दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग

दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग
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लखनऊ। गलवान घाटी से चीनी सेनाओं के पीछे हटने की खबरों के बीच तिब्बत से निर्वासित आध्यात्मिक नेता परम् पावन दलाई लामा का जन्म दिवस सादगी पूर्ण ढंग से मनाया गया। कांगड़ा से भाजपा सांसद किशन कपूर ने केन्द्र से तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न' प्रदान करने की मांग के साथ ही यह भी कहा कि चीन से तिब्बत की स्वतंत्रता का आह्वान किया जाए। किशन कपूर ने दलाई लामा को उनके जन्मदिन की बधाई देते हुए कहा कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता को उनके 85वें जन्मदिन पर केन्द्र सरकार की ओर से यह बेहतर उपहार होगा। तिब्बत की पूर्ण आजादी की मांग का समर्थन करते हुए कपूर ने कहा कि जिस तरह से ज्यादतियों के जरिए चीन ने इस पर कब्जा किया है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि चीन को एक अच्छे पड़ोसी की तरह बिना हिंसा के सीमा विवाद के समाधान के लिए आगे आना चाहिए और तिब्बत को दलाई लामा को सौंप'' देना चाहिए।

दलाई लामा ने कहा कि आपकी प्रार्थना की शक्ति से मैं अवलोकितेश्वर (बुद्ध का एक नाम) का संदेशवाहक, 110 या 108 वर्ष जी सकता हूं। इस साल कोरोना वायरस फैलने के खतरे को देखते हुए पाबंदियों के चलते दलाई लामा का जन्मदिन सादगी से मनाया गया। मक्लिओडगंज में स्थित समुदाय के मुख्य मंदिर में प्रार्थना का आयोजन किया गया।तिब्बत की निर्वासित संसद ने एक वक्तव्य जारी कर कहा, "हम प्रार्थना करते हैं ताकि परम पावन दलाई लामा सौ कल्प तक जिएं, उनकी सारी इच्छाएं तत्काल पूरी हों और तिब्बत का लक्ष्य निश्चित ही पूरा हो।" वक्तव्य में कहा गया कि कम्युनिस्ट शासन वाले चीन की सेना सीमा पर भारत में घुसने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। दलाई लामा ने यह भी कहा कि, अगर आप मेरा जन्मदिन मनाना चाहते हैं, तो मैं आपसे मंत्र (ओम मणिपद्मे हूं) का पाठ करने के लिए कहना चाहता हूं, जोकम से कम एक हजार बार करना चाहिए।

वक्तव्य के अनुसार तिब्बत की निर्वासित संसद ने गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी । ध्यान रहे केंद्रीय निर्वासित तिब्बती प्रशासन की ओर से मैक्लोडगंज में निर्वासित तिब्बती संसद के उपसभापति आचार्य यशी फुंचोक ने बताया इस वर्ष उनका जन्मदिन कृतज्ञता वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। विश्वभर में उनके अनुयायी कृतज्ञता वर्ष को अपने स्तर पर मनाएंगे और दलाईलामा की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करेंगे।

14वें दलाईलामा तेनजिन ग्यात्सो तिब्बतियों के धर्मगुरु हैं। इनका जन्म 6 जुलाई, 1935 को उत्तर-पूर्वी तिब्बत के ताकस्तेर क्षेत्र में रहने वाले ओमान परिवार में हुआ था। दो वर्ष की अवस्था में बालक ल्हामो धोंडुप की पहचान 13वें दलाई लामा थुप्टेन ग्यात्सो के अवतार के रूप में की गई। दलाई लामा एक मंगोलियाई पदवी है, जिसका मतलब होता है ज्ञान का महासागर। दलाई लामा के वंशज करुणा, अवलोकेतेश्वर बुद्ध के गुणों के साक्षात रूप माने जाते हैं।दुनिया के सम्मानित आध्यात्मिक नेता 85 वर्ष के हो गए। दलाईलामा तेनजिन ग्यात्सो का 85वां जन्मदिन मनाने के लिए पूरा वर्ष कृतज्ञता के रूप में मनाया जाएगा। केंद्रीय तिब्बत प्रशासन भी उनका जन्मदिन मनाएगा। जुलाई से लेकर 30 जून, 2021 तक विश्वभर में वर्चुअल कार्यक्रम भी होंगे।तिब्बत पर चीन के आक्रमण के बाद 17 मार्च, 1959 को दलाईलामा को कई अनुयायियों के साथ देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। उस समय उनकी आयु 24 वर्ष की थी। दलाईलामा बेहद जोखिम भरे रास्तों को पार कर भारत पहुंचे थे। कुछ दिन उन्हें देहरादून में ठहराया गया था। उसके बाद धर्मशाला के मैक्लोडगंज में रहने की सुविधा दी गई है। यहां उनका पैलेस व बौद्ध मंदिर है।

