जल संकट पर भारी कोरोना गाइड लाइन्स

जल संकट पर भारी कोरोना गाइड लाइन्स

नई दिल्ली। देशभर में बढ़ रहे कोरोना मरीजों की संख्या को देखकर केंद्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ जनप्रतिनिधि भी बहुत चिंतित हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके कई मंत्रियों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन भी कोरोना संक्रमण के शिकार हो गये हैं। इस प्रकार राजधानी दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्य कोरोना महामारी की चपेट में हैं। इसी के साथ गर्मियों में पेयजल का संकट भी बढ जाता है। राजस्थान में पानी का संकट ज्यादा रहता है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की इसके चलते आलोचना भी हो रही थी। इसी बीच कोरोना की स्पीड को देखते हुए और इसकी चैन को तोड़ने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चिकित्सकों, चिकित्सा विशेषज्ञों के सुझाव पर नई गाइडलाइन तैयार की है। इस गाइडलाइन की तारीफ विपक्षी दल के नेता भी करने लगे हैं। राजस्थान सरकार के इस कदम पर बीकानेर से सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि राजस्थान के अलग-अलग जिलों में व्यवस्थाओं को देखते हुए नियम लागू किए गए हैं। मैं बीकानेर से आता हूं और बीकानेर में पहले शाम 8 बजे बाजार बंद हो जाते थे, लेकिन अब 16 अप्रैल से शाम 5 बजे बाजार बंद कर दिए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी को देखते हमें राजनीति करने से बचना चाहिए और केंद्र सरकार व राज्य सरकार की इस महामारी से लड़ने में मदद करनी चाहिए। मैं जनमानस से यही अपील करूंगा कि आप लोग 2 गज की दूरी, फेस मास्क जरूर लगाएं, बहुत महत्वपूर्ण कार्य हो तभी घर से बागल निकलें। हाथ धोते रहिए जितनी हो सके सावधानी बरतें। यही सबसे बेहतर तरीका है। इस तरह से लोग पानी के संकट को लगभग भूल ही गये हैं।

इसमें कोई शक नहीं कि इस समय देश भर में जो कोरोना की महामारी आई है, उसकी स्पीड बहुत तेज है। बहुत तेजी से लोग संक्रमित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि हम लोगों को अपने परिवार और अपने बारे में भी सोचना होगा और दूसरो की भी रक्षा करनी होगी। यह एक ऐसी महामारी है, जिससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को साथ खड़ा होना होगा। सांसद निहाल चंद ने कहा प्रदेश सरकार का निर्णय सही है, लेकिन देरी से लिया गया है। श्री गंगानगर से सांसद और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री निहालचंद मेघवाल ने कहा कि कोरोना की बढ़ती महामारी को देखते हुए मैं लोगों से यही कहूंगा कि फेस मास्क लगाइए, भीड़भाड़ वाले इलाके में न जाएं, बहुत जरूरी हो तभी घरों से बाहर निकलें, घरों से बेवजह बाहर न निकले और 2 गज की दूरी मास्क है जरूरी। इसी तरह की अपील जनता से सभी नेता कर रहे हैं। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने नई गाइडलाइन बनाई है। राजस्थान सरकार ने 12 घण्टे नाइट कर्फ्यू लगाने का निर्णय लिया है जो 16 अप्रैल से शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक रहेगा। बाजार शाम 5 बजे बंद हो जाएगा। सरकारी आफिस कार्यलय 4 बजे बंद हो जाएंगे जिससे लोगो की जान इस महामारी से बचाई जा सके। इस प्रकार प्रदेश में 12 घंटे का नाइट कर्फ्यू रहेगा।

मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के नेता भी यह मान रहे हैं कि राजस्थान में कोरोना संक्रमण की रफ्तार को रोकने की दिशा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बड़ा कदम उठाया है। नाइट कर्फ्यू के साथ ही गहलोत सरकार ने एक और बड़ा निर्णय लेते हुए प्रदेश के सभी शैक्षणिक कोचिंग संस्थान और पुस्तकालयों को बंद करने का आदेश भी जारी किया है। साथ ही प्रदेश के राजकीय कार्यालयों को शाम 4 बजे बंद करने का आदेश दिया है। हालांकि अभी इन गाइडलाइंस में आंशिक संशोधन होने की संभावना है। गहलोत सरकार ने विवाह समारोह में 50 लोगों की संख्या निर्धारित की है। इसमें बैंड बाजा वादकों को 50 व्यक्तियों की संख्या से अलग रखा जाएगा। राज्य में नई गाइडलाइंन 16 अप्रैल से 30 अप्रैल तक प्रभावी रहेगी।

