जन्मदिन विशेष- सपा के संघर्षशील सिपाही है राजा चतुर्वेदी

जन्मदिन विशेष- सपा के संघर्षशील सिपाही है राजा चतुर्वेदी

लखनऊ। बिना पद और लोभ के अशोक उर्फ राजा चतुर्वेदी समाजवादी पार्टी के लिए सघर्ष करते रहे है। 2012 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव की टीम के सदस्य राजा चतुर्वेदी को मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निर्माण निगम का अध्यक्ष (राज्य मंत्री का दर्जा) बना दिया था। लाल बत्ती की गाडी में सवार होने के बाद राजा चतुर्वेदी इस विभाग की कायाकल्प करने की कवायद में रहे। नौजवानों के एक बड़े तबके को साथ लेकर चलने वाले राजा चतुर्वेदी का बाद में कार्यकाल खत्म हो गया लेकिन उसके बाद वह पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में सरकार के प्रचार प्रसार में जुट गये। व्यवहार कुशल राजा चतुर्वेदी कार्यकर्ताओं की समस्या का समाधान तो कराते ही है, उनका सम्मान भी करते है। जहां वह अपने नौजवान साथियों के साथ गर्मजोशी से मिलते है वही के बुजुर्गों के पास जाकर पांव छुकर उनका आर्शिवाद भी लेते है। राजा चतुर्वेदी की सबसे खास बात यह है कि वो मिलनसार व्यक्तिव के मालिक है। मिशन 2022 के तहत वो गोंडा सदर की विधानसभा से अपने चुनाव की तैयारी करने के साथ साथ पूर्व की समाजवादी सरकार की उपलब्धियों के प्रचार प्रसार एवं भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ विभिन्न जनपदो का दौरा भी कर रहे है। राजा चतुर्वेदी के जन्मदिन विशेष पर सघर्ष से जुडी कुछ घटनाओं एवं कार्यशैली पर पेश खोजी न्यूज की खास रिपोर्ट


1998 से समाजवादी पार्टी में आस्था उसकी नीतियों एवं शीर्ष नेताओं के व्यवहार से प्रभावित होकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत करने वाले अशोक उर्फ राजा चतुर्वेदी मूलरूप से गोन्डा जनपद के रहने वाले है, जनता की सेवा एवं उनकी समस्या के समाधान में अपना सहयोग करने वाले राजा चतुर्वेदी जैसे-जैसे जनता के बीच जाते रहे उसी तरह गोण्डा सदर विधानसभा क्षेत्र की जनता भी उनसे जुड़ती रही। राजनीतिक जीवन में पद को अहमियत न देते हुए राजा चतुर्वेदी ने हमेशा काम को तरजीह दी है, क्योंकि राजा चतुर्वेदी डा राममनोहर लोहिया के उस कथन पर कि परिश्रम का कोई विकल्प नही होता है और उस किये गये परिश्रम का फल हमेशा मीठा होता है पर चलते है। राजा चतुर्वेदी ने समाजवादी आन्दोलन का प्रथम संघर्ष तब किया जब 15 जनवरी 2009 को बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष और तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के जन्मदिन पर चन्दा वसूली के विरोध में समाजवादी पार्टी ने इस दिन को थू-थू दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया तो राजा चतुर्वेदी के नेतृत्व में कैसर बाग में कार्यकर्ता थू-थू दिवस मना रहे थे। राजा चतुर्वेदी बताते है कि थू-थू दिवस को रोकने के लिए बसपा सरकार के सिपेसलाहार तत्कालीन एसएसपी अखिल कुमार लखनऊ ने कैसरबाग पार्टी कार्यालय पर आंसु गैस का गोला डलवा दिया। जिसका पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त विरोध किया तो पुलिस फोर्स ने एस०एस०पी अखिल कुमार के नेतृत्व में सपा कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज करा दिया और राजा चतुर्वेदी को घेरकर पुलिस ने नारे बाजी से मना किया।


राजा चतुर्वेदी कहते ''लेकिन मैने नारे बाजी बंद नहीं की और समाजवादी पार्टी जिन्दाबाद के ना जगाता रहा'' तब एस०एस०पी अखिल कुमार ने पुलिस फोर्स के साथ मिलकर चारों तरफ से घेरा तथा मुझे जबरदस्त मारा पीटा जिससे मेरे सिर पर बडा जख्म तथा शरीर पर लाठियों के बडे निशान थे। राजा चतुर्वेदी की यह बात पुख्ता उस दिन का दैनिक अमर उजाला में प्रकाशित फोटो करता है जिसमें अखिल कुमार पुलिस फोर्स साथ मिलकर निहत्थे राजा चतुर्वेदी पर लाठियां बरसा रहे है।

