सफल नेता साबित हुए गहलोत

सफल नेता साबित हुए गहलोत

जयपुर। साल 2020 की विदाई में सिर्फ पांच दिन बाकी हैं। इसलिए सियासत के बनते बिगडते स्वरूप पर सरसरी निगाह डाल लेते हैं। यह साल राजनीति में उथल पुथल का रहा। कांग्रेस के लिए मुसीबत बढ़ाने वाला यह साल मध्य प्रदेश में उसकी सरकार पर ग्रहण बन गया। कमलनाथ की सरकार गिर गयी। इतना ही नहीं कांग्रेस वहां पूरी तरह बिखर गयी। कर्नाटक में कांग्रेस की जनता दल सेक्युलर के साथ मिली जुली सरकार थी, उसे भी भाजपा ने तोड़ दिया। राजस्थान में भी यही नौबत आ रही थी लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी सरकार बचा ली। हालांकि इसमें युवा नेता सचिन पायलट की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण रही लेकिन श्रेय तो सीएम को ही जाता है। राजस्थान की गहलोत सरकार और छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने दो वर्ष पूरे कर लिये हैं, यही इनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार से गहलोत के मधुर संबंध बन गये है। इसे गहलोत के लिए सोने में सुहागा कहा जा सकता है।


राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत कभी भाजपा सरकार से बहुत नाराज थे और आरोप लगाया था कि उनकी सरकार गिराने की साजिश की गयी लेकिन साल बीतने के समय उन्होंने मोदी सरकार के मंत्री नितिन गडकरी की जमकर तारीफ की है। सीएम गहलोत ने गडकरी से कहा कि जब से आपने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय संभाला है आप कमिटमेंट के साथ काम कर रहे हैं। सीपी जोशी और गजेंद्र सिंह शेखावत ने जो समस्याएं और मांगें रखी वहीं जोधपुर संभाग की मांगें हैं। जोधपुर में एलिवेटेड रोड को लेकर आप जितने विस्तार में गए हैं उससे मैं बहुत प्रभावित हूं। गहलोत ने कहा कि आपने हमारे 25 सांसदों द्वारा उठाई गई मांगों का ब्योरा भी रखा। आप भेदभाव नहीं करते। भेदभाव होना भी नहीं चाहिए क्योंकि समय कभी किसी का इंतजार नहीं करता। सरकारें आती जाती रहती हैं। कलम विकास के लिए जितनी चल जाए वह अच्छा है। आप जो कह रहे हैं उसी भावना से आप काम भी कर रहे हैं। सीएम गहलोत ने गडकरी की यह तारीफ गत 24 दिसम्बर को 18 हाई-वे प्रोजेक्ट्स के वर्चुअल लोकार्पण शिलान्यास समारोह में की। इस दौरान सीएम गहलोत ने कहा कि राजस्थान अब पहले वाला नहीं रहा है. हम पहले खराब सड़कों के लिए बदनाम थे। रेत से पटी कच्ची सड़कें होती थीं। गुजरात से चलकर जब ऊबड़ खाबड़ सड़क आ जाती थी तो समझो राजस्थान आ गया लेकिन अब यहां सड़कें अच्छी बन गई हैं। सीएम अशोक गहलोत ने नितिन गडकरी से मांग करते हुए कहा कि जयपुर-दौसा लिंक को दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस-वे से जोड़ा जाए। जोधपुर से पचपदरा सिक्स लेन हाई-वे बनाएं ताकि रिफाइनरी प्रोजेक्ट उससे जुड़ सकें। सीएम ने कहा कि जयपुर-दिल्ली रोड का पता नहीं किस मुहर्त में शिलान्यास हुआ है, इस हाईवे का काम अभी तक भी अटका पड़ा है। जयपुर-दिल्ली हाईवे के काम को जल्द पूरा करवाएं। गहलोत ने दिल्ली- मुंबई एक्सप्रेस-वे के समानांतर लॉजिस्टिक पार्क विकसित करने की पहल को स्वागत योग्य बताया।

राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने तमाम राजनीतिक उठापटक के बीच दो साल पूरे कर लिये हैं। प्रदेश सरकार और राजस्थान की जनता के लिहाज से देखें तो यह साल बहुत उतार-चढ़ाव वाला रहा। दूसरे साल के शुरुआती महीने राजस्थान में सियासी संकट गहराया रहा और उसके बाद कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन रहा। प्रदेश में दो साल पूरे होने को लेकर कांग्रेस पार्टी और प्रदेश संगठन काफी खुश है। कांग्रेस के सचिन पायलट ने कहा कि हम सब का एक उद्देश्य है कि संगठन और सरकार ने मिलकर, प्रदेश की जनता से जो वादे किए हैं, उन पर खरा उतरे। हम सब उसी दिशा में काम कर रहे हैं। सीएम गहलोत ने सरकार के स्थिरता के साथ काम करने की भी बात कही है। सीएम गहलोत ने सरकार के कार्यों और योजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए मंत्रिमण्डल विस्तार के संकेत दे दिए। साथ ही राजनैतिक नियुक्तियों पर भी जल्द फैसला होने की बात कही है। राजस्थान सरकार में राज्य और कैबिनेट स्तर के 20 मंत्री है। इससे पहले 23 दिंसबर 2018 में जब उनकी कैबिनेट ने शपथ ली थी, तो उसमें 13 कैबिनेट और 10 राज्यमंत्री बनाए गए थे। सीएम गहलोत ने कहा कि बीजेपी ने धनबल से सरकार गिराने के प्रयास किए. लेकिन हमारी एकजुटता और जनता के आशीर्वाद और समर्थन से विरोधियों के मंसूबे पूरे नहीं हुए। हमारी सरकार पूरे पांच साल जनता की सेवा करेगी।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कार्यशैली से तत्कालीन डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस

अध्यक्ष सचिन पायलट ने कुछ भावुक होकर कहा था कि हमने पंद्रह वर्षों से पार्टी के लिए जो मेहनत की है, उसे पार्टी भी जानती है। इसलिए संकट को सुलझाने में सचिन पायलट की भूमिका ही महत्वपूर्ण रही है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ष्मुझे लगता था कि डेढ़ साल की सरकार में काम करने के बाद मेरा अनुभव रहा है, वो मैं कांग्रेस आलाकमान के समक्ष लेकर जाऊं। मुझे लगता है कि उनका निवारण भी होना चाहिए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा किए गए हमलों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, हमने कभी भी ऐसी भाषा का इस्तेमाल और आचरण नहीं किया जो हमारे योग्य नहीं है। उन्होंने कहा, हमारी जवाबदेही बनती है कि हम कैसे वादों को पूरा करें। चुनाव के समय पार्टी ने जो वादे किए थे, उन्हें पूरा करना जरूरी है। गहलोत सरकार को ये कार्य अभी करना है।

राजस्थान कांग्रेस का सियासी संकट आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद फिलहाल सुलझ गया। सचिन पायलट कैंप के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मतभेद सुलझाने और उनकी मांगों पर विचार करने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने तीन बड़े नेताओं की कमेटी बनाने की घोषणा की थी। इस कमेटी की रिपोर्ट और सिफारिशों के बाद उन पर होने वाले अमल के लिए अजय माकन को प्रभारी बनाया गया। अभी यह कहना मुश्किल है कि कांग्रेस की सियासत किस तरफ मोड़ लेती है. राजनीतिक विश्लेषक इस पूरे घटनाक्रम पर कह रहे हैं कि इस मामले में कांग्रेस और हाईकमान की जीत हुई है, बाकी सब कयास हैं। एक महीने तक कांग्रेस को चुनौती देने के बाद पायलट कैंप को वापस लाने में आलाकमान कामयाब रहा। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने इस पूरे प्रकरण में अहम भूमिका निभाई। सचिन पायलट और उनके समर्थकों की शिकायतों को सुनकर उनके निराकरण के लिए कमेटी बनाई गई। सचिन पायलट और सत्ता खेमे के बीच तालमेल के लिए एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार किया गया। तीन सदस्यीय कमेटी पर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार करने की जिम्मेदारी थी। गहलोत हाईकमान के फैसले पर अमल करेंगे, इसके संकेत उन्होंने पायलट की वापसी के बाद मीडिया के सवालों के जवाब में भी दिया था। यह अलग बात है कि गहलोत गुट के विधायक बागियों को वापस लेने के पक्ष में नहीं थे।

राजस्थान में सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ कॉलेबरेटर बनकर रहने का मैसेज देते आए हैं। अब तक के पीसीसी चीफ मुख्यमंत्री के सामने कमोवेश फॉलोवर की भूमिका में रहते आए हैं। सचिन पायलट की कॉलेबरेटर की भूमिका के कारण उनकी अलग इमेज बनी। कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसके चलते राजस्थान में युवा जोश और अनुभव के हाइब्रिड मॉडल पर पार्टी को चलाने का फैसला किया था। इसके लिए बाकायदा राहुल गांधी ने कई बार सार्वजनिक मंचों से भी घोषणा की थी। सियासी संकट के पीछे अहम कारण कॉलेबरेटर की भूमिका को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। बहरहाल, अशोक गहलोत की सरकार बच गयी जबकि मध्य प्रदेश में कमलनाथ अपनी सरकार नहीं बचा पाए।


हीफी



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