धीरज लाटियान बर्थडे स्पेशल- पिता से सीखा समाजसेवा का गुर

धीरज लाटियान बर्थडे स्पेशल- पिता से सीखा समाजसेवा का गुर
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मुजफ्फरनगर। पैराशूट के युग में जब लोग राजनीति से लेकर अन्य संगठनों में नेता ऊपर से थोपे जाने की रवायत आम होती जा रही, ऐसे में जमीन से उठकर भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष बने धीरज लाटियान से चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत के सबसे प्यारे संगठन भारतीय किसान यूनियन और किसानों को बहुत उम्मीदें हैं। वर्तमान में धीरज लाटियान की पत्नी अजेता वार्ड 19 से जिला पंचायत की सदस्य है और क्षेत्र के विकास व किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहती हैं। 2 जुलाई को जन्में भाकियू जिलाध्यक्ष धीरज लाटियान के जन्मदिन पर पेश है खोजी न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट.....


लाटियान खाप के चौधरी वीरेन्द्र सिंह के घर में जन्में घर एक बहन से छोटे व एक भाई में बड़े धीरज लाटियान भारतीय किसान यूनियन के जन्मदाता चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत को अपना आदर्श मानते हैं। एक प्रश्न के जवाब में भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष धीरज लाटियान ने अपनी प्राथमिकता के बारे में बताते हुए कहा कि आज बिजली विभाग किसानों के सामने रोज-ब-रोज नई समस्याएं पैदा कर रहा है। एक तो बिजली की दर काफी बढ़ा दी गयी हैं, दूसरे 10 या 20 हजार रुपये के बकायेदार किसानों की आरसी काटकर उन्हें परेशान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बकाया गन्ना मूल्य भी गन्ना किसानों के लिए बड़ा मुद्दा है। चीनी मिलें किसान का गन्ना तो खरीद लेती हैं, लेकिन उसके मूल्य का भुगतान करने में हमेशा आना-कानी करती रहती हैं और कई महीने तक, बल्कि सालों तक भी किसानों के गन्ने का भुगतान नहीं करती, जबकी यदि किसी दुकानदार से किसान जब कोई सामान खरीदता है और समय पर भुगतान नहीं कर पाता तो दुकानदार अपने पैसे पर ब्याज वसूलता है।



बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत की कर्मस्थली मुजफ्फरनगर के गांव बुडीनाकलां में जन्में धीरज लाटियान ने शामली के किसान कालेज से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद सार्वजनिक जीवन की शुरूआत अपने गांव बुडीनाकलां के भाकियू अध्यक्ष के रूप में की थी। भाकियू के जिलाध्यक्ष बने धीरज लाटियान ने बताया कि भारतीय किसान यूनियन के कार्यक्रम में शामिल होना उनका सबसे प्रिय शगल रहा है, फिर भाकियू का कार्यक्रम चाहें लखनऊ में हों या दिल्ली में हो, या कहीं और हो। उन्होंने बताया कि भाकियू के कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए उनके पिता लाटियान खाप के मुखिया चैधरी वीरेन्द्र सिंह व उनकी माता ने हमेशा प्रोत्साहित किया। कभी उनका प्रयास यह नहीं रहा कि वे भाकियू की गतिविधियों में शामिल न हों। धीरज लाटियान ने बताया कि समाजसेवा का गुण उनके अन्दर उनके पिता से ही आया है। लाटियान खाप के मुखिया होने के नाते उनके पिता के पास अक्सर अपनी समस्याओं को लेकर या सामाजिक कार्यक्रमों या समाज को दिशा देने के लिए रणनीति बनाने अक्सर काफी लोग आते रहते थे, जिससे बचपन से समाजसेवा की ओर उनका रूख हो गया था। इसके बाद उन्होंने किसानों के मसीहा के नाम से प्रख्यात् चैधरी महेन्द्र सिंह टिकैत को अपना आर्दश मानकर समाज सेवा के क्षेत्र में कदम रखा था, जिसमें उनके माता-पिता ने पूरा सहयोग दिया है। धीरज लाटियान ने एक प्रश्न के जवाब में बताया कि बसपा सरकार के दौरान भारतीय किसान यूनियन के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लखनऊ जाते समय बाबा महेंद्र सिंह टिकैत को रामपुर जनपद के मिल्क स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया गया था तब मैं भी उनके साथ था और हम दो दिन नजरबंद रहे थे। मध्यप्रदेश के शाहडोल में किसानों की भूमि का जबरन अधिग्रहण करने के विरोध में भाकियू के राकेश टिकैत के नेतृत्व में उन्होंने भी गिरफ्तारी दी थी और वे लगभग आठ दिनों तक पुलिस हिरासत में रहे थे। तितावी शुगर मिल द्वारा बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं करने पर भाकियू द्वारा चलाये गये आंदोलन का उन्होंने नेतृत्व किया था और चीनी मिल द्वारा क्षेत्र में लगाये गये गन्ना तौल केन्द्र कांटों को उखाड़कर फेक दिया था। बागपत में भारतीय किसान द्वारा एक मामले में चैधरी महेन्द्र सिंह टिकैत द्वारा जमानत लेने से इंकार करने पर चलाये गये उग्र आंदोलन की लड़ाई में भी धीरज लाटियान शामिल थे। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष धीरज लाटियान का कहना है कि किसानों का हित उनके लिए सर्वोपरि है और किसानों की हर लड़ाई में वे सबसे आगे रहे हैं और भविष्य में भी आगे ही रहेंगे। भाकियू के जिलाध्यक्ष बनने के बाद धीरज लाटियान ने राकेश टिकैत के नेतृत्व में स्कूल बसों के लिये कलेक्ट्रेट पर धरना दिया था। दरअसल स्कूली बसें के संचालन पर सरकार द्वारा सख्ती किये जाने के बाद मुजफ्फरनगर में भी जिला प्रशासन ने शासन के आदेश का पालन करते हुए नियमों को सख्त बनाया तो स्कूली बसों का संचालन बंद हो गया था। स्कूली बसों के बंद होने से छात्रों एवं उनके अभिभावकों को परेशानी का सामना करन पड रहा था। इसी के मद्देनजर भाकियू के धरने के बाद प्रशासन को बैकफुट पर आकर बसों के संचालन की अनुमति दी गयी थी।

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