दलाई लामा के जीवन और विरासत के वैश्विक उत्सव को चिह्नित करते हुए, 85 नेताओं, प्रमुख व्यक्तियों और दलाई लामा के समर्थकों ने विश्व भर से शांति और करुणा के सार्वभौमिक संदेश के समर्थकों को वीडियो संदेश के माध्यम से दलाई लामा को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के दक्षिण एशियाई विभाग ने अपने ट्वीट में लिखा कि दलाई लामा को जन्मदिन की शुभकामनाएं, जिन्होंने दुनिया में शांति का संदेश फैलाया। वे तिब्बतियों के संघर्ष का प्रतीक हैं। हम भारत का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्होंने 1959 से ही दलाई लामा और तिब्बतियों को शरण दी। हालाँकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से ट्विटर पर कोई बधाई सन्देश नहीं दिया गया।

परम् पावन दलाई लामा के विचार मैं अपने दुश्मनों को हराने के लिए उन्हें अपना दोस्त बना लेता हूं। क्रोध और घृणा कमजोरी के संकेत हैं, जबकि करुणा शक्ति का एक निश्चित संकेत है। केवल हृदय परिवर्तन के द्वारा ही दुनिया में वास्तविक परिवर्तन आएगा जहां अज्ञानता हमारा स्वामी है, वहां वास्तविक शांति की कोई संभावना नहीं है।

दर्द आपको बदल सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह एक बुरा बदलाव है। उस पीड़ा को लो और ज्ञान में बदलो। यदि आपको कोई दुःख, दर्द, डर या पीड़ा है तो आपको इस बात की जांच करनी चाहिए की आप क्या कर सकते हैं। यदि आप कर सकते हैं, तो इसके बारे में चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसके लिए कार्रवाई करें। यदि आप कुछ नहीं कर सकते हैं, तो चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।एक अनुशासित मन सुख की ओर जाता है, और एक अनुशासनहीन मन दुख की ओर जाता है।

सच्चा नायक वह है जो अपने क्रोध और घृणा पर विजय प्राप्त करता है।कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने पढ़ें लिखे या अमीर हों। जब तक आपके मन में शांति नहीं है, तब तक आप खुश नहीं हो सकते। मैं धर्म का आदमी हूं, लेकिन धर्म हमारी सभी समस्याओं का जवाब नहीं दे सकता है। दुनिया नेताओं की नहीं है। दुनिया सारी मानवता की हैमुझे लगता है कि तकनीक ने वास्तव में मानवीय क्षमता को बढ़ाया है। लेकिन प्रौद्योगिकी करुणा पैदा नहीं कर सकती।

मित्रता विश्वास पर निर्भर करती है, धन पर नहीं, शक्ति पर नहीं, शिक्षा या ज्ञान पर नहीं। भरोसा होगा तो ही दोस्ती होगी। बाहर से आप जैसे हैं उसे वैसा ही छोड़ दो, सच्चा परिवर्तन आपके भीतर है। इस जीवन में हमारा मुख्य उद्देश्य दूसरों की मदद करना है, और अगर आप उनकी मदद नहीं कर सकते हैं, तो कम से कम उन्हें चोट तो मत पहुचाओ।

(मानवेन्द्र नाथ पंकज-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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