी थमा नजर आता है।'' विधायक उमेश मलिक दशकों पुरानी इस समस्या के समाधान के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ ही सांसद और मंत्री डा. संजीव बालियान के सहयोग के प्रति आभार जताते भी व्यक्त करते हैं।



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