समाजवादी पार्टी के सक्रिय सदस्य के रूप में उन्हांेने 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी हाईकमान से अपने टिकट के लिए लखनऊ केंट विधानसभा क्षेत्र से दावेदारी कर दी। उसी दौरान लखनऊ के नत्था तिराहे पर स्थित आयशा मस्जिद की एक दीवार को हटाकर एक भूमाफिया नाका कोतवाली से सेटिंग कर उस पर कब्जा करना चाहता था। इस सिलसिले में हाईकोर्ट में मुकदमा चला, जिसमें हाईकोर्ट में इस भूमि को विवादित मानते हुए मौके पर कमीशन दल भेजने का आदेश दिया। जब कमीशन की बात आयी तो भूमाफिया ने कोतवाली पुलिस से साजिश करके मस्जिद की दीवार गिराने की भूमिका बनाई। 12 दिसम्बर को मस्जिद के इमाम ने विरोध किया तो पुलिस ने इमाम के साथ मारपीट कर दीवार को गिरा दिया, जिस कारण मौके पर भीड इकट्ठी हो गयी चूंकि राजा चतुर्वेदी लखनऊ की जनता के बीच सक्रिय थे इसलिए राजा चतुर्वेदी ने इस घटना का विरोध किया तो मौके पर मौजूद पुलिस अफसरों ने भीड़ का आक्रोश और राजा चतुर्वेदी के तीखे तेवर देखकर कोतवाल को दोषी मानते हुए उसे लाईन हाजिर कर दिया। राजा चतुर्वेदी धार्मिक स्थल में जबरदस्ती घुसी पुलिस को लेकर नाराज थे, तो राजा चतुर्वेदी के नेतृत्व में आक्रोशित भीड़ ने तत्कालीन जिलाधिकारी अनिल सागर एवं डीआईजी डी के ठाकुर को घेर लिया और पुलिस फोर्स को सस्पेंड़ करने की मांग की। इन दोनों अफसरों ने कार्यवाही का आश्वासन दिया तो सब अपने-अपने घर चले गये। रात के लगभग डेढ बजे पीएसी के जवानों के साथ सैकडों पुलिसकर्मियों ने अपने अफसरों के नेतृत्व में राजा चतुर्वेदी को घर से उठाया और सीओ पर जानलेवा हमले समेत दर्जन भर गंभीर धाराओं के तहत फर्जी मुकदमा दर्ज कर समाजवादी आंदोलन के नौजवान नेता राजा चतुर्वेदी को लखनऊ कारागार की उस हाई सिक्योरिटी बैरक जिसमें खतरनाक आतंकवादियों को बंद किया गया था, मात्र 6/8 के कमरे में डाल दिया।


बसपा सरकार का इस युवा नेता पर उत्पीडन यही बंद नही हुआ। राजा चतुर्वेदी की उसके परिवार से मिलने पर भी पाबंदी लगा दी गयी। इतने सब के बाद भी अपने युवा नेता अखिलेश यादव क संघर्षशील टीम के साथी राजा चतुर्वेदी निराश नही हुए और उसने जिला कारागार में ही भूख हडताल शुरू कर दी। राजा चतुर्वेदी के आंदोलन से जिला कारागार ही नही बल्कि बसपा शासन भी घबरा गया और तत्कालीन जेल अधीक्षक एवं जेलर राजा चतुर्वेदी के पास आये और उन्हें बाहर निकाल कर कहा कि अपनी भूख हडताल बंद कर दो तो समाजवादी विचारधारा के युवा नेता ने कहा कि ''जब तक मुझे इस बैरक से बाहर नही निकाला जायेगा तब तक मै न भोजन लूंगा न चाय पीयूंगा।'' राजा चतुर्वेदी के जुझारू अंदाज से जेल प्रशासन को झुकना पड़ा। इसी बीच लगभग 1 माह बाद 12 जनवरी को राजा चतुर्वेदी को न्यायलय ने जमानत पर छोड़ दिया। जेल से निकलने के बाद अपने नेता मुलायम सिंह यादव के पास राजा चतुर्वेदी सीधे पहंुचे। ''राजा चतुर्वेदी कहते है कि मेरे जेल से आने के बाद नेती जी ने जिस तरह से मेरी हौसला अफजाई की उससे साबित होता है कि समाजवादी पार्टी में संघर्ष करने वालों को सम्मान मिलता हैै और समाजवादी पार्टी ही ऐसी पार्टी है जो नौजवानों को बढाने का काम करती है।''