गहलोत सरकार ने कोरोना संक्रमण के चलते यह निर्णय लिया तो लोग जल संकट के मामले को भूल गये। केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चैधरी ने अपने संसदीय क्षेत्र बाड़मेर-जैसलमेर में पेयजल संकट को लेकर गहलोत सरकार पर निशाना साधते हुये कहा है कि मुख्यमंत्री क्षेत्र की जनता की सुध लें। केन्द्र सरकार की योजना जल जीवन मिशन को लेकर लगातार आरोप झेल रही अशोक गहलोत सरकार पर कैलाश चौधरी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर निशाना साध है। संसदीय क्षेत्र में पेयजल की समस्या को लेकर चौधरी ने कहा कि प्रदेश की सरकार आमजन की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है। जल जीवन मिशन को लेकर इससे पहले केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी प्रदेश सरकार पर लगातार काम नहीं करने का आरोप लगाते रहे हैं। हाल ही में गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आंकड़ों के जरिए जल जीवन मिशन की धीमी गति को लेकर प्रदेश सरकार को घेरा था। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए हमने कोरोना जैसी महामारी के बावजूद सिर्फ 15 महीने में सवा चार करोड़ घरों तक पीने का पानी पहुंचाया है, लेकिन राजस्थान में 1.12 करोड़ घरों में से सिर्फ 12 फीसदी घरों तक पानी पहुंच पाया है।

कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने पेयजल किल्लत को लेकर विभिन्न तस्वीर एवं स्थानीय समाचार पत्रों की खबरें शेयर करते हुए लिखा कि पेयजल के अभाव में किसानों को पशुधन की भी हानि हो रही है। परिवारों को पेयजल की व्यवस्था करने के लिए हजारों रुपए प्रति महीना भी खर्च करना पड़ रहा है. कैलाश चौधरी ने कहा कि आम आदमी संकट में है. अधिकारीगण भी राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में मजबूर है और प्रदेश सरकार असंवेदनशील है। मुख्यमंत्री गहलोत से आग्रह है कि वे इस मामले पर संज्ञान लेकर क्षेत्र की जनता की सुध लें और पेयजल समस्या का निवारण करें। राजस्थान सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार ही प्रदेश के 33 जिलों को भूजल के हिसाब से कुल 295 ब्लॉक में बांटा गया है, जिनमें से 184 ब्लॉक अतिदोहित श्रेणी में आ गए हैं। इसका मतलब है कि आधे से ज्यादा राज्य में जमीनी पानी कभी भी समाप्त हो सकता है। चिंता की बात यह है कि पानी का दोहन जिस अंधाधुंध तरीके से हो रहा है, रिचार्ज उस स्तर पर नहीं हो रहा। यही कारण है कि भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। राज्य के जोधपुर जैसे जिले में तो पानी 165 मीटर से भी अधिक नीचे चला गया है।

जलयोद्धा के रूप में चर्चित लक्ष्मण सिंह लापोड़िया के अनुसार संकट अविवेकपूर्ण इस्तेमाल का है। चाहे वह दैनिक जीवन में हो, निर्माण कार्य में या खेतीबाड़ी में। सरकार को इस ओर ध्यान देते हुए पानी का संयमित तथा विवेकपूर्ण इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।लक्ष्मण सिंह के अनुसार सरकार को इस बारे में कोई सोची समझी नीति लानी चाहिए साथ ही लोगों को भी जागरुक करना चाहिए। सिंह के अनुसार जल संकट के नाम पर सिर्फ हाहाकार मचाने से कुछ नहीं होगा।

ऐसा भी नहीं है कि अशोक गहलोत सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही है। गहलोत सरकार ने 13 जिलों के सतही स्रोतों से जोड़ने के लिए 37 हजार 200 करोड़ रुपये की लागत से पूर्वी राजस्थान कैनाल परियोजना की तैयारी शुरू कर दी। साथ ही बीसलपुर बांध की क्षमता को बढ़ाने के लिए इस बांध को ब्राहम्णी नदी से जोड़ा जाना भी प्रस्तावित़

किया। इस परियोजना की लागत लगभग 6000 करोड़ रुपये है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से पूर्वी राजस्थान कैनाल परियोजना के लिए 37 हजार 200 करोड़ रुपये और बीसलपुर ब्राहम्णी परियोजना के लिए 6000 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाने की मांग की है। फिलहाल कोरोना संकट ने अन्य तकलीफों को किनारे कर दिया है। (हिफी)




















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