राजा चतुर्वेदी के समाजवादी आंदोलन में संघर्ष की दास्तां यही खत्म नही होती 21 फरवरी को बजट सत्र का आखिरी दिन था। विधायक विधानसभा में सरकार को घेर रहे थे और शिवपाल यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी के विधायक विधानसभा में धरने पर बैठ गये थे, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने धरने पर बैठे विधायकोे को मार्शल एवं रंगरूटो से उठवाकर जबरदस्ती बाहर करा दिया था। समाजवादी पार्टी इस मुद्दे को लेकर आंदोलन करने की रूप रेखा बनायी और पार्टी कार्यालय से रात में आदेश आया कि लखनऊ के कार्यकर्ता रात में विधानसभा का घेराव करेंगे। राजा चतुर्वेदी कहते है कि पार्टी के कार्यकर्ता शांतिपूर्वक नारेबाजी कर रहे थे तभी हुसैनगंज कोतवाली के तत्कालीन कोतवाल कुलदीप कुमार आये और कार्यकर्ताओं पर लाठी बांजनी शुरू कर दी। मैने इसका विरोध किया तो पुलिस ने मुझे घेर कर जबरदस्त पिटाई की लेकिन मैने समाजवादी पार्टी जिन्दाबाद, मुलायम सिंह यादव जिन्दाबाद के नारे को नही छोड़ा पुलिस की पिटाई से राजा चतुर्वेदी जबरदस्त घायल हो गये। पुलिस उन्हे अस्पताल में ले गयी। समाजवादी आंदोलन के नौजवान नेता पर पुलिस का जुल्म इस कदर हुआ कि सिर में लगी बडी चोट पर टांके लगाते वक्त उसके बालों को साफ नही किया गया उनको भी पुलिस ने टांको में सिला दिया।


इस आंदोलन की खबर अखिलेश यादव अपने सचिव गजन सिंह से लगातार ले रहे थे। जब गजन सिंह द्वारा हालात बताये गये कि युवा नेता राजा चतुर्वेदी गायब है और पुलिस द्वारा उसकी पिटाई के बाद उसको गायब कर दिया गया है। तब अखिलेश यादव रात के 2 बजे ट्रेक सूट में अपनी गाडी से बिना सुरक्षा के पार्टी कार्यालय पर आ गये और डीआईजी को फोन किया लेकिन कोई जवाब नही मिलने पर उन्होंने तत्कालीन जिलाधिकारी को फोन किया ''और चेतावनी दी या तो राजा चतुर्वेदी एक घंटे के अन्दर पार्टी कार्यालय पर आ जाना चाहिए नही तो मै मुख्यमंत्री का आवास घेराव करूंगा और कहा कि मै ना सोना चाहूंगा और ना सोने दूंगा'' जब डीएम को लगा कि वाकई अखिलेश यादव अपने कार्यकर्ता के लिए सड़क पर आने के लिए तैयार है तो देर रात पुलिस राजा चतुर्वेदी को मरणासन्न हालात में सड़क पर फैंक कर चली गयी। इसके बाद राजा चतुर्वेदी को अस्पताल में भर्ती कराया गया। शिवपाल सिंह यादव एवं आजम खां उन्हे देखने गये थे। अस्पताल से आकर राजा चतुर्वेदी समाजवादी पार्टी के प्रत्येक आंदोलन में सक्रिय रूप से कार्य करते रहे। बिना पद के राजा चतुर्वेदी समाजवादी पार्टी में संघर्षशीन कार्यकर्ता के रूप में पार्टी में अपनी पहचान बना ली यही कारण रहा कि जब अखिलेश यादव ने 2012 में विधानसभा चुनाव के लिए अपनी टीम गठित की तो उसमें राजा चतुर्वेदी भी शामिल थे।

epmty
epmty
Top